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Last Modified: शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022 (17:38 IST)

उत्तराखंड में मानव और वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए बनेगा विशेष सेल

उत्तराखंड में मानव और वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए बनेगा विशेष सेल - Special cell will be formed in Uttarakhand to prevent human and wildlife conflict
देहरादून। उत्तराखंड वन महकमा मानव और वन्यजीव संघर्ष में रोक के उपाय खोजने और इस पर नकेल कसने के लिए एक स्पेशल सेल गठन पर विचार कर रहा है। मानव और वन्यजीव संघर्ष में रोक कैसे लगे यह राज्य में सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है।

उत्तराखंड में वन्यजीवों के हमलों में लोगों की जान लगातार जा रही हैं। उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष कारन महरा ने इस संघर्ष को रोकने और संघर्ष में जान गंवाने वालों के परिजनों को पचास लाख रुपए का मुआवजा और घायलों को 10 लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग मुख्यमंत्री से की है। इन बढ़ती घटनाओं के बाद अब वन विभाग ने मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए एक सेल बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने के संकेत दिए हैं।

प्रस्तावित सेल में विभिन्न विषयों के एक्सपर्ट शामिल किए जाएंगे। जिससे इसके जरिए इस संघर्ष को रोकने की प्रभावी और दीर्घकालीन रणनीति बनाई जा सके। मानव वन्यजीव संघर्ष इस राज्य में किस कदर बढ़ रहा है उसकी बानगी देखें तो नवंबर महीने के अंतिम हफ्ते में तो पांच लोगों को गुलदार अपना निवाला बना चुका है। पिछले एक साल में अब तक 19 लोग गुलदार से हुए संघर्ष में जान गंवा बैठे हैं, जबकि 11 लोगों को बाघ ने निशाना बनाकर मार डाला। गुलदार ने 64 और बाघ ने 5 लोगों को घायल भी किया।

गुलदारों के गांवों के समीप डेरा डाले होने की भी सूचनाएं बहुतायत में मिलती रहती हैं। गांवों के रास्तों में किनारे उगी झाड़ियों में छुपे गुलदार राह चलते बच्चों और बड़ों को अपना निशाना बनाते रहे हैं। विशेषकर जाड़ों के दिनों में यह घटनाएं यकायक बढ़ जाती हैं।

बुधवार को उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के मेहनरबूंगा गांव के बच्चे गांव से लगे जंगल के समीप खेलते हुए गुलदार के शावक को बिल्ली का बच्चा समझकर घर ले आए और फिर उसके साथ खेलने लगे।गांव की रहने वाली बीना रावत के अनुसार, बच्चे गुलदार के शावक को बिल्ली का बच्चा समझकर दूध पिला रहे थे कि अचानक एक ग्रामीण की नजर पड़ी तो पता चला कि यह तो बिल्ली का नहीं गुलदार का बच्चा है।

इसकी भनक लगते ही सबके होश उड़ गए।बताया जा रहा है कि यह शावक कई दिनों से आसपास घूम रहा था, सभी ने इससे पहले भी इस पर ध्यान नहीं दिया और बिल्ली का बच्चा समझकर इग्नोर करते रहे। इसका पता लगते ही जब वन विभाग की टीम के कब्जे में गुलदार के बच्चे को सौंपा गया तो उसी दिन सायं से ही एक गुलदार गांव में धमक गया।

ग्रामीणों का अनुमान है कि शायद वो शावक गुलदार की मां हो और अपने शावक को खोज रही हो।अब ग्रामीण इस आशंका से भयातुर हैं कि कहीं यह गुलदार अपने बच्चे को वहां देख ग्रामीणों पर हमला न बोल दे।वन विभाग की टीम कह रही है कि गुलदार के इस बच्चे की उम्र 2 महीने की है और उसके पैर में चोट लगी है, अब इलाज कराने के बाद ही शावक को जंगल में छोडा जाएगा।

इससे पूर्व मंगलवार 29 नवंबर को द्वाराहाट तहसील के 65 वर्षीय मोहनराम अपने घर से करीब 100 मीटर दूर गाय को घर लाने के लिए गए ही थे कि झाड़ियों में पहले से घात लगाए गुलदार ने बुजुर्ग पर हमला बोल दिया।दिनदहाड़े मोहन राम को मार डालने के बाद वह उसे गधेरे की ओर घसीट ले गया। शाम तक मोहनराम घर नहीं लौटे तो परिजनों को उनकी चिंता हुई।

हर संभावित क्षेत्र व आसपास के जंगलों में देर रात तक तलाश की गई, लेकिन मोहन का कुछ पता नहीं चला। बुधवार 30 नवंबर की सुबह 8 बजे जब दोबारा खोज शुरू की गई तो मोहनराम जिस खेतनुमा मैदान पर गाय को चराने के लिए छोड़ने आते थे, वहां ग्रामीणों को खून बिखरा पड़ा मिला।

खून के इन धब्बों के सहारे ग्रामीणों ने आगे तलाश की तो कुछ आगे खून से सने कपड़े मिले। इसके आगे जाने पर गांव से लगभग एक किमी दूर गधेरे में मोहनराम का क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ। शरीर का आधा हिस्सा गुलदार खा चुका था।

वन्यजीवों के आतंक से परेशान लोग वन विभाग पर रोष प्रकट करते हुए मोहनराम का शव न उठाने पर अड़ गए। बाद में डीएफओ महातिम सिंह यादव के पहुंचने पर ग्रामीण घटनास्थल पर वनकर्मियों से पिंजड़ा लगवाकर ही माने।ग्रामीणों में गुस्सा देख डीएफओ ने हिंसक वन्यजीव से हर हाल में निजात दिलाने का भरोसा दिलाया

द्वाराहाट में ही दिनदहाड़े तीन लोगों पर एक गुलदार के झपटने का मामला भी इसी दरमियान सामने आया था।
 वन्यजीव और मानव संघर्ष को रोकने के लिए गठित किए जाने वाले सेल के बारे में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक समीर सिन्हा का कहना है कि इसके लिए वन्य जीव संस्थान से मानव वन्यजीव संघर्ष का आंकड़ा एकत्रित किया जा रहा है,साथ में प्रदेश के उन जगहों को भी चिन्हित किया जा रहा है जहां यह संघर्ष होता रहा है।

सेल यह भी मालूम करेगा कि कौन-कौन सी जगहों पर कौन से वन्यजीवों की सक्रियता अधिक रहती है। वन्यजीवों के मूवमेंट पर भी इस सेल की निगाह रहेगी।इस बात का भी विश्लेषण करना प्रस्तावित सेल की ड्यूटी होगी कि यह मूवमेंट किस कारण से हो रहा है।यह सेल पालतू मवेशियों के जंगल में होने वाले मूवमेंट पर हिंसक जानवरों के मूवमेंट पर पड़ने वाले प्रभाव का भी विश्लेषण करेगा।
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