BSP के 6 विधायकों ने की बगावत, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से की मुलाकात
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 6 विधायकों ने बुधवार को बगावत कर दी। विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर किए गए अपने हस्ताक्षरों को फर्जी बताते हुए पीठासीन अधिकारी को एक शपथ पत्र देने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की।
श्रावस्ती से बसपा विधायक असलम राइनी ने बताया कि उन्होंने तथा पार्टी विधायकों- असलम चौधरी, मुज्तबा सिद्दीकी और हाकिम लाल बिंद ने रिटर्निंग अफसर को दिए गए शपथ पत्र में कहा है कि राज्यसभा चुनाव के लिए बसपा के प्रत्याशी रामजी गौतम के नामांकन पत्र पर प्रस्तावक के तौर पर किए गए उनके हस्ताक्षर फर्जी हैं। इस दौरान उनके साथ विधायक सुषमा पटेल और हरिगोविंद भार्गव भी थे।
माना जा रहा था कि नामांकन पत्रों की जांच के दिन हुए इस घटनाक्रम के बाद बसपा उम्मीदवार का पर्चा खारिज हो सकता है, मगर पीठासीन अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, गौतम का नामांकन पत्र वैध घोषित किया गया।
सपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश बजाज का नामांकन अवैध पाए जाने के कारण निरस्त कर दिया गया। पीठासीन अधिकारी को शपथ पत्र देने के बाद सभी छह बागी बसपा विधायकों ने सपा राज्य मुख्यालय पहुंचकर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की।
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बसपा के सभी छह विधायकों ने सपा अध्यक्ष अखिलेश से मुलाकात की है। हालांकि उन्होंने इस दौरान हुई बातचीत का ब्यौरा देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि अब मुलाकात हुई है तो कोई बात तो होगी ही।
उन्होंने दावा किया 'बसपा के साथ-साथ सत्तारूढ़ भाजपा के भी अनेक विधायक सपा के संपर्क में हैं और वे किसी भी वक्त पार्टी में शामिल हो सकते हैं। इस बीच, बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचन्द्र मिश्रा ने कहा कि बागी विधायकों के खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि विधायकों की खरीद-फरोख्त करना सपा की पुरानी परंपरा है और पूरा प्रदेश उसे देख रहा है। बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने कहा कि सपा समर्थित प्रत्याशी प्रकाश बजाज का नामांकन निर्धारित समयसीमा खत्म होने से महज दो मिनट पहले कराया गया जो एक दलित को राज्यसभा पहुंचने से रोकने की साजिश थी।
बगावत का झंडा उठाने के कारण के बारे में पूछे जाने पर इलाहाबाद की प्रतापपुर सीट से बसपा विधायक मुज्तबा सिद्दीकी ने कहा, पार्टी में अब हमारा उनका कोई मान-सम्मान नहीं रह गया था और न ही कोई सुनवाई हो रही थी। बसपा अध्यक्ष मायावती तो ठीक हैं, मगर पार्टी के कोआर्डिनेटर बहुत परेशान करते हैं, जिससे तंग आकर हमने यह कदम उठाया है।
गौरतलब है कि 403 सदस्यीय विधानसभा में 18 विधायकों वाली बसपा ने पर्याप्त संख्या बल नहीं होने के बावजूद पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक और बिहार इकाई के प्रभारी रामजी गौतम को राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है। गौतम ने गत सोमवार को नामांकन दाखिल किया था। उत्तर प्रदेश में एक राज्यसभा उम्मीदवार को जिताने के लिए 38 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है।(भाषा)