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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 26 सितम्बर 2024 (17:09 IST)

Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि में करें इन श्लोकों का पाठ

Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि में करें इन श्लोकों का पाठ - What are the slokas for 9 days of Navratri
Highlights  
 
दुर्गा पूजा के पवित्र श्लोक।
मां दुर्गा क्षमा प्रार्थना यहां पढ़ें।
‎Durga Puja 2024 : इस बार 03 अक्टूबर 2024, दिन गुरुवार से शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व का आरंभ हो रहा है। इन नौ दिनों के पर्व में मां दुर्गा की आराधना की जाती है और व्रत-उपवास रखकर माता के पूजन-अर्चन, हवन के साथ-साथ नवरात्रि के दिनों में कुछ पवित्र श्लोकों को अवश्य ही पढ़ा जाता हैं, मान्यतानुसार इनके बिना देवी की पूजा अधूरी मानी जाती है। 
 
आइए दुर्गा पूजा के इस शुभ अवसर पर आप भी करें इन श्लोकों का पाठ...
 
मां दुर्गा के श्लोक : 
 
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयम्‌ ब्रह्मचारिणी। 
तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्मांडेति चतुर्थकं॥
पंचमं स्कंदमातेति, षष्टम कात्यायनीति च। 
सप्तमं कालरात्रीति, महागौरीति चाष्टमं॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः॥
 
सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते।।
 
शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते।।
 
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। 
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।
 
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। 
दारिद्र्य दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता।।
 
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते।।
 
सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। 
एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम्।।
 
रोगानशेषानपंहसि तुष्टारुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हि आश्रयतां प्रयान्ति।।
मां दुर्गा क्षमा प्रार्थना : 
 
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया। 
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्‌। 
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि। 
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥ 
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत। 
यां गतिं सम्वाप्नोते न तां बह्मादयः सुराः॥
सापराधो स्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके। 
इदानीमनुकम्प्योहं यथेच्छसि तथा कुरु॥ 
अक्षानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्नयूनमधिकं कृतम्‌ ॥
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रेहे। 
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतमं जपम्‌। 
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि॥
 
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