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  4. Is the election of Uttar Pradesh BJP president stuck in the tussle between Yogi Adityanath and Keshav Prasad Maurya?
Last Updated : मंगलवार, 15 जुलाई 2025 (13:07 IST)

योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य की खींचतान में फंस गया उत्तरप्रदेश भाजपा अध्यक्ष का चुनाव?

Uttar Pradesh elections
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, इस पर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। एक और दिल्ली में पार्टी  के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर काउंटडाउन शुरु हो गया तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश जहां भाजपा पिछले 8 साल से सत्ता में काबिज है वहां पर प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव पार्टी के लिए  एक चुनौती बन गया है। उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होना है ऐसे में भाजपा के नए अध्यक्ष के चुनाव में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधना भी जरूरी हो गया है। राज्य में जिस तरह से संगठन और सरकार में मतभेद की  खबरें सामने आती रही है उससे नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव एक टेढ़ी खरी है। सवाल यह भी  है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की आपसी खींचतान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव उलझा हुआ  है।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव केवल डेढ़ साल दूर है ऐसे में पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव और उसकी भूमिका बहुत अहम हो जाती है। मोदी के चेहरे पर हुए लोकसभा चुनाव में जिस तरह से पार्टी को  उत्तर प्रदेश में 23 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा ऐसे में तय है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में मोदी फैक्टर कितना चलेगा यह भी सवालों के घेरे में है। लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में भाजपा के अंदर जिस तरह से सरकार और संगठन के बीच मतभेद सामने आए थे उससे नए अध्यक्ष का चुनाव एक और चैलेंज बन गया है। लोकसभा चुनाव के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने साफ कहा था कि सरकार से बड़ा संगठन होता है। केशव प्रसाद मौर्य जो यूपी में भाजपा की संगठन की कमान संभाल चुके है और 2017 में अखिलेश यादव को सत्ता से बाहर कर राज्य में भाजपा सरकार बनाने में अपनी संगठनात्मक क्षमता का लोहा मनवाया था, वह अब क्या एक बार फिर भाजपा की कमान संभालेंगे यह भी बड़ा सवाल है।    

उत्तर प्रदेश की राजनीति को कई दशकों से करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन में जिस तरह से दूरी दिखाई दे रही है वह भाजपा के लिए कोई शुभ संकेत नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरह से लगातार संगठन को लगातार एग्नोर कर रहे है और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से भी एक दूरी बनाकर रखे है उससे आज प्रदेश में संगठन की कोई पूछ परख नहीं है। ऐसे में 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए संगठन में नए सिरे से ऊर्जा भरना और कार्यकर्ताओं को जमीन पर एक्टिव करना बहुत जरूरी है। उत्तर प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में जातीय समीकरण साधना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में ओबीसी वर्ग को साधने के लिए भाजपा ओबीसी वर्ग से आने वाले किसी नेता को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है।

राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह से उत्तर प्रदेश में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है उससे साफ है कि भाजपा के लिए 2027 विधानसभा चुनाव की राह बहुत आसान नहीं है। राज्य में भाजपा की अंदर पिछड़े वर्ग से आने वाले किसी व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग हो रही है। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे है। पिछले दिनों केशव प्रसाद मौर्य की दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य को  लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है।

रामदत्त त्रिपाठी आगे कहते हैं कि जिस तरह अखिलेश यादव पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (PDA) की राजनीति कर रहे है वह भाजपा के लिए एक चुनौती है। ऐसे में भाजपा ओबीसी वर्ग से आने वाले किसी बड़े नेता को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है, जिससे अखिलश यादव के पीडीए कार्ड की काट खोजी जा सके और ओबीसी वोटर्स को पार्टी से जोड़ा जा सके। वह कहते हैं कि यह नहीं भूलना होगा कि 2017 में जब भाजपा प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी तो भाजपा संगठन की कमान केशव प्रसाद मौर्य के हाथों में थी और उस वक्त केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार थे लेकिन पार्टी आलकामन ने मुख्यमंत्री की कुर्सी योगी आदित्यनाथ को सौंपी थी।

उत्तर प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष के दावेदार- उत्तर प्रदेश में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के दावेदारों में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ, योगी कैबिनेट में ओबीसी वर्ग से आने वाले जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का नाम भी शामिल है। स्वतंत्र देव सिंह पहले भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके है और उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी माना जाता है। इसके साथ ही ओबीसी वर्ग से आने केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और राज्य सरकार में मंत्री  बीएल वर्मा का नाम भी शामिल है। वाले इससे साथ प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में ब्राह्माण चेहरे के रुप में पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा भी है।