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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : मंगलवार, 20 सितम्बर 2022 (18:21 IST)

नरेंद्र मोदी और अमित शाह के गढ़ गुजरात को भेद पाएंगे अरविंद केजरीवाल और AAP?

नरेंद्र मोदी और अमित शाह के गढ़ गुजरात को भेद पाएंगे अरविंद केजरीवाल और AAP? - Will Arvind Kejriwal be able to break Modi and Shah stronghold Gujarat?
साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर अब चुनावी घमासान तेज हो गया है। गुजरात विधानसभा चुनाव की सियासी तस्वीर इस बार पिछले चुनाव से काफी बदली हुई नजर आ रही है। गुजरात में अपना गढ़ बचाने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार गुजरात का दौरा रैली और रोड शो के जरिए भाजपा की ताकत को दिखा रहे है। वहीं दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद अब आम आदमी पार्टी ने गुजरात पर अपना फोकस कर दिया है। 
 
आम आदमी पार्टी ‘मिशन गुजरात’ को लेकर पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में आ डटी है और पार्टी कोशिश भाजपा के इस अभेद्द गढ़ में सेंध लगाने की है। आम आदमी पार्टी एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर को पूरी तरह भुनाने में जुटी है।

अरविंद केजरीवाल ने खुद संभाला मोर्चा-आप के प्रमुख चेहरा और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार गुजरात के चुनवी दौरे पर पहुंच रहे है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हर हफ्ते गुजरात का दौरा कर रहे हैं। मंगलवार को एक सप्ताह में दूसरी बार गुजरात के वडोदरा पहुंचे अरविंद केजरीवल ने लोगों से बदलाव के लिए वोट करने की अपील करते हुए 27 साल पुरानी भाजपा की जनविरोधी सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कही।

अरविंद केजरीवाल लगातार दावा कर रहे है कि गुजराज में भाजपा की जमीन खिसक चुकी है। पिछले दिनों में आप ने अपने एक सर्वे में दावा किया कि पार्टी गुजरात में 58 विधानसभा सीटें जीत सकती है। पार्टी दावा कर रही है कि शहरों के साथ ग्रामीण इलाकों में भी उसे अच्छा समर्थन मिल रहा है। शहरी क्षेत्रों में निचले और मध्यम वर्ग का वोटर इस बार आप के साथ खड़ा है। 
दिल्ली मॉडल पर चुनाव लड़ने की तैयारी-आम आदमी पार्टी गुजरात में दिल्ली मॉडल पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। दिल्ली की तर्ज पर आम आदमी पार्टी ने गुजरात में ऑटो ड्राइवर्स, सफाई कामगार, वकीलों और व्यापरियों को लुभाने की पूरी कोशिश कर रही है। बीते सप्ताह गुजरात दौरे पर गए केजरीवाल का ऑटो चालक के घर पर  भोजन करना आप की चुनावी रणनीति का ही एक हिस्सा है।
 
वहीं दिल्ली की तर्ज पर गुजरात विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मुफ्त वाला बड़ा दांव चलते हुए ‘तीन गारंटी’ की घोषणा कर चुके है। तीन गांरटी घोषणा दरअसल गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए आप का सबसे बड़ा चुनावी दांव है।  इसमें गुजरात में सरकार बनने पर 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने के एलान के साथ निर्बाध बिजली आपूर्ति और 31 दिसंबर तक बकाया बिजली के बिल की माफी की घोषणा की है। इसके साथ बेरोजगारों को नौकरी के साथ बेरोजगार युवाओं को नौकरी मिलने तक तीन हजार प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा है। 

इसके साथ मंगलवार को अरविंद केजरीवाल ने सत्ता में आने पर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का एलान कर दिया। केजरीवाल ने कहा कि पंजाब की तरह गुजरात में भी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाएगा। 

तरीखों के एलान से पहले उम्मीदवारों का एलान- गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने भले ही अभी चुनाव की तारीखों का एलान नहीं किया हो लेकिन आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है। 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा के लिए पार्टी ने अब तक 29 उम्मीदवारों के नामों का एलान कर चुकी है। वहीं दूसरी ओर सत्ता रूढ दल भाजपा और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान नहीं किया है। आम आदमी पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज चेहरों को चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुटी हुई है।
 
आम आदमी पार्टी के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया उम्मीदवारों के नामों का एलान पहले करने की वजह बताते हुए कहते हैं कि पार्टी इसलिए जल्द से जल्द कैंडिडेट्स की लिस्ट जारी कर रही है, जिससे प्रत्याशियों को जनता के बीच जाने का पर्याप्त समय मिल सके। पार्टी चुनाव की तारीखों के एलान से पहले सभी 182 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का एलान करने की तैयारी में है।

कांग्रेस का गेम से बाहर होना AAP के लिए मौका- गुजरात में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का कमजोर होना AAP के लिए एक बड़ा मौका माना जा रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने वाली कांग्रेस पिछले पांच सालों में लगातार टूटती चली गई है। 2017 में कांग्रेस के चुवा चेहरे के तौर पर देखे गए हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाड़ी और अल्पेश ठाकोर अब कांग्रेस के साथ नहीं है। हार्दिक पटेल को कांग्रेस ने पार्टी की कमान सौंपी थी लेकिन वह चुनाव ऐन वक्त पहले भाजपा के पाले में चले गए है। वहीं हाल में ही गुजरात युवक कांग्रेस के अध्यक्ष ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है। कांग्रेस के लगातार कमजोर होने से आप आदमी पार्टी विकल्प के तौर पर तेजी से उभर ही है। 
 
गुजरात में आप के सामने चुनौतियों की भरमार?-गुजरात में आम आदमी पार्टी का मुकाबला सीधा उस भाजपा से है जहां पर पार्टी संगठन को खड़ा करने का काम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने किया है। ढाई दशक से अधिक से सत्ता में काबिज भाजपा का संगठन राज्य की 182 विधानसभा सीटों पर हर बूथ पर है, वहीं आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती संगठन स्तर पर ही है।
 
वहीं गुजरात में नरेंद्र मोदी का चेहरा एक ऐसा चेहरा है जिसकी लोकप्रियता आज भी चरम पर है। भाजपा गुजरात विधानसभा का चुनाव पीएम मोदी के चेहरे को आगे रखकर ही लड़ने जा रही है ऐसे में मोदी की चेहरे की काट आम आदमी पार्टी के सामने अब भी नजर नहीं आती है।   

वहीं अगर आप की बात करें तो गुजरात में आप का मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा अब यह बड़ा सवाल है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और पंजाब में भगवंत मान आम आदमी पार्टी के चेहरा थे लेकिन गुजरात में आप का चेहरा कौन होगा इस पर सस्पेंस बना हुआ है। आम आदमी पार्टी के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया ऐसे चेहरे नहीं है जो सीधे भाजपा को चुनौती दे सके। गुजरात में चेहरे के संकट को दूर करने के लिए पार्टी ने अब अपने युवा चेहरे राघव चड्डा को प्रदेश का सह प्रभारी बनाकर मैदान में उतारा है। 

गुजरात में आप की चुनौती कितनी बड़ी है इसको इससे समझा जा सकता है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पहली बार चुनाव में उतरी थी लेकिन वो कोई सीट नहीं जीत सकी थी। हलांकि इस साल की शुरुआत में हुए सूरत नगर निगम चुनाव में 26 सीटें जीतकर आप ने जोरदार वापसी थी और सूरज नगर निगम चुनाव में जीतने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मिशन गुजरात का एलान कर दिया था।
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