मंगलवार, 5 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. what is the sabarimala temple dispute, complete-story
Written By
Last Updated : बुधवार, 2 जनवरी 2019 (14:23 IST)

क्या है सबरीमाला विवाद, दो मिनट में जानें संपूर्ण जानकारी...

क्या है सबरीमाला विवाद, दो मिनट में जानें संपूर्ण जानकारी... - what is the sabarimala temple dispute, complete-story
सबरीमाला मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, दो महिलाओं- बिन्दु और कनकदुर्गा ने दावा किया है कि उन्होंने मंदिर में प्रवेश कर भगवान अयप्पा के दर्शन किए हैं। आखिर क्या है यह पूरा विवाद और किस तरह हुई इसकी शुरुआत। आइए जानते हैं....
 
-2006 में मंदिर के मुख्य ज्योतिषि परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने कहा था कि मंदिर में स्थापित अयप्पा अपनी ताकत खो रहे हैं और वह इसलिए नाराज हैं क्योंकि मंदिर में किसी युवा महिला ने प्रवेश किया है।
 
-कन्नड़ अभिनेता प्रभाकर की पत्नी जयमाला ने दावा किया था कि उन्होंने अयप्पा की मूर्ति को छुआ और उनकी वजह से ही अयप्पा नाराज हुए। उन्होंने कहा था कि वह प्रायश्चित करना चाहती हैं। जयमाला ने दावा किया था कि 1987 में वह अपने पति के साथ जब मंदिर में दर्शन करने गई थीं तो भीड़ की वजह से धक्का लगने के चलते वह गर्भगृह पहुंच गईं और भगवान अयप्पा के चरणों में गिर गईं। जयमाला का कहना था कि वहां पुजारी ने उन्हें फूल भी दिए थे। 
 
-जयमाला के दावे पर केरल में हंगामा होने के बाद मंदिर में महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित होने के इस मुद्दे पर लोगों का ध्यान गया। 2006 में राज्य के यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की। इसके बावजूद अगले 10 साल तक महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का मामला लटका रहा। 
 
-28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने हर आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। कोर्ट ने कहा कि हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है। यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में प्रवेश से रोका जा रहा है, यह स्वीकार्य नहीं है।
 
-इसके बाद से सबरीमला में हिंदू समूहों की ओर से लगातार इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह फैसला धार्मिक परंपरा के खिलाफ है। महिलाओं के प्रवेश के समर्थन में भी कई संगठन सामने आए। शिवसेना ने तो सामूहिक आत्महत्या तक की धमकी दे दी। अपना पक्ष रखने के लिए मंदिर ने यहां तक दलील दी कि देवता को भी मौलिक अधिकार हासिल हैं।
 
1500 साल से लगा है बैन, काले कपड़े पहनकर जाते हैं लोग : भगवान अयप्पा का यह सबरीमाला मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम से 175 किमी दूर पहाड़ियों पर बना हुआ है। यह दक्षिण भारत का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। अयप्पा को बह्मचारी और तपस्वी माना जाता है, इसलिए पिछले 1500 साल से यहां महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगी हुई थी। इस मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को 41 दिन का कठिन व्रत करना पड़ता है। आमतौर पर लोग काले कपड़े पहनकर मंदिर में नहीं जाते, लेकिन सबरीमाला में श्रद्धालु केवल काले या नीले कपड़े पहनकर ही दर्शन कर सकते हैं।
 
18 पावन सीढ़ियों को पार कर पहुंचते हैं मंदिर : इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पावन सीढ़ियों को पार करना पड़ता है, जिनके अलग-अलग अर्थ हैं। पहली पांच सीढ़ियों को मनुष्य की पांच इन्द्रियों से जोड़ा जाता है। इसके बाद की 8 सीढ़ियों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है। अगली तीन सीढ़ियों को मानवीय गुण और आखिरी दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना जाता है। मंदिर में भक्त सिर पर प्रसाद की पोटली और तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर आते हैं।
 
इसलिए महिलाओं को प्रवेश नहीं : यह मान्यता है कि मासिक धर्म के चलते महिलाएं लगातार 41 दिन का व्रत नहीं कर सकती हैं, इसलिए 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में आने की अनुमति नहीं है।
 
28 साल पहले अखबार देखा और... : 1990 में एस. महेंद्रन नामक एक युवक महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ कोर्ट में पहुंचा था। बताया जाता है कि महेंद्रन कोट्‌टयम जिले की एक लाइब्रेरी में सचिव था और लाइब्रेरी आने वाले सभी अखबार पढ़ा करता था। तभी उसकी नजर एक तस्वीर पर पड़ी। वह तस्वीर केरल में मंदिरों की व्यवस्था संभालने वाले देवस्वम बोर्ड की तत्कालीन आयुक्त चंद्रिका की नातिन के पहले अन्नप्राशन संस्कार की थी। समारोह में बच्ची की मां भी मौजूद थी। इसे देखकर महेंद्रन ने हाईकोर्ट को सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के लिए पत्र लिखा। पत्र को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार कर लिया गया।
 
भगवान को भी निजता का अधिकार : हिन्‍दू धर्म में मंदिर में स्थापित देवता का दर्जा अलग है। हर देवता की अपनी खासियत है। जब भारत का कानून उन्हें जीवित व्यक्ति का दर्जा देता है, तो उनके भी मौलिक अधिकार हैं। भगवान अयप्पा को ब्रह्मचारी रहने का अधिकार है। उन्हें निजता का मौलिक अधिकार हासिल है।
 
IIT से पढ़े इंजीनियर वकील ने भी लड़ा केस : मंदिर की ओर से केस लड़कर वकील साई दीपक भी सुर्खियों में आ गए। 32 वर्षीय साई दीपक ने सुप्रीम कोर्ट में भगवान की ओर से भी दलीलें दी थीं और कहा था कि अब तक मामले में किसी ने भी भगवान के अधिकारों की चर्चा नहीं की। उन्होंने कहा, सबरीमाला के भगवान अयप्पा को संविधान के अनुच्छेद 21, 25 और 26 के तहत 'नैष्ठिक ब्रह्मचारी' बने रहने का भी अधिकार है। इस नाते मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक जारी रहना चाहिए। साई दीपक वकील से पहले इंजीनियर थे और उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाई पूरी की। बाद में 2009 से वकालत शुरू की और 2016 में लॉ चेंबर्स की स्थापना की।
 
हम जज हैं, धर्म के जानकार नहीं
जरूरी यह है कि धार्मिक नियम संविधान के मुताबिक भी सही हो। कौनसी बात धर्म का अनिवार्य हिस्सा है, इस पर कोर्ट क्यों विचार करे? हम जज हैं, धर्म के जानकार नहीं। -
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़
 
धार्मिक नियमों के पालन के अधिकार की सीमाएं हैं। ये दूसरों के मौलिक अधिकार को बाधित नहीं कर सकते।
- जस्टिस आर नरीमन
 
देश के जो गहरे धार्मिक मुद्दे हैं उन्हें कोर्ट को नहीं छेड़ना चाहिए ताकि देश में धर्मनिरपेक्ष माहौल बना रहे। बात अगर सती प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों की हो तो कोर्ट को दखल देना चाहिए। -
जज इंदु मल्होत्रा
 
कन्नड़ अभिनेत्री के दावे के बाद हुआ था शुद्धिकरण! : 2006 में कन्नड़ अभिनेत्री और राजनेता जयमाला ने यह दावा किया था कि 1987 में वे मंदिर आई थीं और उन्होंने गर्भगृह में मूर्ति को छुआ भी था। इस दावे के बाद व्यवस्थापकों ने मंदिर का शुद्धिकरण करवाया। यहां तक कि केरल सरकार ने क्राइम ब्रांच को इस मामले की जांच सौंप दी। हालांकि बाद में जांच बिना किसी नतीजे के बंद कर दी गई।
 
पांच महिला वकीलों ने लड़ी थी प्रवेश की लड़ाई : इस ‘शुद्धिकरण’ को भेदभाव मानते हुए 2006 में इंडियन यंग लॉयर एसोसिएशन की पांच महिला वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं। याचिका दायर कर इन्होंने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध हटाने की मांग की और कहा कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक छुआछूत का रूप है।
 
इन मंदिरों में भी महिलाओं के प्रवेश पर है रोक
कार्तिकेय मंदिर, पिहोवा, हरियाणा
घटई देवी, सतारा, महाराष्ट्र
मावली माता मंदिर, धमतरी, छत्तीसगढ़
मंगल चांडी मंदिर, बोकारो, झारखंड
रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान
ये भी पढ़ें
आम बजट 2014-15 के मुख्य बिन्दु...