Israel Hamas war News: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जिसमें इजराइल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध रूप से मानवीय सहायता पहुंचाने का आह्वान किया गया था।
इजराइल-हमास संघर्ष संबंधी प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि आतंकवाद हानिकारक है और उसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं है तथा दुनिया को आतंकवादी कृत्यों को जायज ठहराने वालों की बातों को तवज्जो नहीं देनी चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव में हमास द्वारा 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमलों की कोई स्पष्ट निंदा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि भारत ने प्रस्ताव के अंतिम मूलपाठ में उसके दृष्टिकोण को लेकर सभी तत्वों को शामिल नहीं किए जाने के कारण मतदान में भाग नहीं लिया।
भारत मानवीय संकट को लेकर चिंतित : भारत गाजा में उभरते मानवीय संकट को लेकर चिंतित है, लेकिन साथ ही पूरी दृढ़ता के साथ यह मानता है कि आतंकवाद को लेकर कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता है। सूत्रों ने इजराइल-हमास संघर्ष संबंधी संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर मतदान से भारत के दूर रहने संबंधी फैसले के बारे में शनिवार को विस्तार से बताते हुए कहा कि भारत आतंक को लेकर कोई भी समझौता नहीं कर सकता है।
जॉर्डन द्वारा 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा के फिर से शुरू हुए 10वें आपातकालीन विशेष सत्र में शुक्रवार को प्रस्तुत मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ। यह प्रस्ताव बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, रूस और दक्षिण अफ्रीका सहित 40 से अधिक देशों द्वारा सह-प्रायोजित था।
भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में आम नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों को कायम रखने शीर्षक वाले जॉर्डन के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा। इस प्रस्ताव में इजराइल-हमास युद्ध में तत्काल मानवीय संघर्ष-विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शुक्रवार को उस प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष-विराम का आह्वान किया गया है ताकि शत्रुता समाप्त हो सके।
प्रस्ताव के पक्ष में 121 मत : प्रस्ताव के पक्ष में 121 देशों ने मत किया, 44 सदस्य मतदान से दूर रहे और 14 सदस्यों ने इसके खिलाफ वोट दिया। प्रस्ताव में पूरी गाजा पट्टी में आम नागरिकों को आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं का तत्काल, निरंतर, पर्याप्त और निर्बाध प्रावधान करने की मांग की गई थी।
भारत के साथ-साथ प्रस्ताव पर हुए मतदान के दौरान अनुपस्थित रहने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन और ब्रिटेन शामिल थे। जॉर्डन द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव में आतंकवादी समूह हमास का कोई उल्लेख नहीं किया गया। प्रस्ताव पर मतदान करने से पहले महासभा ने कनाडा द्वारा प्रस्तावित और पाठ में अमेरिका द्वारा सह-प्रायोजित संशोधन पर विचार किया।
कनाडा द्वारा प्रस्तावित संशोधन में प्रस्ताव में एक पाठ डालने के लिए कहा गया है जिसमें कहा जाएगा कि महासभा 'सात अक्टूबर, 2023 से इजराइल में होने वाले हमास के आतंकवादी हमलों को स्पष्ट रूप से खारिज करती है और उनकी निंदा करती है।' इसके अलावा इसमें बंधकों को छुड़ाने, उनकी सुरक्षा की मांग और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक उनकी रिहाई की मांग की गई है।
भारत ने 87 अन्य देशों के साथ संशोधन के पक्ष में मतदान किया, जबकि 55 सदस्य देशों ने विरोध में मतदान किया और 23 अनुपस्थित रहे। उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करने में विफल रहने के कारण मसौदा संशोधन को अपनाया नहीं जा सका।
बातचीत से हल हो विवाद : संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा कि ऐसी दुनिया में जहां मतभेदों और विवादों को बातचीत से हल किया जाना चाहिए, इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसा का सहारा लेने की घटनाओं पर गहराई से चिंतित होना चाहिए। पटेल ने कहा कि हिंसा जब इतने बड़े पैमाने और तीव्रता पर होती है, तो यह बुनियादी मानवीय मूल्यों का अपमान है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में हिंसा का इस्तेमाल भारी नुकसान पहुंचाता है और यह किसी भी टिकाऊ समाधान का मार्ग प्रशस्त नहीं करती। पटेल ने इजराइल में 7 अक्टूबर को हुए आतंकवादी हमलों को चौंकाने वाला बताते हुए कहा कि ये हमले निंदनीय हैं। मतदान के बारे में भारत के स्पष्टीकरण में हमास का उल्लेख नहीं किया गया।
पटेल ने कहा कि आतंकवाद हानिकारक है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती। दुनिया को आतंकवादी कृत्यों को जायज ठहराने की कोशिश करने वालों पर गौर नहीं करना चाहिए। आइए, हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने का दृष्टिकोण अपनाएं।
भारत ने उम्मीद जताई कि महासभा में इस चर्चा से आतंकवाद और हिंसा के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश जाएगा और इससे कूटनीति एवं बातचीत की संभावनाओं का विस्तार होगा तथा हमारे सामने मौजूद मानवीय संकट से निपटने में मदद मिलेगी। पटेल ने कहा कि भारत बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और इस संघर्ष में आम नागरिकों की बड़ी संख्या में हुई मौत को लेकर बहुत चिंतित है। भारत ने बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई का भी आह्वान किया।
शुरुआत में इराक प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा था, लेकिन बाद में वोटिंग के समय तकनीकी समस्या का हवाला देते हुए उसने इसके पक्ष में मतदान किया। प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले देशों में इजराइल और अमेरिका शामिल थे। चीन, फ्रांस और रूस ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन और ब्रिटेन अनुपस्थित रहे। (भाषा)