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Last Updated : गुरुवार, 18 जनवरी 2024 (00:11 IST)

मणिपुर में फिर हिंसा, मोरेह में उग्रवादियों से मुठभेड़ में 2 जवान शहीद, CM बीरेन सिंह ने की हाईलेवल मीटिंग

मणिपुर में फिर हिंसा, मोरेह में उग्रवादियों से मुठभेड़ में 2 जवान शहीद, CM बीरेन सिंह ने की हाईलेवल मीटिंग - Violence flares up again in Manipur
  • हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री ने की उच्चस्तरीय बैठक
  • हथियार लूट मामले में चार्जशीट दाखिल
  • मुठभेड़ में आईआरबी के कर्मी घायल
Violence flares up again in Manipur : मणिपुर के मोरेह में उग्रवादियों द्वारा पुलिसकर्मियों पर गोलीबारी एवं बम से हमले की कई घटनाओं और स्थानीय लोगों की केंद्रीय बलों से टकराव के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। उग्रवादियों से मुठभेड़ में 2 जवान शहीद हो गए। स्थिति पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, मंत्री एवं विधायक मौजूद थे।
 
अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। एक अधिकारी के अनुसार एसबीआई मोरेह के पास उग्रवादियों ने एक अस्थाई पुलिस इकाई पर रॉकेट संचालित ग्रेनेड दागे जिसके बाद दोनों पक्षों में संघर्ष छिड़ गया। उसके बाद वार्ड संख्या सात और चिकिम गांव में उग्रवादियों ने सुरक्षाबलों पर हमले किए। वार्ड संख्या सात एवं चिकिम गांव म्यामांर सीमा के नजदीक हैं।
 
इमा कोनडोंग लैरेम्बी देवी मंदिर के पास घात लगाकर किए गए हमले में मणिपुर पुलिस के कर्मी समरजीत (32) को गोली लग गई। बाद में असम राइफल्स के अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। अधिकारियों के अनुसार इस गोलीबारी (मुठभेड़) में इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के कर्मी घायल हो गए।
N Biren Singh
एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि समरजीत के शव और दो घायल कर्मियों एन भीम और सिद्धार्थ थोकचोम को हेलीकॉप्टर से इंफाल लाया गया तथा घायलों को क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में भर्ती कराया गया है।सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच गोलीबारी में एक और सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई।

मृतक की पहचान इंफाल पश्चिम जिले के लमशांग के तखेल्लंबम सेलेशवोर के रूप में की गई है। अधिकारियों के मुताबिक एक संबंधित घटना में केंद्रीय बलों के वाहन से टकराकर एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। वह वाहन को रोकने की कोशिश कर रही थी।
 
उन्होंने बताया कि कर्फ्यू के बावजूद बड़ी संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतर आईं और उन्होंने स्थिति को संभालने जा रहे असम राइफल्स एवं सैन्यकर्मियों के आवागमन को बाधित करने के लिए सड़क जाम कर दिया। एक अधिकारी ने बताया कि स्थिति पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, मंत्री एवं विधायक मौजूद थे।
 
मोरेह में पिछले कुछ दिनों से लगातार सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच संघर्ष की घटनाएं सामने आ रही हैं। गोलीबारी की नवीनतम घटना से महज 48 घंटे पहले एक पुलिस अधिकारी की हत्या में कथित रूप से संलिप्त दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था।

हथियार लूट मामले में 5 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल : मणिपुर में जातीय संघर्ष से संबंधित मामलों की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने मई 2023 में पुलिसकर्मियों से हथियार और गोला-बारूद की लूट के मामले में 5 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।
 
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पिछले साल तीन मई को पर्वतीय जिलों में आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद मणिपुर में भड़की हिंसा में 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, आदिवासी नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
 
सीबीआई ने कहा कि आरोप पत्र में जिन लोगों के नाम हैं, उनमें मणिपुर की प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी (नोयोन) का पूर्व सदस्य मोइरांगथेम आनंद सिंह और कीशम जॉनसन, कोन्थौजम रोमोजीत मेइती, लौक्राकपम माइकल मंगांगचा और आठोकपम काजित शामिल हैं।
 
अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले उन्हें पिछले साल सितंबर में मणिपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था जब वे कथित तौर पर पुलिस की वर्दी पहनकर और अत्याधुनिक हथियार लेकर धन की उगाही कर रहे थे। उनकी गिरफ़्तारी से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था जो दो दिनों तक जारी रहा।
 
पांचों को अदालत के आदेश के बाद रिहा कर दिया गया, लेकिन सिंह को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने गिरफ्तार कर लिया और राष्ट्रीय राजधानी ले आए। सिंह को कथित तौर पर म्यांमार स्थित विद्रोही समूहों के साथ संबंध रखने और मणिपुर में जातीय अशांति का फायदा उठाकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
 
यह मामला पिछले साल 19 जुलाई को एनआईए द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज किया गया था। जांच से पता चला कि वे राज्य में अशांति का फायदा उठाकर साजिश के तहत विपक्षी जातीय समूह और सुरक्षाबलों पर हमले करने के वास्ते अपनी ताकत बढ़ाने के लिए लोगों को जमीनी कार्यकर्ताओं, सदस्यों और सहानुभूति रखने वालों के रूप में भर्ती कर रहे थे।
एनआईए के प्रवक्ता ने कहा था कि वे गैरकानूनी तरीकों से हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक इकट्ठा कर रहे थे, जिसमें सरकारी प्रतिष्ठानों से लूट भी शामिल थी। इंफाल के पांगेई में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र (एमपीटीसी) में पुलिस शस्त्रागार को चार मई को लूट लिया गया था, जिस दिन राज्य में बहुसंख्यक मेइती समुदाय और आदिवासी कुकी के बीच जातीय संघर्ष हुआ था।
सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि जैसा कि प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है, भीड़ ने एमपीटीसी परिसर में धावा बोल दिया और शस्त्रागार से भारी संख्या में हथियार और गोला-बारूद लूट लिया। आरोप पत्र हाल में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कामरूप (मेट्रो), गुवाहाटी, असम के समक्ष दाखिल किया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल अगस्त में सीबीआई के मामलों को मणिपुर से असम स्थानांतरित कर दिया था। सिंह न्यायिक हिरासत में है, अन्य चार का फिलहाल पता नहीं चल पाया है। शीर्ष अदालत का यह निर्देश मणिपुर में झड़पों से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आया। याचिकाकर्ताओं में दो कुकी महिलाएं भी शामिल थीं, जिन पर भीड़ के हमले का वीडियो रिकॉर्ड किया गया था, जो बाद में सोशल मीडिया पर सामने आया था।
 
उच्चतम न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पीड़ितों के बयानों की रिकॉर्डिंग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने मणिपुर में हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) और सत्र न्यायाधीश के पद से ऊपर के न्यायिक अधिकारियों को नामित करने का निर्देश दिया था। (इनपुट भाषा)
Edited By : Chetan Gour