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Last Modified: देहरादून , बुधवार, 7 फ़रवरी 2024 (18:33 IST)

उत्तराखंड में पास हुआ UCC, समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बना

उत्तराखंड में पास हुआ UCC,  समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बना - Uniform Civil Code passed in Uttarakhand
ध्वनिमत से पारित विधेयक
गोवा में 196 से लागू है 
लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन जरूरी
 
UCC passed in Uttarakhand : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा पेश किया गया समान नागरिक संहिता (UCC) उत्तराखंड 2024 विधेयक सदन में पारित हो गया। विधानसभा में यूसीसी बिल पास होने के बाद उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। देश में गोवा एक ऐसा राज्य है जहां 1962 में इसे लागू कर दिया गया था। गोवा सिविल कोड, गोवा का UCC है। यहां सभी धर्मों के लिए समान कानून लागू हैं। 
 
क्या बोले मुख्यमंत्री : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि आज ना केवल इस सदन को बल्कि उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक को गर्व की अनुभूति हो रही है।
 
धामी ने कहा कि मैं आज इस अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को बधाई देना चाहता हूँ, क्योंकि आज हमारे उत्तराखंड की विधायिका एक इतिहास रचने जा रही है। आज इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनते हुए, न केवल इस सदन को बल्कि उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक को गर्व की अनुभूति हो रही है। 
 
धामी ने कहा कि प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना आशीर्वाद देकर पुनः सरकार बनाने का मौका दिया। उन्होंने कहा कि सरकार गठन के तुरंत बाद, पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन किया।
क्या है इस बिल में : नए कानून में विवाह और लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। यह कानून राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के सभी नागरिकों पर भी लागू होगा। हालांकि अनुसूचित जनजाति के लोगों और समूहों पर यह कानून लागू नहीं होगा। पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर का हक मिलेगा। नोटिस के एक माह बाद तक विवाह और लिव-इन रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन नहीं करने पर 25 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा। 
 
इस बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि शादी को एक साल से अधिक का समय होने के बाद आपसी सहमति से भी तलाक हो सकेगा। इस नियम का उल्लंघन करने पर 50 हजार का जुर्माना और 6 माह की सजा हो सकती है। नए बिल में हलाला जैसे मामलों में 3 वर्ष की सजा और 1 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
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