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Last Modified: येवला , सोमवार, 18 नवंबर 2024 (18:57 IST)

Maharashtra Election : छगन भुजबल ने CM योगी के नारे से बनाई दूरी, बोले- बहुमत के साथ बनी रहेगी महायुति सरकार

Chhagan Bhujbal
Maharashtra assembly elections : अन्य पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ राकांपा नेता और महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने भारतीय जनता पार्टी के चुनावी नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ से दूरी बनाते हुए कहा कि ‘महायुति’ सरकार अच्छे बहुमत के साथ सत्ता में बनी रहेगी। भुजबल येवला सीट से चुनाव मैदान में हैं, जबकि उनके भतीजे समीर भुजबल मनमाड-नंदगांव विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार हैं।
 
नासिक जिले के येवला कस्बे में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता भुजबल ने यह भी दावा किया कि कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में चल रहा मराठा आरक्षण आंदोलन येवला और मनमाड-नंदगांव निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव परिणाम को प्रभावित नहीं करेगा।
भुजबल येवला सीट से चुनाव मैदान में हैं, जबकि उनके भतीजे समीर भुजबल मनमाड-नंदगांव विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार हैं। भुजबल ने कहा कि मराठा कार्यकर्ता शनिवार सुबह येवला आए और एक सभा को संबोधित करने तथा मेरी सार्वजनिक बैठकों में बाधा डालने का प्रयास करने के बाद आधी रात के बाद वहां से चले गए।
 
राकांपा (शरदचंद्र पवार) के माणिकराव शिंदे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे भुजबल ने कहा, सब ठीक है। मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र को अच्छी तरह जानता हूं। इसका ज्यादा असर नहीं होगा। भुजबल (77) को विश्वास है कि क्षेत्र में उनके द्वारा शुरू की गई कई विकास परियोजनाएं चुनावों में उनकी संभावनाओं को मजबूत करेंगी।
 
उन्होंने अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को भाजपा के चुनावी नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ से अलग करते हुए कहा, हमारा इन नारों से कोई लेना-देना नहीं है। हमारी पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। मैं सिर्फ विकास की बात करता हूं। राकांपा नेता ने कहा, विकास मेरी जाति है, विकास मेरा धर्म है, विकास मेरी पार्टी है और मेरी भाषा भी विकास ही होगी। मैं सिर्फ विकास की बात करता हूं और कुछ नहीं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा बिना किसी भेदभाव के सभी समुदायों के साथ न्याय करने में विश्वास रखती है। भुजबल ने कहा, मेरे निर्वाचन क्षेत्र में हिंदू, मुस्लिम, दलित, आदिवासी और मराठा आदि सभी लोग रहते हैं। हम किसी भी समुदाय के साथ भेदभाव नहीं करते। विकास ही हमारा एकमात्र एजेंडा है।
 
उल्लेखनीय है कि अजित पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र के लोगों को बंटेंगे...का नारा पसंद नहीं है, वह उत्तर भारत में काम कर सकता है। ‘महायुति’ के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में भुजबल ने कहा कि तीनों घटक दलों के नेता चुनाव के बाद इस पर फैसला करेंगे। महायुति में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, भाजपा और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा शामिल हैं।
भुजबल ने कहा, कोई भी मुख्यमंत्री बन सकता है। चाहे वो मराठा हो, ओबीसी हो या ब्राह्मण। क्या किसी ने कभी सोचा था कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनेंगे? राजनीति में कुछ भी संभव है। महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को मतों की गिनती होगी।
 
अनुभवी राजनेता भुजबल येवला विधानसभा क्षेत्र से लगातार पांचवीं बार जीत की कोशिश कर रहे हैं। वह यहां से 2004 से चुनाव लड़ रहे हैं। नासिक में जन्मे भुजबल मुंबई के भायखला बाजार में सब्जी बेचने का काम करते थे। बालासाहेब ठाकरे से प्रेरित होकर वह 1960 के दशक में शिवसेना में शामिल हो गए। वह 1985 में मुंबई के महापौर चुने गए।
 
भुजबल मुंबई के मझगांव से विधायक के रूप में दो बार लगातार जीते- पहली बार 1986 में शिवसेना के टिकट पर और बाद में 1991 में शिवसेना छोड़ने के बाद कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में। भुजबल को 1996 में शिवसेना के बाला नांदगांवकर ने हराया। कांग्रेस ने उन्हें विधान परिषद भेजा, जहां उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में भी काम किया।
मुंबई की चुनावी राजनीति में अपने भविष्य के बारे में अनिश्चित भुजबल ने अपना आधार येवला में स्थानांतरित कर लिया, जो उस समय एक अविकसित क्षेत्र था, क्योंकि स्थानीय लोगों ने एक वरिष्ठ नेता द्वारा प्रतिनिधित्व की इच्छा व्यक्त की थी। भुजबल इस चुनावी मुकाबले के लिए क्षेत्र में अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों पर भरोसा कर रहे हैं। भुजबल ने येवला में बताया, पिछले चुनाव में मैं 60,000 वोटों से जीता था। इस बार क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों के कारण यह अंतर बढ़कर एक लाख हो सकता है।
 
अपना अनुभव साझा करते हुए भुजबल ने कहा कि हर चुनाव में करीब 50,000 लोग उनके खिलाफ वोट करते हैं। उन्होंने कहा, इस बार यह संख्या या तो 10,000 कम होगी या 10,000 बढ़ जाएगी। भुजबल के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उन पर शरद पवार को धोखा देने और जुलाई 2023 में अजित पवार का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं, जिन्होंने उनके राजनीतिक करियर को बड़े पैमाने पर आकार दिया।
शरद पवार ने पिछले सप्ताह यहां एक रैली में कहा था, छगन भुजबल ने मुझसे कहा था कि वह अजित पवार से बात करेंगे और उन्हें सबकुछ स्पष्ट बता देंगे। लेकिन वह कभी वापस नहीं आए और अगले ही दिन उन्होंने मंत्री पद की शपथ ले ली। शरद पवार पिछले साल राकांपा में हुए विभाजन का जिक्र कर रहे थे, जब अजित पवार ने दो तिहाई विधायकों के समर्थन का दावा किया था और शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे। (भाषा)
Edited by: Chetan Gour