• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. प्रादेशिक
  4. mehbuba mufti kashmir election
Written By सुरेश डुग्गर

अब महबूबा मुफ्ती ने किया निकाय चुनाव के बहिष्कार का ऐलान

अब महबूबा मुफ्ती ने किया निकाय चुनाव के बहिष्कार का ऐलान - mehbuba mufti kashmir election
श्रीनगर। कुछ महीने पहले भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने वाली पीडीपी ने सोमवार को राज्य में निकट भविष्य में होने जा रहे स्थानीय निकाय व पंचायत चुनावों में भाग न लेने का ऐलान कर दिया है। हालांकि पीडीपी इन चुनावों से पीछे हटने का संकेत पहले ही दे दिया था, लेकिन औपचारिक घोषणा सोमवार को पार्टी कोर समूह की बैठक के बाद लिया है।
 
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पार्टी कोर समूह और राजनीतिक सलाहकार समिति की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हम इन चुनावों में भाग नहीं लेंगे। मौजूदा हालात चुनाव लायक नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि एक तरफ केंद्र व राज्य सरकार धारा 35ए के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध नजर नहीं आती, जिससे यहां लागों में असुरक्षा की भावना लगातार बड़ रही है। दूसरी तरफ यहां का सुरक्षा परिदृश्य भी बेहतर नहीं है। हमने कोर समूह की बैठक में फैसला लिया है कि इन चुनावों में भाग लेने का कोई औचित्य नहीं है। केंद्र सरकार को  मौजूदा परिस्थितियों में रियासत में पंचायत व स्थानीय चुनावों को कुछ समय के लिए स्थगित करना चाहिए। सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
 
मुफ्ती ने श्रीनगर में कहा कि हम अनुच्छेद 35ए को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता ने बहुत कुर्बानी दी है और कोई अनुच्छेद 35ए की वैधता से इनकार नहीं कर सकता।
 
पीडीपी प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने कहा कि अनुच्छेद 35ए के संबंध में लोगों की आशंकाओं को जब तक संतोषप्रद तरीके से नहीं सुलझाया जाता, हम समझते हैं कि निकाय और पंचायत चुनाव कराना बेकार की कवायद होगा।
 
कुछ दिन पहले ही नेशनल कान्फ्रेंस ने घोषणा की थी कि जब तक भारत सरकार और राज्य सरकार अनुच्छेद 35ए पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करेगी और इसे बचाने के लिए अदालत में तथा अदालत के बाहर प्रभावी कदम नहीं उठाती, तब तक वह पंचायत चुनाव नहीं लड़ेगी और 2019 के चुनाव भी नहीं लड़ेगी।
 
जम्मू-कश्मीर में सात वर्ष से अधिक समय से निकाय और दो साल से पंचायत चुनाव लंबित हैं। इस दौरान नेकां और पीडीपी, दोनों की सरकार रही। चुनाव न कराए जाने की वजह आतंकवाद और कानून-व्यवस्था बताई गई। पर असल वजह राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी थी। अब केंद्र को लगता है कि निकाय/पंचायत चुनाव कराने से उसे लोकसभा चुनाव में फायदा होगा। इसलिए खुद प्रधानमंत्री ने चुनाव कराने की बात की थी। अलगाववादी और आतंकवादी पंचायत चुनाव नहीं चाहते। उन्होंने धमकी दी है कि चुनाव में हिस्सा लेने वालों को वे अपाहिज कर देंगे, ताकि उन्हें पूरा सरकारी मुआवजा भी न मिले।
 
इसी डर से अनंतनाग लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं हो पाया। ऐसे में, निकाय/पंचायत चुनाव करा पाना टेढ़ी खीर है। पर केंद्र को लगता है कि वह संगीनों के साये में चुनाव करवा लेगा। असल समस्या दक्षिण कश्मीर के आतंक प्रभावित चार जिले हैं। फिलहाल कश्मीर में सुरक्षा बलों की भी कमी नहीं। अमरनाथ यात्रा में लगी फौज को अभी वापस नहीं भेजा गया है।
 
पर अब अनुच्छेद 35-ए के मसले पर नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने केंद्र से अपना पक्ष स्पष्ट करने की नई शर्त रख दी है। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर विधानसभा को स्थायी नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर के अलावा दूसरे राज्य का नागरिक यहां संपत्ति नहीं खरीद सकता, न यहां का नागरिक बन सकता है।
 
इसके तहत जम्मू-कश्मीर की लड़की अगर किसी दूसरे राज्य के लड़के से शादी करती है, तो उसके और उसके बच्चों के कश्मीरी होने के अधिकार खत्म हो जाते हैं। चूंकि इस अनुच्छेद को संसद के जरिये लागू नहीं किया गया है, इसलिए कश्मीरी डरे हुए हैं। वे इस पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई भी नहीं चाहते।
 
फारूक अब्दुल्ला ने एक हफ्ता पहले ही जनता से निकाय/पंचायत चुनाव में हिस्सा लेने की अपील की थी। अचानक ही उन्होंने चुनाव के बहिष्कार का एलान कर दिया। उन्हें लगा कि अगर उनकी पार्टी ने यह फैसला नहीं किया, तो पीडीपी बहिष्कार का एलान कर देगी। अब फारूक की देखा-देखी महबूबा को भी बहिष्कार की घोषणा करनी पड़ी। 
ये भी पढ़ें
जम्मू कश्मीर की शख्सियत रीता जितेन्द्र की लाइव शो में हार्टअटैक से मौत