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Written By Author वृजेन्द्रसिंह झाला

क्या है सम्मेद शिखर मामला और क्यों नाराज है देश का जैन समाज?

क्या है सम्मेद शिखर मामला और क्यों नाराज है देश का जैन समाज? - What is the Sammed Shikhar case and why is the Jain community of the country angry?
सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र को लेकर अहिंसक माना जाने वाला पूरा जैन समाज आंदोलित है। दरअसल, केन्द्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इस पर्वत क्षेत्र को इको-टूरिज्म प्लेस बनाने का प्रस्ताव रखा है, जो कि जैन समाज को कतई मंजूर नहीं है। झारखंड सरकार ने भी केन्द्र के फैसले पर अपनी मुहर लगाई है। समाज के लोगों का मानना है कि यदि यह तीर्थ क्षेत्र यदि पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित होगा तो यहां होटल और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी बनेंगे। जहां मदिरा और मांस का भी उपयोग किया जाएगा। इससे तीर्थ क्षेत्र की पवित्रता नष्ट होगी। 

केन्द्र और और झारखंड सरकार के फैसले को लेकर पूरा जैन समाज आंदोलित है। जयपुर के सांगानेर में सम्मेद शिखर जी को लेकर ही उपवास कर रहे जैन सुज्ञेय सागर जी महाराज के निधन के बाद आंदोलन और तेज हो गया है। मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर समेत देशभर में जैन समाज आंदोलित है। मुंबई और सूरत में करीब ढाई-ढाई लाख लोगों ने प्रदर्शन किया। इंदौर में भी समाज के लोगों ने रीगल चौराहे पर प्रदर्शन किया। पिछले दिनों जैन समाज ने अपने प्रतिष्ठानों को भी एक दिन के लिए बंद रखा था।   
क्या है पूरा मामला? : जैन समाज का तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पासरनाथ पर्वत पर स्थित है। यह झारखंड का सबसे ऊंचा पहाड़ भी है। सम्मेद शिखर को लेकर केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें इसे इको-टूरिज्म प्लेस के तौर पर चिन्हित किया गया था। केन्द्र के नोटिफिकेशन के बाद झारखंड सरकार ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी। 
 
क्यों नाराज है जैन समाज : दरअसल, झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित यह पर्वत पूरे जैन समाज की आस्था का केन्द्र है। यह पर्वत समाज के 20 तीर्थंकर भगवंतों का मुक्ति स्थल है। यहां उनके चरण चिन्ह प्राचीन काल से ही अंकित हैं। समाज के मुताबिक यहां अनंतानंत आत्माओं ने मुक्ति पाई है।
 
यदि इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित किया जाता है तो निश्चित ही यहां जैन पर होटल या अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी बनाए जाएंगे, इससे इसकी पवित्रता नष्ट होगी। जैन समाज के लोग इस पवित्र पर्वत पर 27 किलोमीटर पैदल चलकर नंगे पैर ही पहुंचते हैं। जैन समाज चाहता है कि इसे पर्यटन स्थल की जगह तीर्थ स्‍थल क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए।
 
इनकी चुप्पी पर चिंता : सम्मेद शिखरजी को लेकर आंदोलन कर रहे जैन समाज के लोग गुजरात के पूर्व मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी, उद्योगपति गौतम अडाणी, आरके मार्बल के मालिक समेत समाज के अन्य दिग्गजों की चुप्पी को लेकर जैन समाज काफी चिंतित है। समाज के लोगों का मानना है कि ये लोग यदि इस मामले में थोड़ी भी रुचि दिखाएं तो यह मामला आसानी से सुलझ सकता है। 
दरअसल, जैन समाज के लोगों की एक पीड़ा यह भी है कि हम अहिंसक रूप से आंदोलन कर रहे हैं, इसलिए हमारी बात कोई भी नहीं सुन रहा है। हम न तो पटरी उखाड़ रहे हैं न ही आम नागरिकों को परेशान करने के लिए रास्ता रोक रहे हैं। समाज के लोग चाहते हैं जल्द ही केन्द्र और राज्य सरकार को अपना फैसला बदलना चाहिए।