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Last Modified: मंगलवार, 28 दिसंबर 2021 (18:16 IST)

माघ माह में कर लें ये 5 कार्य, वर्ष 2022 में होगा सबकुछ शुभ

माघ माह में कर लें ये 5 कार्य, वर्ष 2022 में होगा सबकुछ शुभ - Magh Mahina 2022
हिन्दू पंचांग के अनुसार भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चन्द्रमास और दसवां सौरमास माघ कहलाता है। इस महीने में मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने से इसका नाम माघ पड़ा। धार्मिक दृष्टिकोण से इस मास का बहुत अधिक महत्व है। शिशिर ऋतु हिन्दू माह के माघ और फाल्गुन के महीने अर्थात पतझड़ माह में आती है। आओ जानते हैं कि क्या महत्व है इस माह का। माघा माह 18 जनवरी से 16 फरवारी 2022 तक रहेगा।
 
 
1. स्नान : 'माघे निमग्नाः सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।' इस मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापमुक्त हो जाते हैं।  पद्मपुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। 'प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापानुत्तये। माघ स्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानवः॥'
Magh Snan 2021
2. दान : माघ मास में पूर्णिमा को जो व्यक्ति ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। दान में वस्त्र, धन और धान का दान भी किया जाता है। महाभारत में आया है माघ मास में जो तपस्वियों को तिल दान करता है, वह नरक का दर्शन नहीं करता। 
 
3. माधव पूजा : माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से उपासक को राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
 
4. कल्पवास : माघ माह में कल्पवास करने का सबसे बड़ा पुण्य है। कल्पवास अर्थात कुछ काल के लिए या संपूर्ण माघ माह तक के लिए नदी के तट पर ही कुटिया बनाकर रहना और साधुओं के साथ व्रत, तप, उपवास, सत्संग आदि करना ही कल्पवास है। कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से माघ माह के 12वें दिन तक रहता है। कल्पवास में सत्संग और स्वाध्याय का खास महत्व होता है।
 
5. सत्संग और स्वाध्याय : कल्पवास न भी करें तो सत्संग और स्वाध्याय का लाभ लें। माघ माह में मंदिरों, आश्रमों, नदी के तट पर संतों के साथ सत्संग करें। स्वाध्यय के दो अर्थ है। पहला स्वयं का अध्ययन करना और दूसरा धर्मग्रंथों का अध्ययन करना। माघ में ब्रह्मवैवर्तपुराण की कथा सुननी चाहिए और यदि यह संभव न हो सके तो माघ महात्म्य अवश्य सुनना चाहिए।