कश्मीर में सरकार का रास्ता साफ, मुफ्ती के बिना होगा गठजोड़
जम्मू। जल्द ही कश्मीर में फिर से गठबंधन सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। भाजपा नेता चाहे इंकार करते रहें, पर सत्ता की भूख की खातिर भाजपा ने एक बार फिर से पीडीपी के साथ हाथ मिलाने की कवायद तेज की है। इस बार फर्क सिर्फ इतना होगा कि यह गठबंधन महबूबा मुफ्ती के बिना होगा और मुख्यमंत्री भी तीसरा पक्ष अर्थात न पीडीपी और न ही भाजपा से होगा। यह होगा कैसे, फिलहाल भाजपा पत्ते खोलने को राजी नहीं है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा, पीडीपी के साथ दोबारा गठजोड़ कर सकती है, लेकिन महबूबा मुफ्ती के बिना। इस विषय में राम माधव की प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पूर्व उपमुख्यमंत्री कवीन्द्र गुप्ता, सत शर्मा, सुनील शर्मा, राजीव जसरोटिया और बाली भगत के साथ करीब ढाई घंटे मैराथन बैठक भी चली। सूत्रों के अनुसार पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व को लेकर भाजपा में मतभेद हैं इसलिए अगर पीडीपी की तरफ से महबूबा के बिना कोई प्रस्ताव आता है तो उस पर आगे बात हो सकती है।
राम माधव के आगमन के बाद राज्य में भाजपा द्वारा दोबारा गठबंधन सरकार बनाने की अटकलें जोर नहीं पकड़तीं, अगर वे बीती रात पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद अहमद गनी लोन से मुलाकात करने के अलावा गुरुवार सुबह नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री गुलाम हसन मीर से करीब 1 घंटे बैठक नहीं करते।
गुलाम हसन मीर इस समय बेशक विधायक नहीं हैं, लेकिन वे माकपा विधायक मोहम्मद यूसुफ तारीगामी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के चेयरमैन एवं विधायक हकीम मोहम्मद यासिन के करीबी हैं। वे उनके साथ बीते कुछ समय से राज्य में एक तीसरे फ्रंट के गठन के प्रयास भी कर रहे हैं।
सही मायनों में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव के कश्मीर दौरे ने फिर राज्य की सियासत में अटकलों को जन्म दे दिया है। राम माधव ने गुरुवार को श्रीनगर में न सिर्फ भाजपा नेताओं बल्कि कई गैरभाजपा सियासतदानों व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से राज्य में अनुच्छेद 35ए के मुद्दे पर पैदा हुए हालात पर चर्चा की। भाजपा ने दौरे का कोई अधिकारिक बयान तो जारी नहीं किया है, लेकिन बताया जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा संपन्न होने के बाद भाजपा राज्य में फिर से सरकार बनाने की कवायद में जुटेगी।
ऐसे में यह देखने वाला नजारा होगा कि भाजपा एक बार फिर से सत्ता का सुख भोगने की खातिर कहां तक जा सकती है? जबकि यह सच्चाई है कि जिस जम्मू संभाग की जनता ने भाजपा को इस शिखर तक पहुंचाया था, वह पहले ही पीडीपी के साथ हुए गठबंधन के कारण नाराज थी और एक बार फिर से पीडीपी को साथ लेकर चलने की चर्चाओं ने कार्यकर्ताओं व समर्थकों में गुस्सा पनपा दिया है।