क्या 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद अध्यक्ष पद से हट जाएंगे मल्लिकार्जुन खड़गे?
मल्लिकार्जुन खड़गे (80) का अध्यक्ष पद पर चुना जाना पहले दिन से ही था क्योंकि उन्हें गांधी परिवार का समर्थन प्राप्त था। यह उनके प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर को भी पता थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने चुनाव लड़ने की हिम्मत जुटाई। हालांकि बाद में थरूर ने भी इस बात को स्वीकार किया कि खड़गे का अध्यक्ष बनना तय ही था।
कांग्रेस को सीताराम केसरी के बाद गैर कांग्रेसी अध्यक्ष मिला है। खड़गे गांधी परिवार के वफादार भी माने जाते हैं। खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद गांधी परिवार पर तनने वाली विरोधी पार्टियों की 'बंदूकों' का मुंह काफी हद तक खड़गे की ओर हो जाएगा। विरोधियों को हमले के लिए एक और 'टारगेट' मिल जाएगा। हालांकि ऐसा नहीं है कि गांधी परिवार का महत्व कम हो जाएगा, लेकिन अब राहुल गांधी अब अपना पूरा ध्यान अपनी यात्रा पर लगा पाएंगे। सोनिया गांधी भी अध्यक्ष पद से मुक्त होने के बाद चैन की सांस ले पाएंगी।
यह भी सही है कि उनकी स्थिति भाजपा के 'मार्गदर्शक मंडल' जैसी नहीं होगी, जिनकी कोई पूछपरख नहीं होती। अभी शायद देश के लोगों को भी यह पता नहीं होगा कि आखिर भाजपा के कौनसे नेता हैं जो मार्गदर्शक मंडल में हैं। लेकिन, कांग्रेस में परोक्ष रूप से अध्यक्ष पद की बागडोर गांधी परिवार के 'हाथ' में ही रहेगी।
इसी साल नवंबर-दिसंबर में गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। गुजरात में तो कांग्रेस का आना लगभग नामुमकिन है। आम आदमी पार्टी की सक्रियता के चलते वहां पिछली बार की तुलना में सीटें जरूर कम हो सकती हैं। हिमाचल प्रदेश में जरूर कांग्रेस उम्मीद पाल सकती है। वहां एंटीइंकम्बेंसी का असर देखने को मिल सकता है।
इसके साथ ही 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे, जिनमें एक राज्य मल्लिकार्जुन खड़गे का गृह राज्य कर्नाटक है तथा कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी हैं। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इस समय कांग्रेस की सरकार है। ये तीनों ही राज्य खड़गे के लिए 'अग्निपरीक्षा' से कम नहीं होंगे क्योंकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सत्ता को बचाए रखना बड़ी चुनौती होगी, वहीं कर्नाटक में गृह राज्य होने के नाते सत्ता हासिल करना। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट को साधना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।
इसके अलावा मध्यप्रदेश और पूर्वोत्तर के भी कई राज्यों में भी 2023 में ही चुनाव होंगे। मई 2024 में फिर खड़गे को लोकसभा चुनाव का सामना करना होगा। यदि उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं मिलती है तो संभवत: खड़गे स्वयं ही अध्यक्ष पद छोड़ देंगे। इसके अलावा यदि उन्हें सफलता मिलती भी है तो भी 'गांधी परिवार' के लिए बढ़ती उम्र के चलते वे अध्यक्ष की कुर्सी खाली कर देंगे। फिलहाल मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के लिए 'ढाल' या 'सुरक्षा कवच' का ही काम करेंगे। ऐसे में लगभग तय है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद खड़गे अध्यक्ष का पद छोड़ देंगे। (कार्टून : सारंग क्षीरसागर)