क्या अखिलेश का इशारा मायावती के लिए था...
लखनऊ। बहुप्रतीक्षित बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के चुनावी गठबंधन का ऐलान लखनऊ में हो गया है, इसमें कांग्रेस शामिल नहीं है। यूपी लोकसभा की कुल 80 सीटों में 38-38 सीटों पर बसपा व समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ेगी। रायबरेली व अमेठी की सीटें कांग्रेस को व दो अन्य सीटें अन्य दलों को मिलेंगी।
यह ऐलान बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने किया। प्रधानमंत्री के सवाल पर अखिलेश यादव ने सीधा कोई जवाब तो नहीं दिया पर यह जरूर कहा कि देश का अगला प्रधानमंत्री उत्तरप्रदेश से होगा, कौन होगा यह जवाब मीड़िया पर छोड़ दिया कि आपको पता है। अखिलेश की बात पर अटकलें लगने लगी हैं कि क्या उनका इशारा मायावती की ओर था? जहां तक यूपी से प्रधानमंत्री होने की बात है तो वे नरेन्द्र मोदी भी हो सकते हैं और खिचड़ी सरकार की स्थिति में मुलायम सिंह यादव भी दावेदार बनकर उभर सकते हैं।
मायावती ने कहा कि दोनों दल किन-किन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे तथा वह स्वयं कहां से चुनाव लड़ेंगी इसका भी ऐलान शीघ्र कर दिया जाएगा। एक प्रश्न के उत्तर में मायावती ने कहा कि यह गठबंधन स्थाई और लम्बा चलेगा। यह आगामी विधानसभा चुनावों में भी रहेगा। मायावती ने कहा कि इस गठबंधन की नींव तो 4 जनवरी को दिल्ली में रख दी गई थी।
मायावती ने कहा कि उन्होंने 2 जून 1995 को घटित लखनऊ गेस्ट हाउस कांड को भूलकर देशहित व समाजहित में समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया है। यह नई राजनीतिक क्रान्ति का संदेश है।
मायावती ने कहा कि यह गठबंधन बीजेपी एंड कम्पनी को सत्ता में आने से रोकेगा, यदि भाजपा ने चुनावों में वोटिंग मशीन में गड़बड़ी न की। उन्होंने भाजपा को भाजपा को घोर सांप्रदायिक, उन्मादी, जातिवादी और घमंडी पार्टी बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने बेईमानी से सरकार बनाई है। नोटबंदी और जीएसटी ने जनता की कमर तोड़ी है।
मायावती ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस की कार्यशैली एक जैसी है। दोनों ही दलों की सरकारों पर रक्षा सौदों में घोटालों का आरोप है। कांग्रेस पर जहां बोफोर्स तो भाजपा पर राफेल रक्षा सौदों में घोटाले का आरोप है। इसी प्रकार, कांग्रेस ने जहां देश पर इमरजेंसी थोपी उसी प्रकार आज भाजपा की अघोषित इमरजेंसी जैसा माहौल है।
मायावती ने कांग्रेस से गठबंधन न हो पाने पर कहा कि बसपा ने वर्ष 1996 में कांग्रेस से विधानसभा उपचुनाव में चुनावी गठबंधन किया था, किन्तु यह अनुभव रहा है कि बसपा का वोट तो कांग्रेस को ट्रांसफर हो गया किन्तु कांग्रेस का वोट बसपा को नहीं मिला। सपा के साथ ऐसा नही है। उप्र के विधानसभा और लोकसभा के हालिया उपचुनावों में सपा-बसपा के बीच विश्वास पनपा है।
मायावती ने कहा कि गठबंधन को तोड़ने के लिए भाजपा ने सपा नेता अखिलेश यादव का नाम खनन घोटाले में उछाल दिया, किन्तु भाजपा की इस हरकत के खिलाफ बसपा अखिलेश के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने गठबंधन तोड़ने के लिए शिवपाल सिंह यादव पर पानी की तरह पैसा बहाया किन्तु सारी कोशिशें बेकार गईं।
इस मौके पर अखिलेश यादव भी भाजपा पर हमलावर रहे। उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले भाजपा षड़यंत्र रच सकती है। दंगा-फसाद करा सकती है। इस गठबंधन का काम भाजपा के षड्यंत्रों को खारिज करना है।