Odisha में जंगल और बाघों के रक्षक हाथी महेंद्र को नहीं बचा सके डॉक्टर
Death of elephant Mahendra: ओडिशा के मयूरभंज जिले के सिमिलीपाल बाघ अभयारण्य (STR) में जंगल और बाघों की रक्षा में लगे 66 वर्षीय हाथी की इलाज के दौरान मौत हो गई। वन विभाग (Forest Department) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। रविवार रात करीब 10.30 बजे चहला कैंप में महेंद्र (Mahendra) नामक हाथी की मौत हो गई।
एसटीआर के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. प्रकाश चंद गोगिनेनी ने बताया कि हाथी ने रविवार सुबह से खाना-पीना बंद कर दिया था और उम्र से संबंधित कमजोरी के कारण उसकी मौत हो गई। गोगिनेनी ने बताया कि महेंद्र का इलाज पशु चिकित्सक अभिलाष आचार्य कर रहे थे। पोस्टमार्टम किया जाएगा।
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हाथी को माओवादी हमले में गोली लग गई थी : महेंद्र प्रशिक्षित हाथी था जिसे दिसंबर 2001 में कर्नाटक के राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान से 2 हथिनी भवानी और शोभा के साथ सिमिलीपाल लाया गया था। वर्ष 2012 में सिमिलीपाल में तैनाती के दौरान हाथी को माओवादी हमले में गोली लग गई थी। जंगल में शिकारियों के तीर से भी हाथी को चोट लगी थी। हालांकि एक अधिकारी ने बताया कि हाथी ठीक हो गया और फिर से काम पर लग गया।
बाघिन सुंदरी की सुरक्षा के लिए भी तैनात किया गया था : महेंद्र को बाघिन सुंदरी की सुरक्षा के लिए भी तैनात किया गया था। इसे 2019 में मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य से अंगुल जिले के सतकोसिया वन्यजीव अभयारण्य में लाया गया था। बाद में इस बाघ को वापस सिमिलीपाल में स्थानांतरित कर दिया गया।
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वन अधिकारियों और स्थानीय समुदायों ने सोमवार को महेंद्र की मौत पर शोक जताया और हाथी को सच्चा हीरो बताया, क्योंकि वह सिमिलीपाल में वन्यजीवों का रक्षक था। वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि महेंद्र सिर्फ हाथी नहीं था, बल्कि शिकारियों और लकड़ी तस्करों के खिलाफ रक्षक भी था। उसकी बहादुरी को हमेशा याद रखा जाएगा।(भाषा)(प्रतीकात्मक चित्र)
Edited by: Ravindra Gupta