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Last Updated : शुक्रवार, 27 सितम्बर 2024 (18:17 IST)

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी बोले, अब राजनीति सिर्फ सत्ता के लिए होती है

Nitin Gadkari
Union Minister Nitin Gadkari News: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि राजनीति वास्तव में समाज सेवा, राष्ट्र निर्माण और विकास का पर्याय है, लेकिन वर्तमान समय में इसका मतलब केवल सत्ता की राजनीति है। गडकरी के बयान हमेशा सुर्खियों में रहते हैं, कई बार तो अपनी पार्टी को ही 'धर्मसंकट' में डाल देते हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि उन्हें कई बार प्रधानमंत्री बनने का ऑफर मिला था। 
 
अब राजनीति का अर्थ सिर्फ सत्ता : भाजपा के वरिष्ठ नेता गडकरी छत्रपति संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinagar) में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े के अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजनीति में विचारों में मतभेद की समस्या नहीं, बल्कि विचारों की कमी की समस्या है। राजनीति का अर्थ है- समाजकरण (समाज सेवा), राष्ट्रकरण (राष्ट्र निर्माण) और विकासकरण (विकास)’। लेकिन अब राजनीति की परिभाषा बदलकर ‘सत्ताकरण (सत्ता की राजनीति)’ ही रह गई है। ALSO READ: गडकरी का दावा, कई बार मिला प्रधानमंत्री बनने का ऑफर
 
गडकरी ने कहा कि पहले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कार्यकर्ता के रूप में काम करते समय, हमें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। कोई पहचान और सम्मान नहीं था। हरिभाऊ बागड़े ने लोगों के कल्याण के लिए समर्पण के साथ काम किया। मैंने पार्टी कार्यकर्ता के रूप में 20 वर्ष तक विदर्भ की यात्रा की और काम किया।
लोग हम पर पत्थर फेंकते थे : उन्होंने कहा कि लोग हमारी रैलियों पर पत्थर फेंकते थे। आपातकाल के बाद जिस ऑटोरिक्शा का इस्तेमाल मैं घोषणाएं करने के लिए करता था, लोगों ने उसे जला दिया था। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि अब हजारों लोग मुझे सुनने आते हैं। लेकिन यह लोकप्रियता मेरी नहीं है, यह हरिभाऊ बागड़े जैसे कार्यकर्ताओं की बदौलत है, जिन्होंने कड़ी मेहनत की और अपना जीवन खतरे में डाला। ALSO READ: भाजपा चौथी बार सरकार बनाए इसकी कोई गारंटी नहीं, नितिन गडकरी ने क्यों दिया ऐसा बयान
 
गडकरी ने कहा कि पार्टी का एक अच्छा कार्यकर्ता वही होता है, जो पार्टी में कुछ न मिलने पर भी अच्छा व्यवहार करता है। उन्होंने कहा कि जिन्हें कुछ मिलता है, वे स्वाभाविक रूप से अच्छा व्यवहार करते हैं। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala