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Last Modified: बुधवार, 15 जनवरी 2025 (17:55 IST)

Mahakumbh 2025 : कुंभ के सफाईकर्मी, पर्दे के पीछे के नायकों को सलाम

Mahakumbh 2025  : कुंभ के सफाईकर्मी, पर्दे के पीछे के नायकों को सलाम - Mahakumbh 2025  cleaners of Kumbh heroes behind the scenes
Mahakumbh 2025 News : कुंभ मेला, आस्था का एक अथाह सागर, जहां करोड़ों श्रद्धालु पवित्र नदियों के संगम पर डुबकी लगाने आते हैं। यह एक ऐसा अद्भुत दृश्य होता है, जहां भक्ति, संस्कृति और परंपरा का संगम होता है। लेकिन इस भव्य आयोजन के पीछे, कुछ ऐसे गुमनाम नायक होते हैं जिन पर शायद ही किसी की नज़र जाती है, वे हैं कुंभ के सफाईकर्मी। यूपी सरकार ने मेला क्षेत्र में 15000 सफाईकर्मी तैनात किए हैं। इनके साथ ही 2500 गंगा सेवा दूतों को भी काम पर लगाया है। 
उत्तरप्रदेश महाकुंभ में भी, इन सफाईकर्मियों ने अपनी अथक मेहनत और समर्पण से एक बार फिर साबित कर दिया कि वे इस आयोजन की रीढ़ हैं। भोर की ठंडी हवाओं से लेकर देर रात तक, वे बिना थके, बिना रुके, अपनी ड्यूटी निभाते हैं। लाखों लोगों के आने-जाने से उत्पन्न होने वाली गंदगी को साफ करना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन ये सफाईकर्मी इसे अपनी निष्ठा और कर्तव्यनिष्ठा से करते हैं।
 
इनकी कहानियां भावनाओं से भरी होती हैं। कई सफाईकर्मी पीढ़ियों से इस काम में लगे हुए हैं। उनके लिए यह सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि एक परंपरा, एक सेवा है। वे कुंभ को सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि अपना घर मानते हैं। वे जानते हैं कि उनकी मेहनत के बिना, यह आयोजन इतना सफल नहीं हो पाता। इस बार कुंभ मेले में स्वच्छता व्यवस्था को और भी सुदृढ़ बनाने के लिए कई आधुनिक तकनीकों और प्रयासों का इस्तेमाल किया गया।
स्वच्छता के लिए व्यापक प्रयास : 1.5 लाख शौचालय और 15,000 सफाई कर्मचारी : स्वच्छ और सुव्यवस्थित विशाल धार्मिक आयोजन सुनिश्चित करने के लिए मेला प्रशासन द्वारा लगभग 1.5 लाख शौचालय और करीब 15000 कर्मचारियों की तैनाती की गई। इन सफाई कर्मचारियों को 850 टीमों में बांटकर कुंभ मेला ग्राउंड में तैनात किए जाने की तैयारी की जा रही है।
 
कूड़ा प्रबंधन : मेला ग्राउंड में 25,000 कूड़ेदान लगाए गए हैं, जिनके लिए 37,75,000 लाइनर बैग ऑर्डर की व्यवस्था भी की गई है। महाकुंभ के दौरान प्रतिदिन 390 मीट्रिक टन एवं 45 दिनों में 17,550 मीट्रिक टन कचरा उत्पादित होने का अनुमान लगाया गया है। प्रत्येक कूड़ेदान 25-25 मीटर की दूरी पर रखा गया है। 
कचरा संग्रहण : कचरे को इकट्ठा करने के लिए जीपीएस से लैस 120 टिपर वैन और 40 कॉम्पैक्टर ट्रक की व्यवस्था भी की गई है। टिपर वैन की क्षमता लगभग 1.2 से 1.4 टन तक की है और कॉम्पैक्टर की क्षमता 7-9 टन है। टिपर वैन और कॉम्पैक्टर ट्रक दिन में तीन बार मेला परिसर से कचरा इकट्ठा करके सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट साइट तक पहुंचा रहे हैं। 
 
आधुनिक शौचालय सफाई : शौचालय की स्वच्छता के लिए जेट स्प्रे क्लीनिंग सिस्टम की व्यवस्था की गई है। साथ ही सेसपूल ऑपरेशन प्लान भी तैयार किया जा चुका है, जिसकी सहायता से निर्दिष्ट स्थानों पर अपशिष्ट का उचित निपटान किया जा रहा है। शौचालय में स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्यूआर कोड के माध्यम से प्रबंधन और निगरानी की जा रही है। 
 
प्लास्टिक मुक्त कुंभ
सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध : इस महाकुंभ में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने के साथ ही उसके विकल्प के रूप में दोने-पत्तल, कुल्हड़, जूट एवं कपड़े के थैले आदि जैसे प्राकृतिक उत्पाद बड़े स्तर पर तैयार किए जा रहे हैं।
 
महिला सशक्तिकरण : इस कार्य के लिए उत्तरप्रदेश के 28 जिलों सहित बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड की महिलाओं को जिम्मेदारी दी गई है। प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से महाकुंभ के दौरान मेला क्षेत्र में ही इन प्राकृतिक उत्पादों के स्टॉल लगाकर पूरे क्षेत्र में सप्लाई की जा रही है। प्रयागराज नगर निगम ने मेला क्षेत्र के दुकानदारों को भी प्राकृतिक उत्पादों का ही प्रयोग करने का निर्देश जारी किया गया है।
 
गंगा सेवादूतों की भूमिका : सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादों के प्रयोग की रोकथाम के लिए 250-250 के बैच में करीब 2500 गंगा सेवा दूतों को प्रशिक्षित किया गया है। ये गंगा सेवादूत महाकुंभ में स्वच्छता के साथ ही मेला क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त बनाने में बेहद अहम भूमिका निभा रहे हैं। विशेष तौर पर ये सेवादूत शौचालय, सड़कों की सफाई व्यवस्था, टेंट सिटी का निरीक्षण करते हैं और किसी तरह की गंदगी या गड़बड़ी पाए जाने पर इन्फॉर्मेशन, कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) सिस्टम के माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकते हैं। साथ ही शहर में सभी पॉलिथीन बैग के थोक विक्रेताओं को भी पूरे शहर में पॉलिथीन की सप्लाई रोकने के निर्देश जारी किए गए हैं।
 
स्नान अवधि के दौरान उद्योगों का अस्थायी बंद : प्रमुख स्नान अवधि के दौरान स्थानीय उद्योग अस्थायी रूप से बंद रहेंगे, ताकि गंगा घाटों की स्वच्छता एवं पवित्रता बनी रहे और लाखों भक्तों के लिए एक स्वच्छ, सुरक्षित वातावरण तैयार हो सके।
 
कभी-कभी, हमें ऐसी खबरें मिलती हैं जहां प्रधानमंत्री जैसे बड़े नेता इन सफाईकर्मियों के चरणों को धोकर उनका सम्मान करते हैं। ये दृश्य दिल को छू लेने वाले होते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि हर काम महत्वपूर्ण है, हर व्यक्ति का सम्मान किया जाना चाहिए। लेकिन सम्मान सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं होना चाहिए। इन सफाईकर्मियों को उचित वेतन, सुरक्षित कार्य परिस्थितियां और सामाजिक सम्मान मिलना चाहिए। वे सिर्फ कुंभ के दौरान ही नहीं, बल्कि पूरे साल कड़ी मेहनत करते हैं। हमें उनके योगदान को पहचानना चाहिए और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए।