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Last Updated : रविवार, 24 जनवरी 2021 (22:27 IST)

हरिद्वार में हुआ महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी के तुलादान उत्सव का आयोजन

हरिद्वार में हुआ महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी के तुलादान उत्सव का आयोजन - Mahamandaleshwar Kailashanand Giri's Tuladan festival organized in Haridwar
हरिद्वार। श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के नवनियुक्त आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी का आज हरिद्वार के दक्षिण काली पीठ मंदिर में तुलादान उत्सव आयोजित किया गया। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी के शिष्य आनंद गिरि ने संतों के साथ मिलकर तुलादान उत्सव का आयोजन किया, जिसमें कैलाशानंद गिरी को फल, सब्जी और मिठाइयों से तोला गया। इस मौके पर साधु-संतों के साथ कैलाशानंद गिरी के भक्त भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने इस मौके पर कहा कि तुलादान करने की हमारी अनादिकाल से परंपरा रही है तुलादान का अर्थ होता है कि हमारे सभी कार्य निर्विघ्नं संपन्न हुए और अब वह कार्य देश और समाज के हित के लिए निर्विघ्न रूप से चलते रहें, उसमें कोई बाधा नहीं आए, इसके लिए तुलादान किया जाता है। उन्होंने कहा कि उन्हें श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा में आचार्य महामंडलेश्वर के पद पर आसीन किया गया है और आज अखाड़े के संतों ने मिलकर उनका तुलादान उत्सव मनाया है।

तुलादान महोत्सव का आयोजन करने वाले निरंजनी अखाड़ा के संत आनंद गिरि ने इस मौके पर कहा कि किसी शुभ कार्य के पूर्ण होने पर हम तुलादान करते हैं। श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पीठ पर कैलाशानंद गिरी का अभिषेक हुआ है जिसके निर्विघ्न संपन्न होने के बाद आज हमारे द्वारा तुलादान उत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर महंत लोकेश दास, अवन्तिकानंद सहित कई साधु-संत मौजूद रहे।

अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद ने किया अभिनंदन : अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद के पदधिकारियों ने दक्षिण काली मन्दिर पहुंचकर श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के नव नियुक्त आचार्य महामण्डलेश्वर दक्षिण काली पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज का नारियल, पुष्प एवं अंगवस्त्र प्रदान कर अभिनन्दन किया।

इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष पं. मनोज गौतम, प्रदेश संयोजक पं. बालकृष्ण शास्त्री ने नवनियुक्त आचार्य को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संतों के अखाड़े हमारी सनातन संस्कृति के संवाहक हैं एवं सर्व समाज के लिए अखाड़ों का सराहनीय योगदान रहता है।

उन्होंने कहा कि नवनियुक्त आचार्यश्री के मार्गदर्शन में सनातन संस्कृति का संरक्षण व संवर्द्धन निरन्तर होता रहेगा और साधु-संतों की परंपराओं को समाज में प्रचारित कर धर्म व संस्कृति के प्रति जागरूक करने का कार्य होगा। पूज्य आचार्य महामण्डलेश्वर ने परिषद के सभी पदाधिकारियों को प्रसाद एवं आशीर्वाद दिया।

उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से लाई जा रही है देव डोलियां : इन दिनों कुंभ वर्ष शुरू हो जाने से उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के गांव और शहरों दे देव डोलियों को हरिद्वार लाकर स्नान कराने के दुर्लभ दृश्य ऐसे हैं, जैसे कि देवता स्नान के लिए पृथ्वी परआ गए हों। पिथौरागढ़ और टिहरी जिले से लाई गईं देव डोलियों को कुंभ पर्व के लिए मंगलवार को हर की पैड़ी स्थित पौराणिक ब्रह्मकुंड में स्नान कराया गया। ये देव डोलियां ईश्वर महादेव मंदिर जागेश्वर अल्मोड़ा, हल्द्वानी, दिनेशपुर बाजपुर, रुद्रपुर और यमुनोत्री धाम आदि तीर्थ स्थलों का भ्रमण करते हुए हरिद्वार पहुंची थीं।

हरिद्वार पहुंचकर देव डोलियों ने राधा कृष्ण आश्रम शांतिकुंज से भजन और देव ध्वनि रणसिंघा, ढोल के साथ देव डोली नृत्य यात्रा की शुरुआत की।  इस दौरान देव डोली यात्रा में उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों से आए श्रद्धालुओं ने स्वच्छता के लिए लोगों को जागरूक भी किया।  नगर भ्रमण के दौरान देव डोली नृत्य यात्रा का हरिद्वार में जगह-जगह साधु-संतों ने भव्य स्वागत भी किया।

देव डोलियों के साथ हरिद्वार में गंगा स्नान करने पहुंचे टिहरी के श्रद्धालुओं ने बताया कि यह मां भगवती की डोली है और मां कंडयाल गांव में कंडयाल देवी पर्वत पर विराजमान हैं। गढ़वाल और कुमाऊं मंडल से भारी संख्या में लोग देव डोलियों के साथ हरिद्वार पहुंचे हैं।  मां भगवती और गढ़वाल-कुमाऊं के देवी-देवताओं को मान्यता के अनुसार गंगा में स्नान कराया जाता है।  कुंभ वर्ष में देवताओं को स्नान कराने का विशेष महत्व होता है।