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Last Modified: शुक्रवार, 3 मार्च 2023 (21:38 IST)

चारधाम यात्रा की घोषणा के बाद जोशीमठ की स्थिति पर सरकार की नजर

चारधाम यात्रा की घोषणा के बाद जोशीमठ की स्थिति पर सरकार की नजर - Uttarakhand government's eye on the situation of Joshimath after the announcement of Chardham Yatra
देहरादून। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा 2023 की घोषणा कर दी गई है। गंगोत्री, यमुनोत्री के कपाट खोलने की अधिकृत घोषणा नवरात्र पर होगी। केदारनाथ मंदिर के कपाट 25 अप्रैल और बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खोले जाएंगे।ऐसे में 2 धामों की एडवांस बुकिंग बीते 21 फरवरी से शुरू हो चुकी है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग पंजीकरण करा रहे हैं।

इस बार चार धाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण सभी के लिए जरूरी कर दिया गया है। इसके लिए स्थानीय ग्रामीणों और शहरियों को भी बिना पंजीकरण के एंट्री नहीं देने की बात कही जा रही है। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा से पहले जोशीमठ-बद्रीनाथ हाइवे पर 10 से ज्यादा जगह बड़ी दरारें दिखाई देने से सरकारी एजेंसियों के माथे पर चिंता की रेखाएं हैं। ऐसे में हाईवे की दरारें यात्रियों के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं।

आशंका यह भी जताई जा रही है कि इस इलाके में दरारों की संख्या और बढ़ सकती है।जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के मुताबिक यह खतरा काफी बड़ा है। चूंकि चार धाम यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु बद्रीनाथ जाएंगे। उनके बद्रीनाथ पहुंचने के लिए यही एकमात्र रास्ता है। ऐसे में भू-धंसाव और दरारों की वजह से उनकी जान पर बन सकती है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के मुताबिक थोड़ी भी लापरवाही चार धाम यात्रा के श्रद्धालुओं की जान पर भारी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में गाड़ियों का आना-जाना होगा। ऐसे में यह खतरा और बढ़ सकता है।जोशीमठ में आई दरारों में रेलवे गेस्ट हाउस के पास स्थित स्टेट बैंक की शाखा के सामने सड़क पर दरारें काफी बड़ी हैं।वहीं आगे जेपी कॉलोनी और मरवाडी ब्रिज के पास भी इस तरह की दरारें देखी गई हैं।

इसी प्रकार रवि ग्राम म्युनिसिपल वार्ड में जीरो बेंड के पास हाइवे धंस गया है।राजमार्ग पर वो दरारें जिसे बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने भर दिया था, उनके फिर से उभरने से प्रशासन की चिंताएं भी बढ़ी हैं। यह हाइवे गढ़वाल में मौजूद सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक बद्रीनाथ सिखों के प्रमुख हिमालयीय तीर्थ हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी समेत सर्वाधिक ऊंची चोटी नंदा देवी को जोड़ने का एकमात्र रास्ता है।

इसके अलावा भारत-चीन सीमा की अग्रिम चौकियों तक पहुंचने का भी यही एकमात्र मार्ग है, जो धंसते जोशीमठ से होकर चीन सीमा पर पहुंचता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक दरारें जोशीमठ से मारवाड़ी के बीच 10 किलोमीटर तक फैली हुई हैं।

सरकार का कहना है कि वह चार धाम यात्रा को इसी मार्ग से चलाएगी और इसके लिए स्थानीय स्तर पर बीआरओ की टीम यहां तैनात रखी जाएगी जो किसी भी सूरत का मुकाबला करने में सक्षम होगी।गढ़वाल हिमालय में 1890 मीटर की ऊंचाई पर बसा जोशीमठ, तीर्थयात्रियों और ट्रैकिंग करने वालों के लिए एक जरूरी रास्ता है।जोशीमठ चारों ओर नदियों से घिरा है, जिसमें इसके पूर्व में ढकनाला, पश्चिम में कर्मनाशा, उत्तर में अलकनंदा और दक्षिण में धौलीगंगा नदियां बहती हैं।

जोशीमठ के दरारों से सुरक्षित लगभग 150 होटल और होम स्टे में से वे होटल और होम स्टे जिनमें राहत शिविर बने हैं, के संचालक चारधाम यात्रा के लिए एडवांस बुकिंग लेने को लेकर दुविधा में हैं। उनको चिंता सता रही कि यात्रा शुरू होने से पहले होटल-होम स्टे खाली न होने पर उनकी बुकिंग और तीर्थयात्रियों का क्या होगा? ऐसे होटल-होम स्टे की संख्या 38 है। इनमें 208 परिवारों के 753 आपदा प्रभावित रह रहे हैं। वे होटल और होम स्टे जिनको शहर के शरणार्थियों का राहत शिविर बनाया गया है, के मालिकों में यह ऊहापोह है कि वे एडवांस बुकिंग लें या नहीं।

जिन होटलों और होम स्टे में कोई ऐसा बंधन नहीं है उनमें अब तक 10 प्रतिशत कमरों की बुकिंग हो चुकी है।बीते दो महीने से जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त है। नगर में दरार वाले 868 भवन हैं। इनमें से 181 असुरक्षित हैं। यहां रहने वाले 298 परिवार पुश्तैनी घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जा चुके हैं। इनमें से 232 परिवारों के 846 सदस्य राहत शिविरों में रह रहे हैं।

प्रशासन ने नगर में कुल 45 राहत शिविर बनाए हैं। राहत शिविर में रह रहे लोगों का कहना है कि प्रशासन ने शिविर में शिफ्ट करने के बाद हमें हमारे हाल पर छोड़ दिया है। ऐसे में पुनर्वास होने तक राहत शिविर में रहने वाले यह शिविर छोड़कर जाएं तो जाएं कहां?

साल 24 दिसंबर 2009 में टनल बोरिंग मशीन (TBM) अचानक जोशीमठ की धरती को कुरेदकर टनल बनाने के चक्कर में ऐसी जगह फंस गई, जहां से उसने प्रकृति के बनाए एक बड़े जल भंडार को पंक्चर कर दिया। जिसके कारण लंबे समय तक रोज 6 से 7 करोड़ लीटर पानी बहता रहा, धीरे-धीरे ये जल भंडार खाली होने पर शांत हो पाया।यह जल भंडार जोशीमठ के ऊपर पास ही बहने वाली अलकनंदा नदी के बाएं किनारे पर खड़े पहाड़ के 3 किलोमीटर अंदर था।

इस घटना के मद्देनजर साल 2010 के 25 मई में करेंट साइंस जर्नल में पब्लिश हुई थी। Disaster looms large over Joshimath हेडलाइन से छपी इस रिपोर्ट में बताया गया था कि गढ़वाल में जोशीमठ के करीब विष्णुगढ़ हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए टनल बोरिंग मशीन यानी TBM सुरंग की खुदाई कर रही थी।जिसने 24 दिसंबर 2009 को टनल बोरिंग के दौरान जल स्रोत को पंक्चर कर दिया जिसके चलते 700 से 800 लीटर पानी प्रति सेकंड की दर से निकलने लगा।

यह पानी एक अनुमान के अनुसार 20 से 30 लाख लोगों की आबादी की जरूरत के लिए पर्याप्त होता है। इस रिपोर्ट में साफतौर पर चेताया गया था कि प्राकृतिक रूप से जमा पानी के इस तरह बह जाने से बड़ी आपदा का अंदेशा है। सुरंग से निकलने वाले पानी की वजह से आसपास के झरने सूख जाएंगे, जिससे जोशीमठ के आसपास की बस्तियों को गर्मी के मौसम में पीने के पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा।
Edited By : Chetan Gour
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