महाराष्ट्र में क्यों बढ़ रहा Three Language Policy का विरोध, किसने लिखा भागवत को खत?
महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाए जाने के खिलाफ विरोध बढ़ रहा है। राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने इस मामले में अब सीधे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिख दिया है। पत्र में कहा गया है कि मोहन भागवत इस मामले में दखल दें जिससे सरकार इस फैसले को वापस ले ले। महाराष्ट्र विशेषकर मुंबई में मराठी बनाम गैर मराठी की बहस चलती रही है और ऐसे में थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी को मंजूरी दिए जाने के बाद लोगों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
बता दें कि महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने जब से थ्री लैंग्वेज पॉलिसी (Three-Language Policy) को लागू करने की मंजूरी दी है, इसके खिलाफ कांग्रेस, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, मनसे सहित कई विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है। इन दलों ने इसे महाराष्ट्र में हिंदी को थोपने की कोशिश बताया है। थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी के तहत कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बना दिया गया है।
क्या लिखा है पत्र में : मनसे के नेता संदीप देशपांडे ने पत्र में कहा है कि हिंदी भाषा को थोपने से हिंदू बंट जाएंगे और इससे देश को नुकसान होगा। उन्होंने पत्र में लिखा, “मराठों ने हिंदुस्तान पर 200 साल तक राज किया, इंदौर में होलकर थे, बड़ौदा में गायकवाड़ और ग्वालियर में शिंदे थे लेकिन कभी भी मराठाओं ने पूरे हिंदुस्तान पर किसी एक भाषा को नहीं थोपा।”
मनसे नेता ने पत्र में कहा है कि अगर हिंदी को राज्यों पर थोपा जाता है तो क्षेत्रीय दल इसे लेकर प्रतिक्रिया देंगे और इसका जबरदस्त विरोध होगा। उन्होंने कहा कि हिंदुओं में एकता को बढ़ाने के बजाय हिंदी को थोपने की वजह से समुदायों के बीच बंटवारा बढ़ेगा और यह हिंदू एकता के लिए अच्छा नहीं होगा।
महाराष्ट्र में थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी का जिस तरह विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध किया है, उससे ऐसा लगता है कि यह मामला जल्दी शांत नहीं होगा। अगर यह विवाद बढ़ा तो राज्य में बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। इस विवाद के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था “महाराष्ट्र में हर किसी को मराठी आनी चाहिए” लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि “हिंदी एक सुविधाजनक भाषा बन गई है। इसे सीखना फायदेमंद है।”
महाराष्ट्र विशेषकर मुंबई में मराठी बनाम गैर मराठी की बहस चलती रही है और ऐसे में थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी को मंजूरी दिए जाने के बाद लोगों के बीच तनाव बढ़ सकता है। बीजेपी इस मामले में बेहद संभलकर आगे बढ़ रही है, क्योंकि उसे इस बात का डर है कि महाराष्ट्र में उसे मराठी भाषा के विरोधी के तौर पर देखा जा सकता है।
Edited By : Navin Rangiyal