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Last Updated : बुधवार, 24 जनवरी 2018 (18:23 IST)

देवेगौड़ा का सिद्धरमैया के साथ मंच पर बैठने से इनकार

देवेगौड़ा का सिद्धरमैया के साथ मंच पर बैठने से इनकार - devegowda not to share dias with siddharamiah
बेंगलुरू । राज्य में विधान सभा चुनावों से पहले अफवाहों का बाजार गर्म है कि भाजपा और जेडीएस किसी गुप्त समझौते के काफी नजदीक हैं जिसके तहत पार्टी उन सीटों पर जेडीएस (जनता दल-एस) मजबूत उम्मीदवार खड़े करेगी जहां कांग्रेस की पकड़ मजबूत है।
 
इतना ही नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के साथ किसी भी मंच पर बैठने से इनकार कर दिया है। चुनावों से ठीक पहले कर्नाटक में भाजपा और जेडीएस के बीच नजदीकी बढ़ रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में भी दोनों पार्टियां साझा सरकार बना चुकी हैं।  
 
कथित तौर पर कहा जा रहा है कि देवेगौड़ा ने घोषणा कर दी है कि आगामी 7 फरवरी को भगवान महावीर के महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम में वे मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के साथ मंच पर नही बैठेंगे। दरअसल सात फरवरी को हासन जिले के श्रवणबेलगोला में भगवान महावीर का मस्तकाभिषेक कार्यक्रम है जिसमें राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री दोनों के आने की संभावना है। 
 
लेकिन देवेगौड़ा ने इस कार्यक्रम के दौरान ऐसे किसी भी मंच पर बैठने से इनकार किया है जिसपर मुख्यमंत्री सिद्दरमैया बैठेंगे। उन्होंने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि 'मैंने अपने जीवन में इससे बेकार सरकार नहीं देखी। सात फरवरी को राष्ट्रपति आ रहे हैं लेकिन जिले में डिप्टी कमिश्नर (डीसी) भी नहीं है।'  
 
अब आने वाले नए डीसी इतने कम समय में कैसे काम कर पाएंगे, किसी मंत्री को पैसा बनाना है, इसीलिए डीसी का तबादला कर दिया। सरकार में शर्म नाम की कोई चीज नहीं है, जब राष्ट्रपति आएंगे तो उस जिले का प्रतिनिधि होने के नाते मुझे वहां जाना होगा लेकिन जहां पर ये सीएम बैठेंगे उस प्लेटफार्म को मैं शेयर नहीं करूंगा।
 
विदित हो कि सोमवार को ही कर्नाटक में कई अधिकारियों का तबादला किया गया इनमें हासन जिले की डिप्टी कमिश्नर रोहिणी सिंदूरी भी हैं। देवेगौड़ा इसी बात से नाराज हैं। उनका कहना है कि इस कार्यक्रम से ठीक पहले डीसी को क्यों हटाया गया? जबकि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इस मामले में दो टूक जवाब दिया कि 'कई अधिकारियों के तबादले किए गए हैं और यह एक प्रशासनिक प्रक्रिया है।' 
 
उल्लेखनीय है कि सिद्धरमैया और देवेगौड़ा के बीच मतभेद एक दशक पुराना है। 2005 में देवेगौड़ा ने सिद्धरमैया को अपनी पार्टी जेडीएस से निकाल दिया था। उन पर आरोप लगाया गया था कि वे पार्टी के नेताओं को कांग्रेस में ले जाने के लिए बरगला रहे हैं।
 
दो बार राज्य के उप मुख्यमंत्री रहे सिद्धरमैया को कांग्रेस ने सोनिया गांधी की मौजूदगी में पार्टी में शामिल किया था। 2006 में जब देवेगौड़ा और कुमारस्वामी ने धर्म सिंह की सरकार गिराकर भाजपा के साथ साझा सरकार बनाई थी तब देवेगौड़ा ने इसका विरोध किया था।  
 
तब सिद्दरमैया ने देवेगौड़ा पर ही सवाल उठाया था कि अगर देवेगौड़ा इस मामले को इतनी गंभीरता से ले रहे हैं तो उन्हें अपने बेटे को पार्टी से तुरंत निकाल देना चाहिए। फिलहाल राज्य में चुनावों को अब करीब 3 महीने का समय रह गया है, ऐसे में देवेगौड़ा के सिद्दरमैया के खिलाफ दिए गए बयान के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। 
 
अफवाहों का बाजार गर्म है कि भाजपा और जेडीएस किसी गुप्त समझौते के काफी करीब हैं जिसके तहत उन सीटों पर जेडीएस मजबूत उम्मीदवार खड़े करेगी जहां कांग्रेस की पकड़ मजबूत है। 2013 में हुए विधान सभा चुनावों में 225 सीटों वाली कर्नाटक विधान सभा में बीजेपी और कांग्रेस को 40-40 सीटें मिली थीं और तब येद्द‍ियुरप्पा की बगावत भाजपा को महंगी पड़ी थी। 
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