Rangbhari Ekadashi 2020: रंगभरी एकादशी 6 मार्च को, इस शुभ मुहूर्त में करें देव पूजन, पाएं खुशहाली का आशीष
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी रंगभरी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है, हालांकि इसे आमलकी एकादशी भी कहते हैं। इस वर्ष रंगभरी एकादशी 06 मार्च दिन शुक्रवार को है।
रंगभरी एकादशी का दिन भगवान शिव की नगरी काशी के लिए विशेष होता है। इस दिन भगवान शिव माता गौरा और अपने गणों के साथ रंग-गुलाल से होली खेलते हैं। इस हर्षोल्लास के पीछे एक विशेष बात भी है। आज का दिन भगवान शिव और माता गौरी के वैवाहिक जीवन में बड़ा महत्व रखता है।
रंगभरी एकादशी का महत्व
रंगभरी एकादशी के दिन काशी में बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है और उनको दूल्हे के रूप में सजाते हैं। इसके बाद बाबा विश्वनाथ जी के साथ माता गौरा का गौना कराया जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता गौरा को विवाह के बाद पहली बार काशी लाए थे। इस उपलक्ष्य में भोलेनाथ के गणों ने रंग-गुलाल उड़ाते हुए खुशियां मनाई थी। तब से हर वर्ष रंगभरी एकादशी को काशी में बाबा विश्वनाथ रंग-गुलाल से होली खेलते हैं और माता गौरा का गौना कराया जाता है।
रंगभरी एकादशी का मुहूर्त
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 05 मार्च दिन गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है, जो अगले दिन शुक्रवार 06 मार्च को 11 बजकर 47 मिनट तक है। ऐसे में रंगभरी एकादशी 06 मार्च दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।
रंगभरी एकादशी के दिन स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद पूजा स्थान पर भगवान शिव और माता गौरी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद माता गौरी और भगवान शिव की अक्षत, धूप, पुष्प, गंध आदि से पूजा-अर्चना करें। इसके बाद माता गौरी और भगवान शिव को रंग तथा गुलाल अर्पित करें। फिर घी के दीपक या कपूर से दोनों की आरती करें। पूजा के समय माता गौरी को श्रृंगार का सामान अर्पित करें, तो यह खुशहाल जीवन के लिए शुभ होगा।