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Last Modified: नई दिल्ली , शनिवार, 21 अक्टूबर 2023 (18:25 IST)

Excise Policy Scam : आरोपी का 'थर्ड डिग्री' का आरोप, कोर्ट ने गिरफ्तारी पर ED से मांगा जवाब

Delhi High Court
Delhi excise policy scam case : दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी के कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई की गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब तलब किया है। पिल्लई ने दावा किया है कि उनसे सूचना प्राप्त करने के लिए यातना के 'थर्ड डिग्री' जैसे तरीके अपनाए गए।
 
न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने शुक्रवार को जांच एजेंसी से याचिका की विचारणीयता के संबंध में जवाब दाखिल करने को कहा। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील नितेश राणा ने दलील दी कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छह मार्च के गिरफ्तारी आदेश और निचली अदालत द्वारा उनके मुवक्किल को एजेंसी की हिरासत तथा फिर न्यायिक हिरासत में भेजने संबंधी पारित रिमांड आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का उल्लंघन था।
 
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि पीएमएलए की धारा 19(1) के तहत गिरफ्तारी के लिए उसे कभी मौखिक या लिखित रूप से कोई आधार नहीं बताया गया और यह उनके संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। इसमें दलील दी गई कि रिमांड आदेशों में इस बात को लेकर कुछ संतोषजनक नहीं कहा गया है कि क्या ईडी के पास यह विश्वास करने के लिए रिकॉर्ड पर सामग्री थी कि याचिकाकर्ता पीएमएलए के तहत अपराध का दोषी है।
 
याचिका में कहा गया है, प्रवर्तन निदेशालय ने प्रतिशोधात्मक तरीके से और पूरी तरह से पीछे पड़ने की कवायद के रूप में जानकारी प्राप्त करने के लिए जोर जबरदस्ती की रणनीति अपनाई है और याचिकाकर्ता/आवेदक के साथ-साथ अन्य आरोपियों को ‘थर्ड डिग्री’ यातना दी गई।
 
इसमें कहा गया है, ईडी को विवादित गिरफ्तारी आदेश के साथ-साथ विवादित रिमांड आदेशों के जरिए इस तरह के अवैध तरीके से कार्य करने में सक्षम बनाया गया, जो अपने आप में उक्त गिरफ्तारी आदेश और विवादित रिमांड आदेशों को रद्द करने का एक आधार है।
 
ईडी के वकील ने दलील दी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। अदालत ने मामले को तीन नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। उसी दिन याचिकाकर्ता की जमानत याचिका भी विचार के लिए सूचीबद्ध है।
 
इस महीने की शुरुआत में याचिकाकर्ता ने इस मामले में जमानत का अनुरोध करते हुए कहा था कि उसे जेल में रखने का कोई आधार नहीं है। गत आठ जून को एक निचली अदालत ने पिल्लई की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनकी भूमिका कुछ अन्य आरोपियों की तुलना में अधिक गंभीर थी, जो अब भी जेल में हैं, और प्रथम दृष्टया ईडी का मामला सही है।
 
ईडी ने मामले में दायर अपने आरोप पत्र में दावा किया है कि पिल्लई भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की विधान पार्षद के. कविता के करीबी सहयोगी थे। ईडी का धनशोधन मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी से जुड़ा है।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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