देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के महापौर के सामने ही जब कोई थूक दे!
इंदौर भले ही अपने मालवापन, दाल-बाटी और पोहा- जलेबी के लिए जाना जाता हो, लेकिन यहां ऐसे इंदौरी भी हैं जो दिन-दिन भर अपना मुंह नहीं खोलते हैं, क्योंकि मुंह खोलने में गुटखे का भारी-भरकम नुकसान है। जरूरी से जरूरी बातचीत में वे चुप रहते हैं।
लेकिन अगर किसी शहर का कोई रसूखदार आदमी यानी शहर का महापौर ही ऐसे लोगों से सवाल पूछ ले तो न सिर्फ चुप रहने का सीक्रेट जाहिर हो जाता है, बल्कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की पोल पट्टी भी खुल जाती है।
एक वीडियो इंदौर की सफाई की पोल पट्टी खोल रहा है, दिलचस्प है कि एक गुटखे ने इंदौर के सफाई अभियान का खुलासा कर डाला है। कमाल की बात यह है कि यह पोल इंदौर के महापौर के सामने ही खुल जाए तो क्या हो। लेकिन यही हुआ है।
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव शहर की लक्जरी बस में बैठकर इंदौर का मुआयना करने निकले थे। वे बस में बैठे थे। इसी दौरान उनके ठीक आगे की सीट पर बैठे एक शख्स से वे पूछ बैठे... महापौर ने कहा.. रोज जाते हैं आप.. गुटखाधारी ने इस सवाल का जवाब तो मुंह हिलाकर दे दिया, लेकिन जब महापौर जी ने दूसरी बार पूछा कि कहां से कहां तक जाते हैं आप... तो गुटखाधारी के लिए यह क्षण राष्ट्रीय आपदा के समान था। कोई दूसरा होता तो गुटखा थूकने का नुकसान नहीं उठाता, लेकिन सवाल महापौर ने पूछा था... बोलना भी जरूरी था।
ऐसे में बस की खिड़की से अपना अमूल्य गुटखा थूकने का फैसला लिया गया। जैसे ही गुटखे की पिचकारी बाहर फेंकी गई तो स्वच्छ इंदौर के प्रथम नागरिक का भेजा चकरा गया... वे ठेठ इंदौरी में बोल उठे ...
ऐ भिया ऐ... ऐ भिया ऐ...
मतलब, महापौर के सामने ही स्वच्छ इंदौर की पिच्चर क्लियर हो गई। फिर महापौर बोले, अरे इनका फाइन बनाओ भिया। एक मिनट में महापौर को समझ आ गया कि ये इतना आसान नहीं है। कागजों पर स्वच्छता के नंबर बढ़ा लेना और बस की खिड़की से गुटखा थूकते हुए किसी को रोकने में उतना ही अंतर है, जितना पाटनीपुरा का ट्रैफिक ठीक करना। और जितना बारिश के पहले इंदौर की सड़कों के गड्डे भरना।
(इंदौर में बस की खिड़की से थूकने का यह वीडियो नेशनल मीडिया में वायरल हो रहा है।)