गृहमंत्री चिदंबरम का इस्तीफा नामंजूर
दंतेवाड़ा नरसंहार घटना की जिम्मेदारी लेते हुए गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने अपने पद से हटने की पेशकश की थी, लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया।प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा गृहमंत्री ने एक दिन पहले लिखित इस्तीफा सौंपा था। प्रधानमंत्री ने उसे अस्वीकार कर दिया है। इससे पहले आज सुबह यहाँ सीआरपीएफ के शौर्य दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमले के बाद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मुझसे पूछा गया है कि जिम्मेदारी किसकी बनती है, पूरी जिम्मेदारी मैं अपने ऊपर लेता हूँ।चिदंबरम ने कहा कि वे प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को लिखित में दे चुके हैं कि मैं पूर्ण जिम्मेदारी स्वीकार करता हूँ। उन्होंने कहा इससे आगे मैं और कुछ नहीं कहना चाहता। चिदंबरम ने सीआरपीएफ द्वारा दिए गए बलिदानों की सराहना की और कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि इसके जवानों को अच्छी तनख्वाह, अच्छे आवास और अच्छे उपकरण मिले। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मंत्रालय सुनिश्चित करेगा कि शहीद जवानों के परिवारों को इस महीने के अंत तक मुआवजा मिल जाए और परिवारों के एक-एक सदस्य को नौकरी मिले।यह उल्लेख करते हुए कि सरकार हमेशा सुरक्षाबलों के साथ है, गृहमंत्री ने कहा कि वे इसलिए ड्यूटी करते हैं ताकि लोग स्वतंत्रता और लोकतंत्र में रह सकें।चिदंबरम ने कहा मुझे गर्व है कि सीआरपीएफ उसे सौंपे गए असंख्य दायित्वों को निभाती है। मैं उन्हें सलाम करता हूँ, जिन्होंने अपनी जान कुर्बान कर दी। मेरी संवेदना उनके परिवारों के साथ है। उन्होंने कहा पिछले कुछ दिनों में बहुत कुछ लिखा जा चुका है। इसमें से कुछ से मुझे खुशी हुई, जबकि कुछ ने मुझे चोट पहुँचाई। उदाहरण के लिए यह लिखा गया कि 62वीं बटालियन के कर्मी अच्छी तरह प्रशिक्षित नहीं थे। उनके पास अच्छे उपकरण नहीं थे और वे बिना तैयारी के पहुँचे।यह भी लिखा गया कि इन क्षेत्रों में तैनात पुलिस बल अंधाधुँध हत्याएँ करते हैं, महिलाओं से बलात्कार करते हैं। जो भी कोई इस तरह की बातें लिखता है, निश्चित तौर पर उसके पास दिल और अंतरात्मा नहीं है।गृहमंत्री ने कहा बहादुरी और साहस के बारे में बहुत कम लिखा गया है। इस बारे में भी बहुत कम लिखा गया कि घात लगाकर किए गए हमले में घिर जाने के बावजूद जवानों ने आठ नक्सलियों को ढेर कर दिया, जैसी कि आज खुफिया और अन्य खबरें बताती हैं।चिदंबरम ने कहा मैं सम्मान के साथ हर किसी से आग्रह करना चाहता हूँ कि यदि आप हमारे बहादुर जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नहीं हो सकते तो मेहरबानी करके उनका अपमान मत कीजिए।गौरतलब है कि चार अप्रैल को नक्सलियों के गढ़ लालगढ़ के दौरे के दौरान चिदंबरम ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से कहा था कि राज्य में राजनीतिक हिंसा रोकने की जिम्मेदारी उनकी बनती है।इस टिप्पणी से क्षुब्ध हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह राजनीतिज्ञों की भाषा नहीं है और वे अपना काम करेंगे तथा गृहमंत्री को अपना काम करना चाहिए। (भाषा)