हार के बाद सदमे में कांग्रेस, जम्मू-कश्मीर को मिलेंगे दो प्रदेशाध्यक्ष
जम्मू। जम्मू-कश्मीर में संसदीय चुनावों में हार के बाद सदमे में प्रदेश कांग्रेस को अब 2 प्रदेशाध्यक्ष की सौगात मिलेगी। दरअसल, संसदीय चुनाव में हार के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी में उथल-पुथल तय है। राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस के पुनर्गठन की पूरी संभावना है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि रमण भल्ला को जम्मू संभाग, तारिक हमीद करा को कश्मीर और रिगजिन जोरा को लद्दाख संभाग का कार्यवाहक प्रधान बनाया जा सकता है।
संसदीय चुनाव में प्रदेश प्रधान जीए मीर अनंतनाग संसदीय सीट से चुनाव हार गए हैं। गांधी नगर विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे रमण भल्ला ने इस बार जम्मू-पुंछ संसदीय क्षेत्र से संसदीय चुनाव लड़ा। वे भले ही भाजपा के उम्मीदवार जुगलकिशोर शर्मा से चुनाव हार गए, लेकिन उनको 5.55 लाख के करीब वोट मिले। ऐसे में भल्ला एक मजबूत नेता के रूप में उभरकर सामने आए हैं।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि जम्मू संभाग में पार्टी के कार्यवाहक प्रधान में रमण भल्ला का नाम सबसे ऊपर है। लद्दाख में पार्टी के नेता नवांग रिगजिन जोरा 3 बार विधायक रह चुके हैं। वे पीडीपी-कांग्रेस और बाद में नेकां-कांग्रेस गठबंधन सरकार में मंत्री भी रहे। लद्दाख में वे कांग्रेस के सशक्त नेता के रूप में जाने जाते हैं। जोरा को लद्दाख और तारिक हमीद करा को कश्मीर संभाग का कार्यवाहक प्रधान बनाया जा सकता है।
रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने श्रीनगर में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की थी। इसमें कश्मीर, जम्मू और लद्दाख के नेता शामिल हुए। जम्मू-कश्मीर में हार के कारणों पर मंथन किया गया, जिसमें पार्टी को राज्य के तीनों संभागों में मजबूत करने के लिए कार्यवाहक प्रधान बनाने पर चर्चा हुई।
पार्टी की जम्मू-कश्मीर मामलों की प्रभारी अंबिका सोनी बैठक में शामिल नहीं हो पाईं। आजाद ने तीनों क्षेत्रों के नेताओं से पार्टी की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल की। बैठक के बारे में औपचारिक तौर पर तो कुछ जानकारी नहीं दी गई, लेकिन सूत्र बताते हैं कि गुलाम नबी आजाद दिल्ली में अंबिका सोनी, पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से सलाह-मशविरा करेंगे। जीए मीर को प्रधान बने चार साल से अधिक का समय बीत गया है। प्रदेश प्रधान के पद से मीर को बदलने का फैसला अभी तय नहीं है। इसका फैसला राहुल गांधी को लेना है।