निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान रथ पर बैठीं हर्षा रिछारिया, क्यों मचा बवाल?
शंकराचार्य समेत कई संतों का मानना है कि महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता को देखा जाना चाहिए।
Harsha Richhariya Mahakumbh 2025 : निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान एक रथ पर संतों के साथ हर्षा रिछारिया के बैठने को लेकर विवाद पैदा हो गया। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, काली सेना के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप समेत कई संतों ने इस पर आपत्ति जताई है। हर्षा को महाकुंभ की सबसे सुंदर साध्वी भी बताया जा रहा है। हालांकि वे साफ कह चुकी हैं कि मैं साध्वी नहीं हूं।
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी इस मामले में कहा कि महाकुंभ में इस तरह की परंपरा शुरू करना सरासर गलत है। यह विकृत मानसिकता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जिसने अभी यह तय नहीं किया है कि संन्यास की दीक्षा लेनी है या शादी करनी है, उसे संत महात्माओं के साथ भगवा कपड़े में शाही रथ पर बिठाना पूरी तरह गलत है। महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता को देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा है कि जब सनातन का कोई आयोजन होता है, हमारे युवा भगवा पहनते हैं। यह कोई अपराध नहीं है। हमारे यहां परंपरा है कि कोई एक दिन, पांच दिन, सात दिन के लिए साधू होता है। इस युवती ने निरंजनी अखाड़े के एक महामंडलेश्वर से दीक्षा ली थी। वह संन्यासिन नहीं बनी है और उसने भी कहा है कि वह संन्यासिन नहीं है और केवल मंत्र दीक्षा ली है। वह रथ पर बैठी थीं और लोगों ने उसे निशाना बनाना शुरू कर दिया। मंत्र दीक्षा का एक उदाहरण देते हुए महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि ओम नमः शिवाय जैसे मंत्र कान में दिए जाते हैं। ये व्यवस्था विवाह के दौरान भी होती है।
कौन है हर्षा रिछारिया : हर्षा रिछारिया साध्वी पहले एक अभिनेत्री रह चुकी हैं। उन्होंने कई फिल्मों और टीवी सीरियलों में काम किया। हर्षा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट इंस्टा पर भी लिखा है कि वह सोशल एक्टिविस्ट और इंफ्लूएंसर हैं। सोशल मीडिया एकाउंट इंस्टा पर हर्षा ने Anchor harsha richhariya नाम लिखा है। वह सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं और उनके कई फॉलोअर्स हैं। कुछ लोगों का मानना है कि उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें महाकुंभ में विशेष स्थान दिया गया है।
edited by : Nrapendra Gupta