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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : बुधवार, 10 अगस्त 2022 (19:38 IST)

तेजस्वी के साथ सरकार बनाते ही नीतीश कुमार की मोदी को ललकार, 2014 में आने वाले 2024 में नहीं रह पाएंगे?

तेजस्वी के साथ सरकार बनाते ही नीतीश कुमार की मोदी को ललकार, 2014 में आने वाले 2024 में नहीं रह पाएंगे? - Will Nitish Kumar challenge Narendra Modi in 2024?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। नई सरकार में आरजेडी की तरफ से तेजेस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। बिहार की सियासी तस्वीर 24 घंटे में बदल चुकी है। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री है लेकिन वह अब भाजपा ने लालू की पार्टी आरजेडी के सहयोग से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे है। वहीं तेजस्वी यादव दूसरी बार बिहार के उपमुख्यमंत्री बने है। 
 
2024 में मोदी के खिलाफ नीतीश की हुंकार-आरजेडी और जेडीयू के साथ आने के बाद महागठबंधन में भले ही नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने हो लेकिन कहा यह जा रहा है कि नीतीश कुमार 2024 लोकसभा चुनाव के लिए केंद्र का रूख करेंगे और बिहार की कमान तेजेस्वी यादव संभालेंगे। आज शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका संकेत भी दे दिया है।

शपथ ग्रहण के बाद मीडिया से बात करते हुए नीतीश ने कहा कि 2024 में वह नहीं रहेंगे। नीतीश ने यह भी कहा कि 2024 के लिए सभी पर्टियों को एकजुट होना चाहिए। नीतीश कुमार ने मोदी का नाम लिए बिना कहा कि 2014 में जो आए वह 2024 में रह पाएंगे यह नहीं पता है?
 
ऐसे में सवाल यह भी है कि 2024 के चुनाव में क्या नीतीश कुमार यूपीए के साथ महागठबंधन का नेतृत्व करेंगे? बिहार की राजनीति के जानकार कहते हैं कि महागठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा और 2024 में महागठबंधन का चेहरा कौन होगा इस पर अभी स्थिति पूरी तरह साफ नहीं है। 
चाचा-भतीजा की सरकार पर भी कई सवाल?-बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा रखने वाली लालू की पार्टी के नीतीश के साथ आकर सरकार बनाने को लेकर कई सवाल उठा रहे है। बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की पहचान ऐसे नेता के तौर पर है जो विश्वसनीयता के मोर्चे पर हमेशा संदेह के घेरे में रहे है, ऐसे में आरजेडी का नीतीश कुमार पर फिर से भरोसा करना कितना सही फैसला होगा यह तो वक्त ही बताएगा। गौर करने वाली बात यह है कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश, लालू के दम पर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे लेकिन बाद में वह लालू का साथ छोड़ भाजपा के साथ चले गए थे। 

दिलचस्प बात है कि आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार एक बार फिर भी अकेले दम पर मुख्यमंत्री नहीं बने है। यानि 1996 में जेडीयू का गठन करने के बाद नीतीश अब तक 18 साल मुख्यमंत्री रहे है लेकिन उनकी पार्टी ने कभी अकेले दम पर बहुमत नहीं प्राप्त किया है। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की थी और सत्ता में आई थी लेकिन 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़ भाजपा के साथ चले गए थे और आरजेडी विपक्ष में आ गई थी। 

बिहार में बदले सियासी समीकरण के बाद भाजपा की मुश्किलें भी बढ़ी है। महागठबंधन वाली सरकार में आठ पार्टियों के शामिल होने के बाद अब राज्य में भाजपा में अकेले पड़ गई है। पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखे तो जेडीयू और आरजेडी दोनों ही पिछड़ा वर्ग (ओबीसी वर्ग)पर गहरी पकड़ है। नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना का कार्ड खेलकर 2025 के लिए अपना ट्रंप कॉर्ड चल दिया है। 

2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी को नीतीश सरकार के खिलाफ रही एंटी इंकंबेसी का फायदा मिला था। ऐसे में अब सवाल यह भी 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी को भी एंटी इंकंबेसी का सामना करना पड़ेगा और इसका फायदा सीधे भाजपा को मिलेगा।  

नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और लाल प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के एक साथ आने के बाद बिहार में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई है। बिहार में अब महागठबंधन के नेतृत्व में आठ दलों की गठबंधन सरकार है। बिहार विधानसभा के सियासी समीकरण को देखे तो विधानसभा में आरजेडी के 79 विधायक है। वहीं जेडीयू के 45 विधायक है,जबकि महागठबंधन के तीसरे सबसे बड़े दल कांग्रेस के 19 विधायक है। इसके साथ अन्य दलों के विधायकों को मिलाकर महागठबंधन सरकार को 164 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। वहीं बिहार में अब मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के 77 विधायक है।   

भाजपा अब बिहार में अपने हिंदुत्व एक एजेंडे को और तेजी से बढ़ाएगी। हिंदुत्व के कार्ड के सहारे 2024 के चुनाव के लिए भाजपा ध्रुवीकरण का दांव भी चलेगी। भाजपा के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के अश्वमेज्ञी रथ को बिहार में महागठबंधन पहले रोक चुका है लेकिन 2024 में आठ पार्टियों वाले महागठबंधन के सामने चुनौतियां बहुत बड़ी है। सत्ता से बाहर होते ही आज भाजपा ने नीतीश सरकार के खिलाफ पटना में बड़ा प्रदर्शन करते हुए सियासी शंखनाद कर दिया है।