Gupt Navratri 2025: मां धूमावती, महाविद्याओं में सातवीं महाविद्या हैं। इनका स्वरूप विधवा स्त्री का है, जो श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं, खुले केश हैं, और कौवे पर सवार हैं। इन्हें दुर्भाग्य, दरिद्रता और निराशा की देवी माना जाता है। देवी धूमावती का स्वरूप भले ही भयानक हो, लेकिन वे अपने भक्तों पर कृपा बरसाने वाली हैं। तिल मिश्रित घी से इस महाविद्या की सिद्धि के लिए होम किया जाता है।
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आइए यहां जानते हैं देवी धूमावती की कथा, माता का स्वरूप, महत्व और पूजा विधि...
कैसे हुई देवी धूमावती की उत्पत्ति: देवी धूमावती की उत्पत्ति के संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, जब सती ने अपने पिता के यज्ञ में अपने पति का अपमान देखा, तो उन्होंने क्रोधित होकर स्वयं को अग्नि में भस्म कर लिया। उनके जलते हुए शरीर से जो धुआं निकला, उससे धूमावती का जन्म हुआ। इस माता की पूजा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार सती भगवान शिव के साथ हिमालय में घूम रही थीं। उन्हें बहुत भूख लगी। उन्होंने शिव से कहा कि उन्हें भोजन चाहिए। शिव ने कहा कि अभी कोई प्रबंध नहीं हो सकता। तब सती ने कहा कि ठीक है, मैं तुम्हें ही खा जाती हूं। और वे शिव को ही निगल गईं।
भगवान शिव तो स्वयं इस जगत के परिपालक हैं। लेकिन देवी की लीला में वे भी शामिल हो गए। भगवान शिव ने उनसे अनुरोध किया कि 'मुझे बाहर निकालो', तो उन्होंने उगल कर उन्हें बाहर निकाल दिया। बाहर निकालने के बाद शिव ने उन्हें शाप दिया कि 'आज और अभी से तुम विधवा रूप में रहोगी।' अत: धूमावती का कोई स्वामी नहीं होने के कारण यह विधवा माता मानी गई है।
गुप्त नवरात्रि में देवी धूमावती की पूजा का महत्व: गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं की पूजा का विशेष महत्व है। देवी धूमावती की पूजा से साधक को कई लाभ प्राप्त होते हैं। देवी धूमावती की पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा दरिद्रता दूर होती है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इस देवी धूमावती की पूजा से रोगों से मुक्ति भी मिलती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
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देवी धूमावती की पूजा से दुर्भाग्य दूर होता है तथा संतानहीन दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। इस देवी पूजन को लेकर यह भी मान्यता है कि देवी धूमावती की पूजा से वशीकरण शक्ति प्राप्त होती है। देवी धूमावती को रहस्यमयी और करुणामयी देवी के रूप में जाना जाता है।
देवी धूमावती की पूजा विधि: देवी धूमावती की पूजा अन्य देवियों की तरह ही की जाती है।
1. सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. देवी धूमावती की प्रतिमा या चित्र को एक चौकी पर स्थापित करें।
3. उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
4. 'धूं धूं धूमावती स्वाहा' या 'ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:' मंत्र का जाप करें।
5. देवी धूमावती की कथा पढ़ें या सुनें।
6. फिर आरती करें और देवी से अपनी मनोकामना पूर्ण करने को कहें।
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