शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. अन्य त्योहार
  4. Magh snan ka mahatva
Written By
Last Modified: सोमवार, 17 जनवरी 2022 (12:18 IST)

माघ स्नान का महत्व और 5 खास बातें

माघ स्नान का महत्व और 5 खास बातें - Magh snan ka mahatva
Magh Month 2022: पौष के बाद माघ माह प्रारंभ होगा। हिन्दू पंचांग अनुसार भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चन्द्रमास और दसवां सौरमास माघ कहलाता है। इस महीने में मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने से इसका नाम माघ पड़ा। पुराणों में माघ मास के महात्म्य का वर्णन मिलता है। अंग्रेजी माह के अनुसार इस मास का प्रारंभ 18 जनवरी से होगा। इस माह के प्रारंभ होते ही मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे और गंगा-यमुना के किनारे माघ मेले का प्रारंभ भी हो जाएगा।
 
 
स्नान का महत्व : धार्मिक दृष्टिकोण से इस मास का बहुत अधिक महत्व है। इस मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापमुक्त हो जाते हैं। माघ मास या माघ पूर्णिमा को संगम में स्नान का बहुत महत्व है। संगम नहीं तो गंगा, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा, क्षिप्रा, सिंधु, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए।
 
प्रयागे माघमासे तुत्र्यहं स्नानस्य यद्रवेत्।
दशाश्वमेघसहस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि।।
प्रयाग में माघ मास के अन्दर तीन बार स्नान करने से जो फल होता है वह फल पृथ्वी में दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है।
 
माघे निमग्नाः सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।'
पद्मपुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए।
 
माघ मास में यहां स्नान करने से अर्थ काम मोक्ष और धर्म चारों की प्राप्ति हो जाती है। इस स्थान पर स्नान करने से कभी भी मनुष्य की अकाल मृत्यु नहीं होती। इसी घाट पर विष्णु के पद चिन्ह होने की बात भी कही जाती है। माघ पूर्णिमा के दिन विधिवत स्नान करने और मां गंगा की पूजा करने से जातक की सभी तरह की मनोकामनापूर्ण होती है।

 
पांच खास बातें 
 
1. माघ पूर्णिमा का महत्व : माघ माह की पूर्णिमा का खासा महत्व रहता है। पूर्णिमा के दिन जल और वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है। माघ पूर्णिमा पर इस बार शनि और गुरु का संयोग रहेगा। सूर्य और शुक्र का संयोग भी बना रहेगा। इसीलिए इस दिन स्नान का ज्यादा महत्व है। अत: इस दिन विधिवत स्नान और दान से चंद्र दोष दूर होकर सभी ग्रहों का अच्छा प्रभाव मिलता है। इस दिन सभी ग्रहों के वस्तुओं का दान करना चाहिए ताकि निरोग की प्राप्त हो। उल्लेखनी है कि माघ मास की पूर्णिमा 16 फरवरी को माघ माह की पूर्णिमा रहेगी। 
 
मान्यता है कि माघ माह में देवता धरती पर आकर मनुष्य रूप धारण करते हैं और प्रयाग में स्नान करने के साथ ही दान और जप करते हैं। इसीलिए प्रयाग में स्नान का खास महत्व है। जहां स्नान करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है।
3. कल्पवास में सत्संग और स्वाध्याय : माघ माह में नदी के किनारा कल्पावास किया जाता है। कल्पवास के दौरान माघ माह में मंदिरों, आश्रमों, नदी के तट पर सत्संग, प्रवचन के साथ माघ महात्म्य तथा पुराण कथाओं का आयोजन होता है। आचार्य विद्वानों द्वारा धर्माचरण की शिक्षा देने वाले प्रसंगों को श्रोताओं के समक्ष रखा जा रहा है। कथा प्रसंगों के माध्यम से तन-मन की स्वस्थता बनाए रखने के लिए अनेक प्रसंग सुना जाता हैं। सत्संग से धर्म का ज्ञान प्राप्त होता है। धर्म के ज्ञान से जीवन की बाधाओं से मुकाबला करने का समाधान मिलता है।
 
इसके साथ ही स्वाध्‍याय का महत्व है। स्वाध्यय के दो अर्थ है। पहला स्वयं का अध्ययन करना और दूसरा धर्मग्रंथों का अध्ययन करना। स्वाध्याय का अर्थ है स्वयं का अध्ययन करना। अच्छे विचारों का अध्ययन करना और इस अध्ययन का अभ्यास करना। आप स्वयं के ज्ञान, कर्म और व्यवहार की समीक्षा करते हुए पढ़ें, वह सब कुछ जिससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हो साथ ही आपको इससे खुशी भी मिलती हो। तो बेहतर किताबों को अपना मित्र बनाएं। 
 
4. दान का महत्व : माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है और तिल चतुर्थी, रथसप्तमी, भीष्माष्टमी आदि व्रत प्रारंभ होते हैं। माघ शुक्ल चतुर्थी को उमा चतुर्थी कहता जाता है। शुक्ल सप्तमी को व्रत का अनुष्ठान होता है। माघ कृष्ण द्वादशी को यम ने तिलों का निर्माण किया और दशरथ ने उन्हें पृथ्वी पर लाकर खेतों में बोया था। अतएव मनुष्यों को उस दिन उपवास रखकर तिलों का दान कर तिलों को ही खाना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है।
 
5. मेला : माघ मास में कई जगहों पर मेला लगता है। खासकर प्रयाग में संगम पर और पश्‍चिम बंगांल में गंगा सागर में मेला लगता है। इसके अलावा माघ पूर्णिमा पर छत्तीसगढ़ में महानदी के तट पर राजिम का मेला लगता है। इसी तरह से सोनकुंड मेले का आयोजन भी होता है। यह मेला माघी पूर्णिमा के अवसर पर छत्तीसगढ़ में आयोजित होता है। देशभर में कई तरह के मेलों का आयोजन होता है। जैसे कुंभ मेला, माघी मेला, राजिम मेला, सूरजकुंड मेला आदि।
ये भी पढ़ें
कन्या दर्शन, कलश और गाय सहित ये हैं यात्रा पर जाने से पहले के 5 शुभ शकुन