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Last Updated :नई दिल्ली , गुरुवार, 27 जून 2024 (12:22 IST)

जीरो FIR, ऑनलाइन पुलिस शिकायत, मौका-ए-वारदात की वीडियोग्राफी, 1 जुलाई से लागू होंगे 3 नए कानून

जीरो FIR, ऑनलाइन पुलिस शिकायत, मौका-ए-वारदात की वीडियोग्राफी, 1 जुलाई से लागू होंगे 3 नए कानून - Trained cops, new apps: Centre readies for rollout of three criminal laws
What are the three new laws : ‘जीरो’ प्राथमिकी, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से समन और सभी जघन्य अपराधों के अपराध दृश्यों की अनिवार्य वीडियोग्राफी तीन नए आपराधिक कानूनों की प्रमुख बातें हैं जो 1 जुलाई से लागू होंगे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 भारतीय नागरिकों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसका उद्देश्य सभी के लिए अधिक सुलभ, सहायक और प्रभावी न्याय प्रणाली सुनिश्चित करना है।
पिछले साल पारित ये नए कानून ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे। नए कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाने जाए बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा तथा पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी।
 
‘जीरो’ प्राथमिकी से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट (प्राथमिकी) दर्ज करा सकता है चाहे अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में न हुआ हो। इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और अपराध की शिकायत तुरंत दर्ज की जा सकेगी।
 
नए कानूनों के तहत पीड़ितों को प्राथमिकी की एक निशुल्क प्रति दी जाएगी जिससे कानूनी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित होगी। नए कानून में जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा।
 
इसके अलावा गिरफ्तारी विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा जिससे कि गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्र महत्वपूर्ण सूचना आसानी से पा सकेंगे।
 
मामले तथा जांच को मजबूत करने के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों का गंभीर अपराधों के लिए अपराध स्थल पर जाना और सबूत एकत्रित करना अनिवार्य बना दिया गया है। इसके अलावा, अपराध स्थल से सबूत एकत्रित करने की प्रक्रिया की अनिवार्य रूप से वीडियोग्राफी करायी जाएगी ताकि सबूतों में किसी प्रकार की छेड़छाड़ को रोका जा सके। सूत्रों ने बताया कि इस कदम से जांच की गुणवत्ता व विश्वसीयता बढ़ेगी।
 
नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गयी है जिससे सूचना दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी। नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा।
नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को सभी अस्पतालों में नि:शुल्क प्राथमिक उपचार या चिकित्सीय उपचार मुहैया कराया जाएगा। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को आवश्यक चिकित्सीय देखभाल तुरंत मिले।
 
अब समन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दिए जा सकते हैं जिससे कि कानूनी प्रक्रियाओं में तेजी आएगी, कागजी काम में कमी आएगी और सभी पक्षों के बीच प्रभावी संचार सुनिश्चित होगा।
 
महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों में पीड़ित के बयान दर्ज किए जाएंगे और जहां तक संभव होगा कोई महिला मजिस्ट्रेट ही बयान दर्ज करेगी और उनकी अनुपस्थिति में कोई पुरुष मजिस्ट्रेट किसी महिला की मौजूदगी में पीड़िता का बयान दर्ज करेगा।
 
आरोपी तथा पीड़ित दोनों को अब प्राथमिकी, पुलिस रिपोर्ट, आरोपपत्र, बयान, स्वीकारोक्ति और अन्य दस्तावेज 14 दिन के भीतर पाने का अधिकार दिया गया है। अदालतें समय रहते न्याय देने के लिए मामले की सुनवाई में अनावश्यक विलंब से बचने के लिए अधिकतम दो बार मुकदमे की सुनवाई स्थगित कर सकती हैं।
 
नए कानूनों में सभी राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना अनिवार्य है ताकि गवाहों की सुरक्षा व सहयोग सुनिश्चित किया जाए और कानूनी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता व प्रभाव बढ़ाया जाए।
 
अब ‘लैंगिकता’ की परिभाषा में ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं जिससे समावेशिता और समानता को बढ़ावा मिलता है। पीड़ित को अधिक सुरक्षा देने तथा दुष्कर्म के किसी अपराध के संबंध में जांच में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए पीड़िता का बयान पुलिस द्वारा ऑडियो वीडियो माध्यम के जरिए दर्ज किया जाएगा।
 
महिलाओं, पंद्रह वर्ष की आयु से कम के लोगों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों तथा दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी और वे अपने निवास स्थान पर ही पुलिस सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
 
महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए भारतीय न्याय संहिता में एक नया अध्याय खासतौर से जोड़ा गया है जिससे उन्हें सुरक्षा तथा न्याय मिलेगा। नए कानूनों में किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत विकास और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए छोटे-मोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा करने का प्रावधान है। सामुदायिक सेवा के तहत अपराधियों को समाज में सकारात्मक रूप से योगदान देने, अपनी गलतियों से सीख लेने और मजबूत सामुदायिक संबंध बनाने का मौका मिलेगा।
नए कानूनों के तहत कुछ अपराधों के लिए लगाए जाने वाले जुर्माने को अपराध की गंभीरता से जोड़ा गया है। कानूनी प्रक्रियाओं को आसान बनाया गया है ताकि उन्हें समझना तथा उनका पालन करना आसान हो व निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित हो।
 
संसद ने पिछले साल शीतकालीन सत्र में इन विधेयकों पर चर्चा की थी और इन्हें पारित किया था। लोकसभा के कुल 37 सदस्यों और राज्यसभा के 40 सदस्यों ने इस चर्चा में भाग लिया था। भाषा