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Last Updated : मंगलवार, 1 नवंबर 2022 (12:45 IST)

क्या है 'डिजिटल रुपया, पहला पायलट परीक्षण आज शुरू करेगा आरबीआई?

Digital currency
आरबीआई यानी केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आज देश की डिजिटल करेंसी यानी 'डिजिटल रुपया' का पहला पायलट परीक्षण शुरू करने जा रहा है। इसके आने से न सिर्फ पैसों के ट्रांसफर का खर्च कम होगा, बल्‍कि मनी ट्रांजेक्‍शन भी आसान होगा और यह बगैर इंटरनेट के भी हो सकेगा।

दरअसल, इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC का नाम दिया गया है और भारत की इस पहली डिजिटल करेंसी से बहुत कुछ बदलने वाला है। जानते हैं आखिर क्‍या है ये डिजिटल रुपया या करेंसी और कैसे यह हमारी जिंदगी में बदलाव लाएगा।

क्या है CBDC : डिजिटल करेंसी एक वर्चुअल करेंसी है, जिसे ऑनलाइन वॉलेट में ही रखा जा सकता है। ये फिजिकल मोड में नहीं होती। कुछ डिजिटल करेंसी डिसेंट्रलाइज्ड होती है और इन पर किसी का नियंत्रण नहीं रहता। कुछ को सरकार की मान्यता होती है। ऐसी डिजिटल करेंसी को जिसे सरकार से मान्यता प्राप्त होती है, उसमें जोखिम कम होता है। इसे सॉवरेन मुद्रा में यानी उस देश की करेंसी में बदला जा सकता है। इन्हें सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) कहते हैं। क्रिप्टोकरेंसी के साथ यह सुविधा नहीं मिलती है। डिसेंट्रलाइज्ड होने की वजह से इस पर किसी का नियंत्रण नहीं रहता। भारत सरकार 2 तरह डिजिटल करेंसी CBDC-R और CBDC-W लाने की तैयारी कर रही है। CBDC-R कैश के करीब होगी तो CBDC-W अकाउंट बेस्ड होगी।

क्यों जरूरी है CBDC : भारत ही नहीं दुनिया के कई बड़े देश अपनी सीबीडीसी लांच करने की तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि पैसों में बड़ी ताकत होती है और सरकार किसी भी स्थ‍िति में उस पर अपना नियंत्रण नहीं छोड़ सकती। क्रिप्टोकरेंसी का गलत इस्तेमाल होने के काफी चांस है, जैसे मनी लॉन्ड्रिंग या टेरर फंडिंग में इसका यूज हो सकता है। वहीं रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी का दुरुपयोग नहीं किया जा सकेगा।
Digital currency
कौन- कौन से देश ला रहे Digital Currency : भारत के अलावा अगर दुनिया के दूसरे देशों में डिजिटज करेंसी लाने की बात करें तो इसमें बहामास, ट्यूनीशिया, जमैका, नाइजीरिया समेत करीब 11 देशों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हो रहा है। दुनियाभर में करीब 81 देश अपनी खुद की डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) लाने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें से चीन, जापान, रूस, दक्षिण कोरिया, स्वीडन आदि 14 देशों में तो डिजिटल करेंसी पर ट्रायल शुरू हो गया है। अमेरिका, ब्रिटेन  समेत कई अन्य देश भी डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में है।

Digital Currency के फायदे : कहा जा रहा है कि RBI एक ऐसी डिजिटल करेंसी लाएगा जो उसके द्वारा या किसी और सरकारी  रेगुलेटरी संस्था द्वारा सत्यापित होगी और देश में लेन-देन के लिए कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त होगी। इससे कैशलेस पेमेंट  किया जा सकेगा, प्राइवेसी बरकरार रहेगी और नकदी पर निर्भरता कम होगी। कहा जा रहा है कि सबसे पहले इसका इस्तेमाल थोक कारोबार में किया जाएगा। बाजार विशेषज्ञ योगेश बागौरा के अनुसार, UPI की तरह ही डिजिटल करेंसी से भी 1 नंबर में ट्रांजेक्शन बढ़ेगा। बैंकों का लोड कम होगा। इसे रखने पर आपको ब्याज भी मिलेगा।

पायलेट प्रोजेक्ट में 4 बैंक : पॉयलेट प्रोजेक्ट के लिए देश के 4 सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा को शामिल किया गया है। ई-रुपी 2 तरह का होगा। खुदरा इस्तेमाल के लिए रिटेल और थोक कारोबार में इस्तेमाल के लिए होलसेल ई-रुपी। रिटेल ई-रुपी का इस्तेमाल प्राइवेट सेक्टर के लोगों समेत सभी कर सकेंगे जबकि होलसेल ई-रुपी का इस्तेमाल चुनिंदा वित्तिय संस्थान ही कर सकेंगे।

ट्रांसफर का खर्च होगा कम
वर्ल्‍ड बैंक के मुताबिक अभी इस तरह दूसरे देशों में पैसे भेजने पर 7 से अधिक का शुल्क चुकाना पड़ता है, जबकि डिजिटल करेंसी के आने से इस मद में 2 तक की कमी आ सकती है।

इंटरनेट बगैर ट्रांजेक्‍शन
बताया जा रहा है कि ई-रुपया टोकन आधारित होगा। इसका मतलब यह है कि आप जिस व्यक्ति को पैसे भेजना चाहते हैं, उसकी पब्लिक 'की' के जरिये भेज सकते हैं। यह एक ईमेल आईडी जैसा हो सकता है। आपको पैसे भेजने के लिए पासवर्ड डालना होगा। और यह बिना इंटरनेट के भी संचालित हो सकेगा।
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कुछ खास बातें
  • डिजिटल करेंसी देश की प्रमुख करेंसी का डिजिटल रूप है।
  • यह केंद्रीय बैंक की मदद से जारी की जाती है।
  • सीबीडीसी से भुगतान दक्षता बढ़ती है
  • इससे आपराधिक गतिविधि रुकती है।
  • अंतरराष्ट्रीय भुगतान के ऑप्‍शन में सुविधा और सहूलियत मिलती है।
  • यह लागत को कम करती है।
Written & Edited: By Navin Rangiyal
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