क्यों नहीं रुक रहे हैं कश्मीरी युवकों के आतंकवाद की ओर बढ़ते कदम
जम्मू। दक्षिण कश्मीर में राज्य प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के भरसक प्रयासों के बावजूद स्थानीय युवकों के आतंकी बनने का सिलसिला थम नहीं रहा है। सोमवार को कुलगाम के एक और युवक के आतंकी बनने का मामला प्रकाश में आया है। वर्ष 2019 के दौरान दक्षिण कश्मीर में विभिन्न हिस्सों से करीब 27 युवकों के आतंकी बनने का दावा किया जा रहा है। अलबत्ता, सुरक्षा एजेंसियां इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
कुलगाम से मिली जानकारी के अनुसार, फ्रिसल शीरपोरा गांव का रहने वाला सज्जाद अहमद बट अब लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी बन चुका है। आतंकी संगठन ने उसका कोड नाम अब्दुल्ला भाई रखा है। सज्जाद के आतंकी बनने की पुष्टि सोशल मीडिया पर हथियारों संग वायरल हुई उसकी तस्वीर के आधार पर हुई है, लेकिन संबधित पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि सोशल मीडिया पर वायरल फोटो की ग्राउंड नेटवर्क के स्तर पर पुष्टि की जानी है। उन्होंने बताया कि सज्जाद बीते माह से लापता था और पहले भी कई मामलों में वांछित रह चुका है।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि बीते सप्ताह ही दक्षिण कश्मीर के त्राल का एक युवक जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन का हिस्सा बना है। गत शनिवार को सुरक्षाबलों ने पुलवामा में आतंकी बन चुके एक स्थानीय युवक को मुख्यधारा में वापस लाने में सफलता प्राप्त की है।
गौरतलब है कि राज्य में आतंकी संगठनों में स्थानीय युवकों की भर्ती के सिलसिले ने वर्ष 2014 में जोर पकड़ा। लेकिन जुलाई 2016 में आतंकी बुरहान की मौत के बाद यह सिलसिला तेज हो गया। अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार बीते तीन वर्षों के दौरान औसत छह से सात युवक आतंकी बने हैं। आतंकी संगठनों में स्थानीय युवकों की भर्ती रोकने के लिए राज्य प्रशासन, पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां विभिन्न स्तरों पर प्रयास कर रही हैं।
गत दिनों राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने भी दावा किया कि आतंकी संगठनों में नाममात्र ही युवक भर्ती हुए हैं। बहुत से युवकों को आतंक के रास्ते से वापस लाया गया है। लेकिन मौजूदा अप्रैल माह के दौरान ही अब तक 13 युवक गायब हो चुके हैं और उनमें से ज्यादातर के आतंकी बनने की पुष्टि हो चुकी है।