• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Assam Mizoram dispute
Written By
Last Updated : मंगलवार, 27 जुलाई 2021 (23:59 IST)

असम-मिजोरम विवाद पर एक्शन पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, मुख्य सचिवों एवं पुलिस महानिदेशकों की बुलाई बैठक

असम-मिजोरम विवाद पर एक्शन पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, मुख्य सचिवों एवं पुलिस महानिदेशकों की बुलाई बैठक | Assam Mizoram dispute
मुख्‍य बिंदु
  • असम-मिजोरम विवाद पर एक्शन पर केंद्रीय गृह मंत्रालय
  • पुलिस महानिदेशकों की बुलाई बैठक
  • 2 दशक पुराना है विवाद
सिलचर/ आइजोल/ नई दिल्ली। केंद्र ने असम और मिजोरम की सीमा पर हुई हिंसा के आलोक में बुधवार को दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों एवं पुलिस महानिदेशकों की बैठक बुलाई है जबकि खूनी संघर्ष के अगले दिन सीमा पर शांति रही। इस हिंसा में असम के 5 पुलिसकर्मी मारे गए जबकि 50 से ज्यादा अन्य घायल हो गए। वैसे सीमा पर शांति के बावजूद दोनों राज्यों के नेताओं ने इस घटना को लेकर अपनी अपनी नाराजगी व्यक्त की और शांति को धता बताने का प्रयास किया।

 
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला असम-मिजोरम सीमा पर अचानक हिंसा बढ़ने के विषय पर चर्चा के लिए बुलाई गई इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। असम-मिजोरम सीमा पर सोमवार को हुई हिंसा में असम पुलिस के 5 कर्मी मारे गए। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्य सचिवों एवं पुलिस महानिदेशकों की इस बैठक में शांति फार्मूला तैयार किए जाने की संभावना है, ताकि इन दोनों राज्यों की सीमा पर हिंसा की पुनरावृत्ति न हो।
 
पूर्वोत्तर के ये 2 राज्य दशकों से अपनी सीमाओं को लेकर एक-दूसरे से उलझे हुए हैं और उनके बीच छोटी-मोटी झड़पें अक्सर होती हैं लेकिन सोमवार को जैसा संघर्ष हुआ, वैसा कभी नहीं नजर आया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा मिजोरम के साथ सीमा पर तनाव को कभी गरम तो कभी नरम नजर आए। उन्होंने कहा कि उनका राज्य संसद से पारित किसी भी कानून का पालन करेगा और कानून के अनुरूप दूसरे राज्य को अपनी भूमि तक सौंप देगा, लेकिन ऐसा होने तक एक इंच अतिक्रमण नहीं होने देगा।

 
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव एवं असम से सांसद दिलीप सैकिया ने मंगलवार को कहा कि मिजोरम सरकार को असम सरकार और असम की जनता से दोनों राज्यों की सीमा को लेकर हुए हिंसक सघर्ष में 5 पुलिसकर्मियों की मौत के मामले में माफी मांगनी चाहिए।
 
सैकिया ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि मिजोरम की पुलिस ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कल जो किया, वह निंदनीय है। एक वीडियो सामने आया था जिसमें मिजोरम के लोग असम के पुलिसकर्मियों के मारे जाने का जश्न मनाते दिखाई दे रहे हैं। मैं असम की जनता और पुलिस पर इस बर्बरतापूर्ण हमले की निंदा करता हूं। मिजोरम के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री ललरुआतकिमा ने आरोप लगाया कि तनाव के बावजूद अर्धसैनिक बलों ने असम के पुलिसकर्मियों और लोगों को मिजोरम में घुसपैठ करने से नहीं रोका।

 
उन्होंने कहा कि अगर सीआरपीएफ कर्मियों ने असम पुलिस को मिजोरम के क्षेत्र में घुसने से रोक दिया होता तो यह खूनी झड़प नहीं होती। सरमा ने सिलचर में कहा कि उनकी सरकार इनरलाइन फॉरेस्ट रिजर्व को नष्ट होने और अतिक्रमण से बचाने के लिए उच्चतम न्यायालय जाएगी तथा मिजोरम की सीमा से लगते कछार, करीमगंज तथा हैलाकांडी जिलों में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए 3 कमांडो बटालियन तैनात करेगी।
 
मुख्यमंत्री ने मारे गए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कहा कि सीमा निर्धारण करना केंद्र का दायित्व है और हम इसका पालन करेंगे। यदि कल संसद कोई ऐसा कानून लाती है जिससे हमारी जमीन दूसरे राज्य को जा सकती है तो हम यह करेंगे, लेकिन तब तक हम अपनी संवैधानिक सीमा की रक्षा करेंगे। असम सरकार ने घटना के बाद 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।

 
सरमा ने कहा कि विवाद भूमि को लेकर नहीं है, बल्कि मुद्दा आरक्षित वनों के अतिक्रमण का है। वन क्षेत्रों में हमारी कोई बस्तियां नहीं हैं और अगर मिजोरम सबूत देता है तो हम तुरंत बाहर निकल जाएंगे। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है, लेकिन सीमा की रक्षा की गई है, और हम हर कीमत पर इसकी रक्षा करना जारी रखेंगे। हमारी सीमा में पुलिस की मजबूत तैनाती है और एक इंच जमीन पर भी अतिक्रमण नहीं होने दिया जाएगा।

 
इस सवाल पर कि क्या तनाव भड़काने में कोई विदेशी हाथ हो सकता है, सरमा ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले 2 महीनों में जो निर्णय किए हैं, हो सकता है कि उनकी वजह से राज्य से इतर कुछ निहित स्वार्थ वाले तत्व परेशान हों। उन्होंने दावा किया कि म्यांमार से भारत में घुसे कुछ लोग मिजोरम के जरिए असम के दीमा हसाओ जिले में स्थापित होना चाहते थे, लेकिन उनकी सरकार ने प्रयासों को विफल कर दिया।
 
उन्होंने कहा कि तब हमने मिजोरम और मणिपुर से असम तक आने वाले मादक पदार्थ मार्ग पर प्रहार किया। यह पूछे जाने पर कि दोनों राज्यों में राजग से जुड़ी सरकारें हैं तो क्या समस्या का समाधान हो सकता है, सरमा ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, यह दीर्घकालिक सीमा विवाद है। पूर्व में दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं। क्या तब मुद्दे का समाधान हुआ?
 
असम की बराक घाटी के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों की 164 किलोमीटर लंबी सीमा मिजोरम के आइजोल, कोलासिब और मामित जिलों से सटी है। असम के कछार और हैलाकांडी जिलों में मिजोरम सीमा पर अक्टूबर 2020 से तनाव बढ़ रहा है और दोनों पक्षों द्वारा मकानों को जलाए जाने की घटनाएं सामने आईं और उन्होंने एक दूसरे पर अतिक्रमण के आरोप लगाए।
 
22 अक्टूबर, 2020 को केंद्रीय गृह मंत्रालय के तत्वावधान में उच्च स्तरीय वार्ता हुई थी और यथास्थिति बनाए रखने एवं चर्चा के जरिए विवाद सुलझाने का फैसला किया गया थी। इस साल फरवरी में तब तनाव बढ़ गया जब 2 झोपड़ियां जलाए जाने के बाद गल्लाचेरा सीमा चौकी के समीप से सैंकड़ों लोग अपना घर-बार छोड़कर चले गए।
 
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार असम एवं मिजोरम सरकारों के नियमित संपर्क में है और वह स्थिति को शांत करने का प्रयास कर रही है। सोमवार को मिजोरम पुलिस द्वारा असम के अधिकारियों पर गोलियां चलाने से असम पुलिस के 5 कर्मी मारे गए जबकि एक पुलिस अधीक्षक समेत 50 अन्य घायल हो गए। असम का अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय और मिजोरम से सीमा विवाद है।
 
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि केंद्र सरकार का लगातार यह दृष्टिकोण रहा है कि अंतर राज्य विवाद केवल संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से सुलझ सकें और विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान परस्पर समझ की भावना से करने के लिए केंद्र सरकार केवल सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करे।(भाषा)
ये भी पढ़ें
कौन हैं कर्नाटक के नए CM बसवराज बोम्मई? जिनकी येदियुरप्पा करते हैं प्रशंसा, ऐसा है राजनीतिक सफर