West Bengal : दीघा में 1 किलोमीटर लंबी रथयात्रा, पाबंदियों को लेकर क्या बोले श्रद्धालु
Digha West Bengal News : पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दीघा में लगभग एक किलोमीटर लंबे रथ यात्रा मार्ग को बैरिकेड लगाकर श्रद्धालुओं को सड़क पर आने से रोकने के फैसले पर श्रद्धालुओं की मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आई है। पुरी के भगवान जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर बनाए गए इस सरकार प्रायोजित मंदिर को सांस्कृतिक केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसका उद्घाटन 30 अप्रैल को हुआ था और तभी से यह राजनीतिक विवादों और पुरी के सेवायतों के विरोध का विषय बना हुआ है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रथयात्रा में भाग लेने के लिए दीघा में मौजूद हैं उन्होंने पहले घोषणा की थी कि बैरिकेड्स के पीछे खड़े लोगों को सड़क पर आए बिना रथ की रस्सियों को छूने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा था, बैरिकेड्स के साथ रस्सियां होंगी जिन्हें श्रद्धालु भीतर से छू सकेंगे।
पुरी के भगवान जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर बनाए गए इस सरकार प्रायोजित मंदिर को सांस्कृतिक केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसका उद्घाटन 30 अप्रैल को हुआ था और तभी से यह राजनीतिक विवादों और पुरी के सेवायतों के विरोध का विषय बना हुआ है।
उत्तर दिनाजपुर के गंगारामपुर से आए नयन मंडल ने कहा, मैं पत्नी और बेटे के साथ रथ खींचने या कम से कम रस्सी छूने आया हूं, पर बांस के सहारे लगी रस्सी छूना, प्रत्यक्ष दर्शन का विकल्प नहीं हो सकता। नादिया के तहट्टा से आए राजू दास ने कहा कि अगर दीघा को पुरी की तरह बनाना है तो दर्शन के बेहतर इंतज़ाम किए जाने चाहिए थे।
पश्चिम बर्धमान के अंडाल से आए पर्यटक तपन मोंडल ने कहा कि वह भी व्यवस्थाओं से थोड़ा निराश हैं। उन्होंने कहा, हमें कल यहां पहुंचने के बाद ही इन व्यवस्थाओं के बारे में पता चला। मुझसे ज़्यादा मेरी बेटी निराश है। हम बस यही चाहते हैं कि अगले साल से आम तीर्थयात्रियों के लिए भी कुछ योजना बनाई जाए।
हालांकि कोन्नगर से आए बप्पा सरकार ने कहा कि प्रशासन ने रस्सियां बैरिकेड्स के साथ रखकर अच्छा कदम उठाया है, जिसे छूकर लोग सहभागी महसूस कर सकते हैं। उनकी पत्नी ने कहा कि बैरिकेड्स के बावजूद दर्शन कर सकेंगे और इतनी भीड़ के बीच... यह एहतियात जरूरी था।
जमशेदपुर से आई रेखा शर्मा ने कहा कि उन्होंने सुबह भगवान के दर्शन किए और अब रस्सी को छूकर ही संतुष्ट हो लेंगी। उन्होंने कहा, आज सुबह मंदिर में भगवान के दर्शन करके हमें बहुत खुशी हुई। हमें बैरिकेड्स के पास खड़े होने और दूर से रस्सियों को छूने की व्यवस्था में कोई आपत्ति नहीं है।
वहीं कोलकाता के मानिकतला से आए दुलाल चंद्र घोष ने कहा कि स्थानीय प्रशासन से उन्हें स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई और सुरक्षाकर्मी एक स्थान से दूसरे स्थान भेजते रहे। मंदिर मार्ग पर पूड़ी-सब्जी बेचने वाले श्यामल पात्र ने कहा कि उनकी बिक्री 1,600 रुपए तक पहुंच गई है, जो पहले 1,000 रुपए के भीतर होती थी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour