मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. तानाशाह का समर्पण
  3. समाचार
Written By सुरेश बाफना
Last Updated :नई दिल्ली , सोमवार, 20 अक्टूबर 2014 (17:35 IST)

बढ़ सकता है आतंकवाद

बढ़ सकता है आतंकवाद -
मुशर्रफ के इस्तीफे से भारत और पाकिस्तान के बीच शांति-वार्ता पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। पाकिस्तान में नई सरकार के गठन के बाद से ही मुशर्रफ के भविष्य को लेकर जारी गतिरोध की वजह से बातचीत की प्रक्रिया गतिरोध में फँसी हुई है और अब मुशर्रफ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक उथल-पुथल और तेज हो गई।

इस्लामाबाद में जारी राजनीतिक स्थिरता खत्म होने के बाद ही बातचीत पटरी पर आने की उम्मीद है। इस बीच भारत को आशंका है कि पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से जम्मू व कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में इजाफा हो सकता है।

कुछ दिनों पूर्व भारत के सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन ने यह आशंका व्यक्त की थी कि जनरल मुशर्रफ के हटने पर पाकिस्तान में नेतृत्व के स्तर पर वेक्यूम पैदा होगा, जिसका आतंकवादी संगठन फायदा उठा सकते हैं।

यह माना जा रहा है कि मुशर्रफ के हटने के बाद पाकिस्तान की सरकार आतंकवाद के प्रति नरम रवैया अपना सकती है। जनरल मुशर्रफ पर लोकतंत्र की जीत के बावजूद कोई भी यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है कि पाकिस्तानी सत्ता तंत्र में सेना का वर्चस्व घटा है।

पिछले दिनों खुफिया एजेंसी आईएसआई को लेकर गिलानी सरकार के रवैये से स्पष्ट हो गया था कि सेना अभी भी राजनीति पर हावी है।

पाकिस्तानी पीपुल्स पार्टी व नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग के बीच जारी राजनीतिक गठबंधन में कभी भी दरार आ सकती है। जब भी ऐसा होगा पाकिस्तानी सेना को हस्तक्षेप करने का मौका मिलेगा।

पिछले दो महीने के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर फायरिंग की घटनाओं में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है। काबुल में भारतीय दूतावास पर बम विस्फोट की घटना में आईएसआई की भूमिका की वजह से पूर्व निर्धारित बातचीत में गतिरोध आ गया। फिर जम्मू व कश्मीर के हालात पर पाकिस्तान ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव का जिक्र कर दिया है।

सीमा पर गोलीबारी : 21 जुलाई को पाँचवें चक्र की समग्र वार्ता शुरू हुई, लेकिन आगे नहीं बढ़ पाई। गिलानी सरकार ने जनरल मुशर्रफ द्वारा 2004 में शुरू की गई भारत-पाक शांति वार्ता को आगे बढ़ाने का औपचारिक संकल्प जरूर व्यक्त किया है।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ अली जरदारी व मुस्लिम लीग के नेता नवाज शरीफ ने शांति वार्ता को आगे बढ़ाने की इच्छा प्रकट की, किन्तु दूसरी तरफ सीमा पर लगभग प्रतिदिन सीजफायर समझौता टूट रहा है।

आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता व आर्थिक संकट में उलझा पाकिस्तान भारत के लिए परेशानी का सबब बनेगा। अमेरिका ही एकमात्र ऐसा देश है जो अपनी आर्थिक व सैनिक शक्ति के बल पर पाकिस्तान को पटरी पर बनाए रख सकता है।