हमारे बीच रिश्ता धीरे-धीरे प्रगाढ़ होने लगा। चार सालों तक यह घनिष्ठता कायम रही। हर राखी पर मैं उनके घर और भाईदूज पर वो मेरे घर आने लगे। चार साल के बाद अचानक उनका ट्रांसफर मद्रास हो गया। पहले भाईसाहब वहाँ गए और बच्चों की परीक्षाएँ होने के बाद उनका पूरा परिवार ही वहाँ चला गया। जाते-जाते वो अपने घर का पता मुझे इस आग्रह के साथ देकर गए कि हर रक्षाबंधन पर मैं तुम्हारी राखी का इंतजार करूँगा।
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