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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 18 जनवरी 2025 (07:03 IST)

IIT से निकलकर मठ पहुंचे जीनियस, जानिए ऊंची एजुकेशन के बाद क्यों चुना अध्यात्म का रास्ता

IIT से निकलकर मठ पहुंचे जीनियस, जानिए ऊंची एजुकेशन के बाद क्यों चुना अध्यात्म का रास्ता - IITians who became sanyasis
IITians who became sanyasis: आज के आधुनिक जीवन में हर कोई ऊंची शिक्षा और अच्छी जॉब के बाद एक स्थाई जीवन चाहता है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति के पास यह सब चीज हो और उन्हें छोड़कर वह आध्यात्मिक की राह अपना ले तो जिज्ञासा पैदा होती है कि आखिर क्या वजह है कि इतनी उपलब्धियों के बाद कोई शख्स संन्यासी होने का फैसला करता है । हाल ही में कुंभ में 'इंजीनिअर बाबा' ने लोगों का खूब ध्यान खींचा। आज हम आपको कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद सन्यास का मार्ग चुना। ये सभी लोग IIT से पढ़े हुए हैं और इनकी कहानियां बेहद प्रेरणादायक हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।

स्वामी मुकुंदानंद
स्वामी मुकुंदानंद ने IIT दिल्ली से BTech और IIM कोलकाता से MBA किया है। वे एक जाने-माने आध्यात्मिक गुरु, लेखक और वेदों के जानकार हैं। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा के बाद सन्यास ले लिया और लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान देने का काम शुरू कर दिया।

गौर गोपाल दास
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में जन्मे गौर गोपाल दास ने पुणे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली है। 1996 तक हेवलेट पैकर्ड (HP) में काम करने के बाद वे इस्कॉन से जुड़े और संन्यासी बन गए।
 

गौरांग दास
भारत के जाने-माने आध्यात्मिक गुरु के तौर पर अपनी पहचान बना चुके गौरांग दास ने 1989 से 1993 के बीच IIT बॉम्बे से BTech किया है। पढ़ाई के तुरंत बाद ही वे इस्कॉन मुंबई के साथ जुड़कर साधु बन गए थे।

संदीप कुमार भट्ट
संदीप कुमार भट्ट ने IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। Larsen & Toubro में 3 साल नौकरी करने के बाद 2007 में सिर्फ 28 साल की उम्र में वे संन्यासी बन गए और उन्होंने अपना नाम स्वामी सुंदर गोपालदास रख लिया।

अविरल जैन
IIT BHU से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद अविरल ने Walmart कंपनी में नौकरी की। वह 2019 में नौकरी छोड़कर संन्यासी बन गए।
 

संकेत पारेख

IIT बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले संकेत जैन धर्म से इतना प्रभावित हुए कि वो सब कुछ छोड़कर संन्यासी बन गए।

मधु पंडित दासा

मधु पंडित दासा ने IIT बॉम्बे में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपना जीवन इस्कॉन को समर्पित कर दिया। वह वर्तमान में इस्कॉन बैंगलोर के अध्यक्ष भी हैं।3

क्यों चुना सन्यास का मार्ग?

इन सभी IITians ने अपनी शानदार करियर को छोड़कर सन्यास का मार्ग क्यों चुना? इस सवाल का जवाब हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकता है। कुछ लोगों ने आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में यह रास्ता चुना, तो कुछ ने मानव सेवा के लिए।