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Last Modified: इंफाल , मंगलवार, 27 जून 2023 (20:13 IST)

मणिपुर में सरकारी कर्मचारियों को 'काम नहीं तो वेतन नहीं'

मणिपुर में सरकारी कर्मचारियों को 'काम नहीं तो वेतन नहीं' - No work, no pay to government employees in Manipur
Manipur Violence: मणिपुर सरकार ने कार्यालय नहीं आने वाले अपने कर्मचारियों पर ‘काम नहीं, वेतन नहीं’ नियम लागू करने का फैसला लिया है। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) से उन कर्मचारियों का ब्योरा देने के लिए कहा गया है, जो जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य की मौजूदा स्थिति के कारण कार्यस्थल पर उपस्थिति नहीं दर्ज करा पा रहे हैं।
 
जीएडी सचिव माइकल एचोम की ओर से सोमवार रात जारी एक परिपत्र में कहा गया है कि 12 जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक और कार्यवाही के पैरा 5-(12) में लिए गए निर्णय के अनुसार, मणिपुर सचिवालय के सामान्य प्रशासन विभाग से वेतन प्राप्त कर रहे सभी कर्मचारियों को सूचित किया जाता है कि उन सभी कर्मचारियों पर ‘काम नहीं, तो वेतन नहीं’ नियम लागू किया जा सकता है, जो अधिकृत छुट्टी लिए बगैर कार्यस्थल पर नहीं पहुंच रहे हैं।
 
मणिपुर सरकार के लगभग एक लाख कर्मचारी हैं। परिपत्र में सभी प्रशासनिक सचिवों से उन कर्मचारियों का ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा गया है, जो राज्य के मौजूदा हालात के चलते कार्यालय नहीं आ रहे हैं।
 
इसमें निर्देश दिया गया है कि सामान्य प्रशासन विभाग और कार्मिक विभाग को 28 जून तक ऐसे सभी कर्मचारियों के नाम, ईआईएन (कर्मचारी पहचान संख्या), मौजूदा पता सहित अन्य विवरण उपलब्ध कराए जाएं, ताकि उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।
 
मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
 
हिंसा पीड़ितों को 1000 रुपए : मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य में जातीय दंगों के कारण राहत शिविरों में रह रहे लोगों को उनकी सरकार 1000 रुपए की एकमुश्त मदद देगी। सिंह ने इंफाल ईस्ट जिले के खुमान लैंपक खेल परिसर में बनाए गए एक राहत शिविर में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह सहायता इसलिए दी जाएगी, ताकि शिविरों में रह रहे लोग कपड़े और जरूरत के अन्य सामान खरीद सकें। इस राहत शिविर में 106 महिलाएं और बच्चे रह रहे हैं। पिछले महीने राज्य में हिंसा शुरू होने के बाद से करीब 50000 लोग 300 से अधिक राहत शिविरों में रह रहे हैं। वित्तीय सहायता संबंधित जिला अधिकारियों के जरिए दी जाएगी।
 
सिंह ने कहा कि केंद्र 24 घंटे राज्य की स्थिति पर नजर रख रहा है और राज्य प्रशासन सभी लोगों को सहायता मुहैया कराने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि उन संवेदनशील इलाकों में करीब 40,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है, जहां उग्रवादियों के हमले की आशंका है।
 
सिंह ने कहा कि रविवार को उनकी नई दिल्ली यात्रा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें आश्वासन दिया है कि केंद्र राज्य के पहाड़ी इलाकों में उग्रवादी गतिविधियों पर गौर करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने शाह को बताया कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है कि घाटी के इलाकों में अशांति न हो।
 
सेना ने लोगों से मदद मांगी : सेना ने लोगों से मणिपुर में शांति बहाल करने में उनकी मदद करने का आग्रह करते हुए कहा कि हिंसा प्रभावित इस पूर्वोत्तर राज्य में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियान में बाधा डाल रही हैं। सेना के ‘स्पीयर्स कोर’ ने सोमवार देर रात ट्विटर पर ऐसी कुछ घटनाओं का एक वीडियो साझा किया और कहा कि इस तरह का ‘अनुचित हस्तक्षेप’ सुरक्षा बलों को समय पर जरूरी कार्रवाई करने से रोकता है।
 
यह बयान इंफाल ईस्ट जिले के इथम गांव में सेना और महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ के बीच गतिरोध के दो दिन बाद आया है, जिसके कारण सुरक्षा बलों को वहां छिपे 12 उग्रवादियों को जाने देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। ‘स्पीयर्स कोर’ ने ट्वीट किया कि मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियान में बाधा डाल रही हैं। (भाषा/वेबदुनिया) 
 
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