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Last Updated : गुरुवार, 16 जनवरी 2025 (07:50 IST)

निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान रथ पर बैठीं हर्षा रिछारिया, क्यों मचा बवाल?

शंकराचार्य समेत कई संतों का मानना है कि महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता को देखा जाना चाहिए।

निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान रथ पर बैठीं हर्षा रिछारिया, क्यों मचा बवाल? - controversy on harsha richhariya in mahakumbh 2025
Harsha Richhariya Mahakumbh 2025 : निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान एक रथ पर संतों के साथ हर्षा रिछारिया के बैठने को लेकर विवाद पैदा हो गया। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, काली सेना के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप समेत कई संतों ने इस पर आपत्ति जताई है। हर्षा को महाकुंभ की सबसे सुंदर साध्वी भी बताया जा रहा है। हालांकि वे साफ कह चुकी हैं कि मैं साध्वी नहीं हूं।
 
स्वामी आनंद स्वरूप ने फेसबुक पर लिखा है, महाकुंभ मेले में निरंजनी अखाड़े के छावनी में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी जी महाराज से भोजन प्रसाद पर चर्चा हुई। मैंने कहा कि यह कुंभ अखाड़ों को मॉडल दिखाने के लिए नहीं आयोजित है, यह कुंभ जप, तप और ज्ञान की गंगा के लिए है। इसलिए इस कुकृत्य पर आप कार्रवाई कीजिए। ALSO READ: Harsha Richhariya : हिन्दू आबादी बढ़ाने पर क्या बोली महाकुंभ की सबसे सुंदर साध्वी हर्षा रिछारिया, सनातन पर भी रखी बेबाक राय
 
Harsha Richhariya
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी इस मामले में कहा कि महाकुंभ में इस तरह की परंपरा शुरू करना सरासर गलत है। यह विकृत मानसिकता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जिसने अभी यह तय नहीं किया है कि संन्यास की दीक्षा लेनी है या शादी करनी है, उसे संत महात्माओं के साथ भगवा कपड़े में शाही रथ पर बिठाना पूरी तरह गलत है। महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता को देखा जाना चाहिए।
 
क्या बोले रवींद्र पुरी : अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि यह मुद्दा पिछले 2-3 दिन से चर्चा में है। वास्तव में वह (रिछारिया) उत्तराखंड से हैं और वह हमारे अखाड़े के एक महामंडलेश्वर से दीक्षा लेने आई थीं। वह मॉडल हैं और सोशल मीडिया में सुर्खियों में रहती हैं। उन्होंने रामनामी वस्त्र पहने थे। ALSO READ: लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने क्या भीड़ की वजह से नहीं लगाई महाकुंभ में डुबकी, जानिए सच्चाई
 
उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा है कि जब सनातन का कोई आयोजन होता है, हमारे युवा भगवा पहनते हैं। यह कोई अपराध नहीं है। हमारे यहां परंपरा है कि कोई एक दिन, पांच दिन, सात दिन के लिए साधू होता है। इस युवती ने निरंजनी अखाड़े के एक महामंडलेश्वर से दीक्षा ली थी। वह संन्यासिन नहीं बनी है और उसने भी कहा है कि वह संन्यासिन नहीं है और केवल मंत्र दीक्षा ली है। वह रथ पर बैठी थीं और लोगों ने उसे निशाना बनाना शुरू कर दिया। मंत्र दीक्षा का एक उदाहरण देते हुए महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि ओम नमः शिवाय जैसे मंत्र कान में दिए जाते हैं। ये व्यवस्था विवाह के दौरान भी होती है।
 
कौन है हर्षा रिछारिया : हर्षा रिछारिया साध्वी पहले एक अभिनेत्री रह चुकी हैं। उन्होंने कई फिल्मों और टीवी सीरियलों में काम किया। हर्षा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट इंस्टा पर भी लिखा है कि वह सोशल एक्टिविस्ट और इंफ्लूएंसर हैं। सोशल मीडिया एकाउंट इंस्टा पर हर्षा ने Anchor harsha richhariya नाम लिखा है। वह सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं और उनके कई फॉलोअर्स हैं। कुछ लोगों का मानना है कि उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें महाकुंभ में विशेष स्थान दिया गया है।
edited by : Nrapendra Gupta 
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