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Last Updated : मंगलवार, 21 मई 2024 (08:47 IST)

बठिंडा में ससुर को हराने वाले खुड्‍डियां बहू हरसिमरत कौर को दे रहे हैं कड़ी टक्कर

बठिंडा में ससुर को हराने वाले खुड्‍डियां बहू हरसिमरत कौर को दे रहे हैं कड़ी टक्कर - Tough fight between Khuddiyan and Harsimrat Kaur on Bathinda seat
Bathinda Lok Sabha Seat: बादल परिवार का गढ़ बठिंडा इस बार खतरे में है। लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीतने वालीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) की राह इस आसान नहीं है। इस बार शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) का भाजपा के साथ गठबंधन नहीं है। कभी दोस्त रहे दोनों ही दल अब एक-दूसरे के खिलाफ खम ठोंक रहे हैं। कौर को भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस से भी टक्कर मिल रही है। हरसिमरत ने पिछला चुनाव मात्र 21 हजार 772 वोटों से जीता था। 
 
ससुर को हराने वाले खुड्‍डियां से बहू का मुकाबला : आम आदमी पार्टी ने बठिंडा सीट से गुरमीत सिंह खुड्‍डियां को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू को अपना उम्मीदवार बनाया है। परमपाल कौर सिद्धू यहां से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। आप उम्मीदवार खुड्‍डियां से हरसिमरत को कड़ी टक्कर मिल रही है। खुड्‍डिया ने कौर के ससुर और पंजाब के दिग्गज नेताओं में एक रहे स्व. प्रकाश सिंह बादल को पिछले विधानसभा चुनाव में लंबी सीट से हराया था। वर्तमान में राज्य में सरकार भी आम आदमी पार्टी की है।
 
शिअद को पुराना वोट बैंक लौटने की उम्मीद : किसान आंदोलन के चलते एनडीए से अलग हुए शिरोमणि अकाली दल के पक्ष में एक बात यह है कि विधानसभा चुनाव के समय आम आदमी पार्टी को जितना समर्थन मिला था, अब वैसी स्थिति दिखाई नहीं देती। दूसरा, शिअद के प्रति किसानों की नाराजगी भी नहीं है। ऐसे में उसे अपने पुराने वोट बैंक के लौटने की उम्मीद है। वहीं, भाजपा प्रत्याशी को किसानों का विरोध झेलना पड़ रहा है। लेकिन, भाजपा उम्मीदवार परमपाल हरसिमरत को नुकसान पहुंचा सकती हैं। क्योंकि उनके ससुर सिकंदर सिंह मलूका पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। स्वाभाविक तौर पर उनका साथ परमपाल को ही मिलना है। इसका नुकसान हरसिमरत को हो सकता है। 
 
पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार हरकिशन शर्मा कहते हैं कि इस बार अकाली दल का पुराना वोटर एक बार फिर उसके साथ जुड़ सकता है। ऐसे में हरसिमरत कौर यह सीट एक बार फिर निकाल सकती हैं। हालांकि शर्मा इस बात से इंकार नहीं करते हैं कि खुड्‍डियां से उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। हालांकि वे कहते हैं कि आम आदमी पार्टी का प्रभाव विधानसभा चुनाव जैसा नहीं है। 
9 विधानसभा सीटों में बंटा है बठिंडा : बठिंडा लोकसभा सीट सिख बहुल है। यह संसदीय क्षेत्र 9 विधानसभा सीटों- लंबी, भूचो मंडी, बठिंडा ग्रामीण, बठिंडा शहर, मौर, मानसा, सरदूलगढ़ और बुढलाडा में बंटा हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी ने कब्जा जमाया था। विधानसभा परिणामों के लिहाज से देखें तो इस सीट पर आप का पलड़ा भारी है। हालांकि हरसिमरत तीन बार से लगातार लोकसभा चुनाव जीत रही हैं। 2009 में उन्होंने कांग्रेस के रनिंदर सिंह को करीब 1 लाख 21 हजार के बड़े अंतर से हराया था। 2014 में उनकी जीत का अंतर 19 हजार पर आकर सिमट गया, तब उन्होंने अपने ही देवर कांग्रेस उम्मीदवार मनप्रीत बादल को हराया था। 2019 में उन्होंने अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को 21 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। 
 
क्या है लोकसभा सीट का इतिहास : बठिंडा लोकसभा चुनाव के इतिहास पर नजर डालें तो 4 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की। सर्वाधिक 11 बार यहां से अकाली दल (शिरोमणि अकाली दल भी) के उम्मीदवार जीतने में सफल रहे। हरसिमरत इस सीट पर एकमात्र उम्मीदवार रहीं, जो सबसे ज्यादा 3 बार सांसद रहीं। 2 बार इस सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को भी ‍जीत मिल चुकी है। 
 
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