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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025 (14:19 IST)

प्रयागराज से पहले यहां होता है गंगा-यमुना का संगम, जानिए कौन-सी है ये त्रिवेणी

प्रयागराज से पहले यहां होता है गंगा-यमुना का संगम, जानिए कौन-सी है ये त्रिवेणी - GANGA YAMUNA CONFLUENCE UTTARAKHAND
पूरे देश में इस समय प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में त्रिवेणी संगम पर स्नान को लेकर खासा उत्साह है। लेकिन क्या आप जानते हैं प्रयागराज से पहले देवभूमि उत्तराखंड में भी एक त्रिवेणी स्थल है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर स्थित गंगाणी नामक स्थान पर गंगा और यमुना का संगम होता है। यहां प्राचीन कुंड से भागीरथी का जल यमुना से मिलता है। इस संगम में केदारगंगा नदी भी मिलती है, जिससे यह त्रिवेणी संगम बन जाता है।

गंगाणी कुंड की कहानी:  
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार पुराने समय में अपने तपस्या काल में पास के ही थान गांव में जमदग्नि ऋषि रहा करते थे। वो प्रतिदिन गंगा स्नान के लिए उत्तरकाशी जाते थे। वृद्धावस्था के समय अधिक दूरी और शारीरिक अक्षमता के कारण ये संभव नहीं हुआ इसलिए उन्होंने तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर मां गंगा उनके निवास के समीप गंगाणी कुंड में अवतरित हुईं।

गंगाणी का धार्मिक महत्व
गंगाणी का धार्मिक महत्व प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के समान ही है। भागीरथी के समान ही गंगाणी कुंड से निकलने वाले जल का स्तर घटता-बढ़ता रहता है। यहां स्नान करने से श्रद्धालुओं के पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां कई धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं, जैसे कि चूड़ाकर्म, विवाह और अन्य धार्मिक कार्य भी होते हैं। गंगाणी में हर साल फरवरी माह में कुंड की जातर का आयोजन होता है। यह एक धार्मिक उत्सव है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

सरकारी उपेक्षा का शिकार है गंगाणी का त्रिवेणी संगम
टिहरी रियासत के समय हर साल राजकोष से 20 रुपए यहां धूप दीप खर्चे के लिए मनीआर्डर से आता था, जो टिहरी के राजा मानवेंद्र शाह के निधन के बाद से आना बंद हो चुका है। प्रचार-प्रसार के अभाव और सरकारी उपेक्षा के चलते गंगाणी का त्रिवेणी संगम लोगों की नजरों से ओझल है। हालांकि, स्थानीय लोगों के लिए यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है और वे इसे पवित्र मानते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर गंगाणी का प्रचार-प्रसार किया जाए तो यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।