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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025 (14:24 IST)

भीष्म अष्टमी व्रत कब और कैसे किया जाता है, जानें पर्व के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Bhishma Ashtami 2025 Date: भीष्म अष्टमी व्रत कब और कैसे किया जाता है, जानें पर्व के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि - Bhishma Tarpan day celebrated on 5th February
Bhishma Ashtami Puja : भीष्म अष्टमी को भीष्म तर्पण दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन भीष्म पितामह को समर्पित है, जिन्होंने महाभारत के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अत: इस दिन को भीष्म तर्पण दिवस के रूप में विशेष तौर पर मनाया जाता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं यहां भीष्म अष्टमी के बारे में....ALSO READ: गुप्त नवरात्रि में करें त्रिपुर भैरवी का पूजन, पढ़ें महत्व, पूजा विधि, मंत्र और कथा
 
भीष्म अष्टमी कब और कैसे मनाई जाती है : प्रतिवर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी पर्व मनाया जाता है। यह दिन भीष्म तर्पण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो कि हर साल आने वाले माघ महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर पड़ता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन विशेषकर भीष्म पितामह तथा पितरों का तर्पण किया जाता है। यह दिन महाभारत के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भीष्म पितामह को समर्पित है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर भीष्म पितामह की मृत्यु हुई थी और उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। अत: इसे भीष्म अष्टमी पर्व के तौर पर मनाया जाता है। भीष्म पितामह कईं दिनों तक बाणों की
 
वर्ष 2025 में यह तिथि 05 फरवरी, दिन बुधवार को पड़ रही है। मान्यतानुसार इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है। कहा जाता है कि भीष्म पितामह ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था। इसलिए उन्हें पितृभक्त माना जाता है। अत: इस दिन उनका तर्पण करने से हमें पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। यह दिन महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह को समर्पित है।ALSO READ: अपनी बेटी को दें माँ नर्मदा के कल्याणकारी नाम, ये है पूरी लिस्ट
 
भीष्म अष्टमी पर पूजन के शुभ मुहूर्त 2025 :  Bhishma Ashtami Puja Muhurat 2025
भीष्म अष्टमी बुधवार, फरवरी 5, 2025 को
पूजन का मध्याह्न समय- सुबह 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 01 बजकर 41 मिनट तक।
कुल अवधि - 02 घंटे 11 मिनट्स
 
अष्टमी तिथि प्रारम्भ- फरवरी 05, 2025 को तड़के 02 बजकर 30 मिनट से। 
अष्टमी तिथि का समापन- फरवरी 06, 2025 को रात्रि 12 बजकर 35 मिनट पर। 
भीष्म तर्पण/ पूजन विधि जानें :
1. भीष्म अष्टमी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
2. एक थाली में तिल, जौ, कुश और जल रखें।
3. अपने पितरों का ध्यान करें और उन्हें जल अर्पित करें।
4. फिर भीष्म पितामह की तस्वीर या मूर्ति को पूजा जाता है। 
5. इसके बाद भीष्म पितामह का ध्यान करें और उन्हें भी जल अर्पित करें।
6. तत्पश्चात उन्हें फूल, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
7. बहुत से लोग इस दिन व्रत रखते हैं।
8. इस दिन 'ॐ भीष्माय नमः' मंत्र का जाप कर सकते हैं।
9. भीष्म पितामह की कथा पढ़ी या सुनी जाती है।
10. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवा कर तथा गरीबों को दान देना भी शुभ माना जाता है।
 
नोट : भीष्म अष्टमी पर्व के दिन आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार इस तर्पण विधि में बदलाव कर सकते हैं। या किसी पंडित से विशेष मार्गदर्शन ले सकते हैं। 
 
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