वेंकैया नायडू बोले, क्षेत्रीय भाषाओं को भी प्रोत्साहित किया जाए...
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का मानना है कि हिन्दी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं का भी समान रूप से प्रचार-प्रसार होना चाहिए। अंग्रेजी प्रेम को गुलाम मानसिकता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के प्रभाव के कारण लोग अंग्रेजी बोलने में शान समझते हैं।
नायडू ने कहा कि वे इन्हें क्षेत्रीय भाषाएं नहीं बल्कि भारतीय भाषाएं मानते हैं। मातृभाषा में व्यक्ति अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से अभिव्यक्त करता है इसलिए क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने शुक्रवार रात यहां एक कार्यक्रम में कहा कि हिन्दी को भी प्रोत्साहित करना जरूरी है, क्योंकि हिन्दी के बगैर राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत करना संभव नहीं है। अंग्रेजी प्रेम को गुलाम मानसिकता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के प्रभाव के कारण लोग अंग्रेजी बोलने में शान समझते हैं।
आंध्रप्रदेश से ताल्लुक रखने वाले नायडू ने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए कहा कि उन्होंने दक्षिण भारत में हुए हिन्दी विरोधी आंदोलन में हिस्सा लिया था, लेकिन बाद में राष्ट्रीय राजनीति में आने पर उन्हें हिन्दी का महत्व समझ में आया। (वार्ता)