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Last Modified: बुधवार, 9 नवंबर 2022 (13:22 IST)

बड़ी खबर, संजय राउत को PMLA कोर्ट से जमानत

बड़ी खबर, संजय राउत को PMLA कोर्ट से जमानत - bail to shivsena leader sanjay raut
नई दिल्ली। शिवसेना नेता संजय राउत को बुधवार को 1040 करोड़ के पत्रा चॉल घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में स्पेशल PMLA कोर्ट से राहत मिल गई। वे करीब 100 दिनों से जेल में बंद हैं।
 
शिवसेना से राज्यसभा सदस्य इस समय न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद हैं। वे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी माने जाते हैं।
 
राज्यसभा सांसद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अगस्त की शुरुआत में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उपनगरीय गोरेगांव में पत्रा 'चॉल' (पुरानी पंक्ति के घरों) के पुनर्विकास से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था। हालांकि राउत ने इन आरोपों से इंकार किया है और ईडी द्वारा दर्ज मामले को 'झूठा' करार दिया।
 
क्या है Patra Chawl घोटाला : मुंबई का सिद्धार्थ नगर, जिसे स्थानीय लोग पत्रा चॉल भी कहते हैं, दक्षिण मुंबई, गोरेगांव में स्थित है। करीब 47 एकड़ में फैली इस पत्रा चॉल में कुल 672 घर बने हुए हैं। बात शुरू होती है साल 2008 से, जब महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) ने इस जगह के पुनर्विकास (Re-Development) का काम शुरू किया था। इस हेतु डेवेलपमेंट अथॉरिटी ने गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (GACPL) को इस क्षेत्र के पुनर्विकास का कॉन्ट्रैक्ट दिया था। एक लीगल कॉन्ट्रैक्ट तैयार किया गया, जिसमें MHADA, GACPL और 672 किराएदार शामिल थे। इस बात को 14 साल बीत चुके, लेकिन पत्रा चॉल के रहवासियों को आज भी अपना घर नहीं दिया गया।
 
ऐसे हुई पत्रा चॉल परियोजना में गड़बड़ी: कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक, GACPL  द्वारा प्रोजेक्ट पूरा होने तक सभी 672 किराएदारों को हर महीने किसी अन्य स्थान पर रहने के लिए किराया देना था। लेकिन, किराया केवल 2015 तक ही दिया गया, जिसके बाद किराएदारों ने इस संबंध में शिकायत की। इसी के कुछ दिनों बाद ये खबर सामने आती है कि प्रवीण राउत ने GACPL के साथ मिलकर जमीन निजी डेवेलपर्स को 901.79 करोड़ में बेच दी है और एक नव-निर्मित बैनर के तले उन्हें दूसरे खरीदारों को बेचना भी शुरू कर दिया है। 
 
इस गड़बड़ी की खबर जब MHADA को लगी, तो उसने GACPL को टर्मिनेशन लेटर जारी किया। इस नोटिस के विरुद्ध GACPL को करोड़ों का भुगतान करके जमीन खरीदने वाले डेवेलपर्स ने बॉम्बे हाई कोर्ट में केस कर दिया। मामला कोर्ट पहुंचा और पत्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना को रोक दिया गया, जिसके बाद किराएदारों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। 
 
14 साल बाद भी अधर में लटका है प्रोजेक्ट: 2020 में महाराष्ट्र सरकार ने 672 किराएदारों के पुनर्वास और बकाया किराए का भुगतान करने के लिए एक समिति का गठन किया। समिति ने MHADA से सिफारिश की, जिसके बाद 2021 में इस अधूरे कार्य को पूरा करने का प्रस्ताव जारी किया गया।  
 
इसी साल 22 फरवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निर्देशानुसार निर्माण कार्य फिर से शुरू किया गया, जिसके तहत MHADA ही पत्रा चॉल परियोजना में एक डेवलपर के रूप में काम करेगा और जल्द ही सभी 672 किराएदारों को मकान देगा। 
Edited by : Nrapendra Gupta 
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