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Last Modified: बुधवार, 10 अगस्त 2022 (20:02 IST)

गुड़गांव में बहन ने किडनी दान कर भाई को दिया रक्षाबंधन का विशेष उपहार

Rakshabandhan
नई दिल्ली। बहन से गुर्दे के रूप में जीवन का उपहार पाकर अमन बत्रा 9 साल बाद अब डायलिसिस से मुक्त हो गए हैं। अब वे अपने भविष्य की योजनाएं बनाने में जुटे हैं। जल्द ही वह एक फीचर फिल्म तथा उसके बाद अपनी प्रेमिका से शादी करने के बारे में सोच रहे हैं। बत्रा की बहन अपने पति के साथ न्यूजीलैंड में रहती हैं।

गुड़गांव में रह रहे 29 वर्षीय पटकथा लेखक 2013 से ही गुर्दे की बीमारी से ग्रस्त थे। उनके माता-पिता गुर्दा दान करने में असमर्थ थे, जिसके बाद यह जिम्मा उनकी बहन चंद्रा ग्रोवर (38) ने उठाया। उनकी बहन अपने पति के साथ न्यूजीलैंड में रहती हैं।

जब पूरे भारत में अनेकों परिवार भाई-बहन के त्योहार रक्षाबंधन की तैयारियों में जुटे हैं वहीं ऐसे समय में बत्रा और उनकी बहन, भाई-बहन के अनूठे प्रेम की नई गाथा लिख रहे हैं। उनकी प्रतिरोपण सर्जरी उनके जन्मदिन के 10 दिन बाद 11 जून को हुई थी। उसी महीने कुछ दिनों बाद उनकी बहन अपने घर लौट गईं। बत्रा को 22 जून को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

बत्रा ने कहा, मेरे माता-पिता उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं। मेरी मां मधुमेह की मरीज हैं। मेरी बड़ी बहन चार-पांच साल से मेरे पीछे पड़ी थीं और कह रही थीं कि वह अपना गुर्दा दे सकती हैं लेकिन हम अनिच्छुक थे क्योंकि उन्हें (बहन को) सर्जरी से हमेशा डर लगता था।

उन्होंने आभार के साथ कहा, वह बहुत नाजुक हैं। जब भी उन्हें कोई सूई लगती है तो वह दर्द के कारण एक हफ्ते तक उस हाथ को पकड़कर रखती हैं, लेकिन वह मेरी खातिर ऑपरेशन के लिए तैयार हो गईं। दोनों भाई-बहन में हमेशा ही गहरा प्रेम रहा है।

बत्रा ने कहा कि 2010 में उन्होंने अपनी कलाई पर अपनी बहन के चेहरे का टैटू भी गुदवाया था। ब्यूटी सैलून एवं आयात का धंधा करने वालीं ग्रोवर ने कहा कि इस साल उनका राखी त्योहार डिजिटल होगा। चंदा ग्रोवर ने कहा कि वह नौ सालों से अपने भाई को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश कर रही थीं कि वह उसका गुर्दा ले ले लेकिन वह अड़ा था कि वह ऐसा नहीं होने देगा।

ग्रोवर ने ऑकलैंड से बताया, इस साल फरवरी में मैंने किसी तरह उसे राजी कर लिया कि हमें यह करना ही होगा, क्योंकि यदि वह इतने कष्ट से गुजर रहा है तो मैं कभी खुश नहीं होऊंगी। वह अंतत: राजी हो गया। मैं मार्च में भारत आ गई, मैंने जांच करवाई और मई में लौट गई ताकि हम सर्जरी करवा सकें। उसके पास अपने फैसले से मुकरने का वक्त नहीं था।

उन्होंने कहा, इस राखी के लिए मैंने जो उपहार मांगा है, वह यह है कि वह अपने स्वास्थ्य को हल्के में नहीं लेगा, अपनी सेहत का ध्यान रखेगा। कई स्वास्थ्य मुश्किलों से उबर चुके बत्रा ने कहा, मैं अपनी बहन के बिलकुल विपरीत हूं। मेरी 2010 में अपेंडिक्स की सर्जरी हुई थी। पिछले नौ सालों में मैं हर सप्ताह दो बार डायलिसिस से गुजरा हूं। दो बार कोरोनावायरस (Coronavirus) एवं एक बार डेंगू की चपेट में आ चुका हूं।

बत्रा ने कहा कि महामारी के साल मुश्किलभरे रहे। उनके माता-पिता एवं वह मई, 2020 में पहली लहर में कोविड से संक्रमित हो गए थे। बत्रा ने कहा कि उन्होंने बीमारियों को उन पर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने कहा, मैं सामान्य व्यक्ति की तरह जिया करता था, रोज 10-12 घंटे काम करता था, यहां से एड फिल्में बनाता हूं।

उन्होंने कहा, बस एक ही बाधा थी कि मैं मुंबई नहीं जा सकता था जो हमारी इंडस्ट्री का केंद्र है। यदि मैं वहां जाता तो भी मुझे यह सुनिश्चित करना होता था कि मैं दो दिनों के अंदर लौट आऊं क्योंकि मुझे डायलिसिस से गुजरना होता था।

उन्होंने कहा कि लेकिन अब आगे का भविष्य संभावनाओं से भरा नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी ही फीचर फिल्म बनाने के अलावा उनकी अगले कुछ सालों में उनकी अपनी प्रेमिका से शादी करने की योजना है।(भाषा)
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