गंगा ने बदला रंग, वाराणसी में शुरू हुआ ट्रीटमेंट
वाराणसी। जीवनदायिनी गंगा का निर्मल जल हरा दिखाई देने से गंगाप्रेमियों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं, उन्हें ऐसा लगने लगा कि गंगा की अविरल निर्मल स्वच्छ धारा के अस्तित्व पर अब संकट मंडरा रहा है। पिछले कुछ समय से चर्चा है कि नालों का ही गंदा पानी गंगा में समा रहा था, जिसके चलते उसमें हरे रंग की काई भी जमने लगी है। वाराणसी के कई घाटों पर गंगा का पानी हरा नजर आ रहा है, तो कई घाटों पर तो स्थिति यह है कि गंगा के जल से दुर्गंध उठ रही है।
हालांकि विशेषज्ञ और पर्यावरण प्रेमियों ने गंगा के प्रदूषण मुक्ति के लिए लगातार आवाजें उठाई हैं लेकिन लंबे-चौड़े बजट उड़ा देने के बाद अब गंगाजल से दुर्गंध आने लगी है। साफ है कि गंगाजल काफी समय से लगातार जहरीला हो रहा है और समय-समय पर हुए परीक्षणों में भी यह साफ हो चुका है लेकिन अब स्थिति बदतर हो गई है। पवित्र गंगा का अस्तित्व ही खतरे में आ चुका है। जल का प्रवाह लगातार कम हो रहा है।
गंगा विशेषज्ञों का कहना है कि वाराणसी में गंगा की धारा का घाटों का छोड़ना और उसमें शैवाल मिलना इस बात का द्योतक है कि गंगा नदी का वेग बेहद कम हो गया है और ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम होता जा रहा है जो जलीय जीवों के लिए बड़ा संकट हो जाएगा। गंगा में गति कम होने के पीछे कारण माना जा रहा है कि गंगा पर बनने वाले बांध, लिफ्ट कैनाल और भूजल रिचार्ज के लिए पानी जमीन के अंदर पेबस्त हो रहा है।
गंगा जल के हरे होने की सूचना 21 मई में सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई थी। इसके बाद नमामि गंगे और पर्यावरण की टीमें वहां पहुंचकर शैवाल एकत्रित करने लगी। इसी कड़ी में आज नमामि गंगे के रिसर्च ऑफिसर नीरज गहलावत वाराणसी गंगा घाट पहुंचे और वहां उन्होंने दशाश्वमेध घाट, तुलसी, मानमंदिर घाट, दरभंगा और अस्सी घाट का निरीक्षण करते हुए शैवालों की सेंपलिंग की है।
वाराणसी में आज नेशनल मिशन फ़ॉर क्लीन गंगा की देखरेख में हरे पानी का ट्रीटमेंट शुरू किया गया है। नदी में बायोरेमेडीएशन सॉल्यूशन का स्प्रे करके हरे शैवाल का खत्म करने का अभियान चल रहा है। ये सॉल्यूशन जर्मन की एक कंपनी द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है, गंगा स्वच्छता अभियान अभी दो दिन और चलेगा।
वाराणसी के डीएम के आदेश पर जांच समिति ने टेस्ट करके गंगा जल में नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा को अधिक पाया है, वहीं गंगा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने के चलते प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अगामी 3-4 दिनों तक गंगा स्नान और आचमन पर रोक लगाने की सलाह दी है।