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Last Updated : मंगलवार, 22 जुलाई 2025 (09:20 IST)

जस्टिस वर्मा इस्तीफा देंगे या संसद हटाएगी? जानिए कैसे लाया जाता है महाभियोग प्रस्ताव

What is process of impeachment against judges
What is process of impeachment motion against judges: इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पदस्थ न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं। उनके खिलाफ संसद में महाभियोग लाने का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि संसद उन्हें पद से हटाएगी या फिर वे स्वयं प्रस्ताव पास होने से पहले इस्तीफा दे देंगे। क्योंकि भारत के इतिहास में आज तक ऐसा नहीं हुआ है कि किसी जज को महाभियोग के जरिए पद से हटया गया हो। 
 
न्यायमूर्ति वर्मा को पद से हटाने के प्रस्ताव से संबंधित नोटिस लोकसभा और राज्यसभा में दिए गए हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपे गए नोटिस पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद, अनुराग ठाकुर समेत कुल 145 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं, जबकि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपे गए नोटिस पर 49 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। महाभियोग प्रस्ताव के लिए लोकसभा में 100 तथा राज्यसभा में 50 सांसदों के दस्तखत होना जरूरी है। 
 
निचले सदन यानी लोकसभा में अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत नोटिस दिए गए हैं, जबकि राज्यसभा अनुच्छेद 217 (1)(बी), अनुच्छेद 218, और अनुच्छेद 124 (4) के साथ-साथ न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 की धारा 31 (बी) के तहत प्राप्त हुआ है, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए जांच समिति गठित करने का अनुरोध किया गया है।
 
लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति द्वारा प्रस्ताव स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता है। हालांकि स्वतंत्र भारत में एक बार भी ऐसा अवसर नहीं आया, जब किसी जज को महाभियोग के जरिए हटाया गय है। हालांकि महाभियोग प्रस्ताव लाने की कोशिशें पहले भी हुई हैं, लेकिन इससे पहले कि प्रस्ताव पारित होता, जजों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 
 
क्या है महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया : प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद संबंधित सदन के पीठासीन अधिकारी द्वारा तीन जजों की एक समिति का गठन किया जाता है। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश और एक कानूनविद को शामिल किया जाता है। यह तीन सदस्यीय समिति संबंधित जज पर लगे आरोपों की जांच करती है। जांच पूरी होने के बाद यह समिति अपनी रिपोर्ट पीठासीन अधिकारी को सौंपती है।
 
आरोपी जज को भी अपने बचाव का मौका दिया जाता है। न्यायाधीश आरोपों का लिखित जवाब भी दे सकता है। पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की गई जांच रिपोर्ट में अगर आरोपी जज पर लगाए गए दोष सिद्ध हो रहे हैं तो पीठासीन अधिकारी मामले में बहस के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए सदन में वोट कराते हैं। किसी भी जज को महाभियोग द्वारा हटाए जाने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई मतों से प्रस्ताव पास होना जरूरी है। 
 
राष्ट्रपति की स्वीकृति : महाभियोग प्रस्ताव यदि प्रस्ताव दोनों सदनों में पारित हो जाता है, तो इसे राष्ट्रपति के पास उनकी स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति के आदेश जारी करने के बाद संबंधित न्यायाधीश को पद से हटा दिया जाता है।
 
क्या है मामला : इस साल यानी मार्च 2025 में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने की घटना हुई थी और घर के बाहरी हिस्से में एक स्टोररूम से जली हुई नकदी से भरी बोरियां बरामद हुई थीं। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली उच्च न्यायालय में पदस्थ थे। जस्टिस वर्मा का बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादला कर दिया गया था, लेकिन उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के आदेश पर हुई आंतरिक जांच में उन्हें दोषी ठहराया गया है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
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