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Written By WD

अजय गर्ग की कलाकृतियां : सफलता की प्रेरक कहानी

अजय गर्ग
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जयपुर (भारत) में रहने वाले अजय गर्ग एक बहुत ही प्रतिभाशाली पेंटर हैं। जब वे तीन वर्ष के थे तो उन्हें एक चोट लगी थी और इसके इलाज के बाद उन्हें पूरी तरह से सुनाई देना बंद हो गया था। इस दुखद घटना के बाद उनके पालकों ने गौर किया कि जब वे कलाकृतियां बनाते थे तो सबसे अधिक खुश प्रतीत होते थे।

पांच वर्ष की आयु में अजय के पिता धौलपुर (राजस्थान) के एक दरबारी कलाकार श्री सुआ लाल के पास ले गए। उन्होंने अजय की कृतियां देखीं और वे उनसे बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद श्री सुआ लाल ने उन्हें कला की बारीकियां सिखाईं।

शिक्षा पूरी होने के बाद जब अजय ने टेलरिंग में अपना हाथ आजमाना चाहा तो इसमें उनका मन नहीं लगा। अंत में वे जयपुर की आशादेवी के शिष्य बन गए जिन्होंने अजय को बहुत पुरानी और समाप्त हो रही परम्परागत मिनिएचर पेंटिंग सिखाई। उन्होंने इसके साथ रंग और ब्रश बनाने की तकनीक भी सीखी।

अंतत: उन्होंने इस शैली की पेंटिंग की सारी जानकारी हासिल की और वे म‍िनिएचर पेटिंग के एक कुशल कलाकार बन गए। अजय एक मैग्नीफाइंग ग्लास और मात्र एक बाल वाले ब्रश की मदद से अपनी पेंटिंग्स बनाते हैं जिनमें भारतीय संस्कृति के परम्परागत और समकालीन पहलू देखने को मिलते हैं। कैनवास पर अपनी तस्वीरें बनाने के अलावा अजय को चावल के दानों पर तस्वीरें बनाने में भी महारत हासिल है।

वर्ष 1991 से अजय ने अपनी कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाना शुरू किया और अपनी पहली प्रदर्शनी के दौरान उनकी प्रदर्शित 150 पेंटिंग्स में से 144 बिक गईं। उनकी रचनाओं की दूसरी प्रदर्शनी 1992 में लगाई गई। 2004 तक उन्होंने अपनी कलाकृतियों को समूचे देश के साथ-साथ अमेरिका और ब्रिटेन में भी प्रदर्शित किया। वर्ष 2004 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 2012 में अजय और उनका परिवार उनकी कृतियों को पोर्टलैंड, ओरेगॉन और सीएटल, वॉशिंगटन में प्रदर्शित करने के लिए दूसरी बार अमेरिका आया।

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अजय अपने देश भारत में बधिर समुदाय के कल्याण के क्षेत्र में बहुत सक्रिय हैं और वे राजस्थान में मूक एवं बधिर संघ के कार्यकारी सदस्य रहे हैं। वे जयपुर में बधिर बच्चों और जयपुर, गांधीनगर के अनाथालय के बच्चों को निशुल्क प्राशिक्षण देते हैं। उनके वर्तमान उद्‍देश्यों में से एक अपनी कला को उन लोगों तक पहुंचाना है जोक समाप्ति की कगार पर परम्परागत मिनिएचर भारतीय पेंटिंग को पसंद करते हैं। अपनी कृतियों को ऑनलाइन दर्शाने के लिए अजय एक वेबसाइट बनवा रहे हैं।

नीचे इस पृष्ठ पर-भारतीय बंजारे, गायों को चराने के बाद कृष्ण और बलराम घर लौटते हुए और शेरों के साथ महिला-शीर्षक वाली रचनाओं को देखें।

यह कहानी फिर एक बार इसकी पुष्टि करती है कि जब आप अपने किसी भी सपने में विश्वास करते हैं तो वह सच हो जाता है। हमें उम्मीद है कि आपको अजय गर्ग की संक्षिप्त जीवनी और उनकी सफलता की कहानी को पढ़कर अच्छा लगा होगा। अजय गर्ग की पेंटिंग्स के बारे में अधिक जानने के लिए कृपया उनके फेस बुक पेज अजय गर्ग पेंटिंग्स पर जाएं।